कोविड-19, एक ऐसी अबूझ पहेली बना हुआ है, जिसके बारे में जितना ज्यादा हम समझते हैं, उतने ज्यादा ही नए तथ्य हमारे सामने आते जा रहे हैं। ऐसा ही कुछ यूके में की गई एक नई रिसर्च में सामने आया है, जिससे पता चला है कि कोविड-19 से उबरने के महीनों बाद भी लॉन्ग कोविड शरीर में मस्तिष्क, फेफड़ों और गुर्दे जैसे कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
गौरतलब है कि लॉन्ग कोविड की स्थिति में कोविड-19 का शिकार मरीज बीमारी के हफ्तों, महीनों या वर्षों बाद भी उससे जुड़े लक्षणों का अनुभव करते हैं। जर्नल लैंसेट रेस्पिरेटरी मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन में सामने आया है कि लंबे समय तक कोविड से पीड़ित मरीजों में जो अस्पताल में भर्ती थे, उनके अंगों के प्रभावित होने की आशंका अधिक होती है।
मरीजों के एमआरआई स्कैन से पता चला कि इनमें फेफड़े, मस्तिष्क और गुर्दे जैसे कई अहम अंगों पर पड़ने वाले प्रभावों की आशंका तीन गुना अधिक थी। शोधकर्ताओं को संदेह है कि इसका बीमारी की गंभीरता से कोई संबंध है। हालांकि, स्थिति से जुड़े कई पहलू, जैसे कि कैसे कोविड इतने व्यापक लक्षणों को जन्म देता है, यह अभी भी एक रहस्य है।
इस अध्ययन के दौरान कोविड-19 से ग्रस्त एक-तिहाई मरीजों में संक्रमण के महीनों बाद भी कई अंगों में असामान्यताएं मौजूद थी। यह खोज लॉन्ग कोविड के बारे में नए रहस्यों को उजागर करती है। बता दें कि इससे पहले भी मरीजों में शुरुआती संक्रमण के बाद लंबे समय तक सांस की तकलीफ, थकान और मस्तिष्क पर प्रभाव दर्ज किए गए थे।
आज भी बड़ी संख्या में लॉन्ग कोविड से जूझ रहे हैं लोग
लॉन्ग कोविड की यह समस्या कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोविड-19 का शिकार हुए 10 फीसदी मरीज अभी भी इसके लक्षणों से ग्रस्त हैं। मतलब अभी भी 6.5 करोड़ से ज्यादा लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं। जर्नल नेचर रिव्यु माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक इतना ही नहीं अभी भी इसका शिकार लोगों की संख्या बढ़ रही है।
यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है जिसमें कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती मरीज के एक-दो नहीं बल्कि विभिन्न अंगों जैसे मस्तिष्क, हृदय, यकृत, गुर्दे और फेफड़ों के एमआरआई स्कैन की जांच की गई थी। अपने इस अध्ययन शोधकर्ताओं ने यूके में 2020 से 2021 के बीच कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती 259 रोगियों के एमआरआई स्कैन की तुलना 52 स्वास्थ्य व्यक्तियों से की थी, जो कभी भी इस वायरस से संक्रमित नहीं थे।
अध्ययन के जो निष्कर्ष सामने आए हैं उनसे पता चला है कि अस्पताल से छुट्टी होने के करीब पांच महीनों के बाद इनमें से एक तिहाई मरीजों में एक से ज्यादा अंग प्रभावित थे। इसी तरह जो मरीज कोविड-19 के चलते अस्पताल में भर्ती हुए थे, उनके फेफड़ों के असामान्यहोने की आशंका 14 गुणा अधिक थी।
वहीं मस्तिष्क के प्रभावित होने की आशंका करीब तीन गुना अधिक थी। हालांकि शोधकर्ताओं के मुताबिक इन मरीजों के दिल और जिगर बेहतर काम कर रहे थे। इनके मस्तिष्क में ऐसे बदलाव देखे गए जो हल्के संज्ञानात्मक गिरावट से जुड़े हैं। इसी तरफ फेफड़ों में देखे गए बदलावों में घाव और सूजन जैसे लक्षण शामिल थे।
इस बारे में एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और अध्ययन से जुड़ी प्रमुख शोधकर्ता बेट्टी रमन ने जानकारी दी है कि, उन मरीजों में जिनके कई अंग इससे प्रभावित थे उनमें शारीरिक और मानसिक प्रभावों के अनुभव होने की आशंका चार गुणा अधिक थी। जो उनके रोजमर्रा के कामों को पूरा करने पर असर डाल रहा था।
गौरतलब है कि इस अध्ययन का उद्देश्य लॉन्ग कोविड की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए बेहतर उपचार के विकास में मदद करना है। हालांकि साथ ही शोधकर्ताओं ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि यह अध्ययन महामारी के पहले चरण के दौरान किया गया था। जब टीकाकरण और संक्रमण से पैदा हुई इम्युनिटी ने अपना प्रभाव नहीं डाला था।
साथ ही इस अध्ययन में ओमिक्रॉन वेरिएंट को भी शामिल नहीं किया गया है जो मौजूदा समय में दुनिया भर में हावी है।
भारत में भी अब तक 4.49 करोड़ से ज्यादा लोगों को बीमार कर चुकी है यह महामारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक यह महामारी अब तक 77 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है। जिनमें से 69,58,499 लोगों की अब तक मौत हो चुकी हैं। वहीं जो इस बीमारी से उबर चुके हैं उनमें से कई अभी भी लॉन्ग कोविड की समस्या से जूझ रहे हैं।
यदि भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों को देखें तो यह महामारी देश में अब तक 4.49 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रभावित कर चुकी है। इनमे से अब तक 532,031 मरीजों की मौत हो चुकी हैं, जबकि 4.45 करोड़ मरीज इस बीमारी से उबर चुके हैं।
हाल ही में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के लॉस एंजिल्स स्वास्थ्य विज्ञान संस्थान (यूसीएलए) द्वारा किए अध्ययन से पता चला है कि कोविड-19 से उबरने के 90 दिनों बाद भी करीब 30 फीसदी लोगों में पोस्ट एक्यूट सीक्वल यानी लॉन्ग कोविड की समस्या बनी रह सकती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड-19 के साथ मधुमेह और मोटापे से ग्रस्त मरीजों में इसकी चपेट में आने की आशंका सबसे ज्यादा होती है।
वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंग्लिया द्वारा किए नए अध्ययन से पता चला है कि कोरोना के खिलाफ टीकाकरण मरीजों में लॉन्ग कोविड के जोखिम को आधा कर सकता है। रिसर्च के नतीजे जर्नल जामा इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुए हैं।
देश-दुनिया में कोविड-19 के बारे में ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के कोविड-19 ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।