इस साल स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ शहर की थीम के साथ मनाया जा रहा है विश्व मृदा दिवस

दुनिया का 95 फीसदी से अधिक भोजन मिट्टी पर निर्भर है। मिट्टी पौधों को 18 में से 15 आवश्यक पोषक रासायनिक तत्व उपलब्ध कराती है।
दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।
दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • दुनिया का 95 फीसदी भोजन मिट्टी पर निर्भर है, फिर भी मिट्टी तेजी से क्षरण का सामना कर रही है।

  • दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।

  • विश्व मृदा दिवस पांच दिसंबर को मनाया जाता है, इसका प्रस्ताव 2002 में आया और 2014 में पहली बार आधिकारिक रूप से मनाया गया।

  • विश्व मृदा दिवस 2025 की थीम “स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ शहर”, शहरी मिट्टी की भूमिका और उसके संरक्षण पर जोर देती है।

  • 2050 तक भोजन की मांग पूरी करने के लिए कृषि उत्पादन में 60 फीसदी वृद्धि की जरूरत होगी, जिसे सतत मृदा प्रबंधन से हासिल किया जा सकता है।

हर साल पांच दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारे पैरों के नीचे मौजूद मिट्टी केवल धूल का ढेर नहीं, बल्कि जीवन की बुनियाद है। आज जब पर्यावरण तेजी से बिगड़ रहा है, तब मिट्टी का महत्व और भी बढ़ जाता है। धरती पर जीवन की निरंतरता काफी हद तक मिट्टी की सेहत पर निर्भर करती है, लेकिन दुख की बात है कि हम इसकी ओर सबसे कम ध्यान देते हैं।

मिट्टी क्यों है इतनी महत्वपूर्ण?

हमारी अधिकांश खाने की चीजें-चाहे वह अनाज हों, सब्जियां, फल या दालें सीधे मिट्टी से ही आती हैं। दुनिया का 95 फीसदी से अधिक भोजन मिट्टी पर निर्भर है। मिट्टी पौधों को 18 में से 15 आवश्यक पोषक रासायनिक तत्व उपलब्ध कराती है। यह पौधों, जानवरों और इंसानों के जीवन चक्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।

लेकिन इसके बावजूद, मिट्टी दुनिया के सबसे उपेक्षित प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक खेती, खराब कृषि पद्धतियां, जंगलों की कटाई और शहरों का बढ़ता विस्तार मिट्टी की गुणवत्ता को लगातार खराब कर रहे हैं।

मिट्टी कटाव न केवल भूमि को बंजर बनाता है, बल्कि पानी के प्राकृतिक प्रवाह को भी बाधित करता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता है। इसके साथ ही मिट्टी की सेहत बिगड़ने से खाद्य पदार्थों में पोषक तत्व भी कम होते जा रहे हैं।

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दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि मिट्टी का निर्माण बेहद धीमी प्रक्रिया है। दो से तीन सेंटीमीटर उपजाऊ मिट्टी बनने में लगभग 1,000 साल तक लग सकते हैं। इस हिसाब से अगर हम मिट्टी को नष्ट करते रहे, तो भविष्य में खाद्य संकट गहरा सकता है

विश्व मृदा दिवस का इतिहास

विश्व मृदा दिवस की शुरुआत की सोच वर्ष 2002 में उभरी, जब इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉइल साइंसेज ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का प्रस्ताव रखा। इसके बाद खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और थाईलैंड के नेतृत्व में ग्लोबल सॉइल पार्टनरशिप ने इस विचार को आगे बढ़ाया।

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दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।

कई वर्षों के प्रयास के बाद, दिसंबर 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक रूप से पांच दिसंबर को विश्व मृदा दिवस घोषित किया। इसके बाद 2014 में पहला विश्व मृदा दिवस दुनिया भर में मनाया गया।

विश्व मृदा दिवस 2025 की थीम: “स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ शहर”

जब मिट्टी संरक्षण या मृदा क्षरण की बात आती है, तो आमतौर पर हमारे दिमाग में गांव, खेत और जंगलों की तस्वीरें उभरती हैं। लेकिन हम भूल जाते हैं कि शहरों की मिट्टी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

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दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।

इस साल की थीम - "स्वस्थ मिट्टी, स्वस्थ शहर" हमें यह याद दिलाती है कि ऊंची इमारतों, व्यस्त सड़कों और कंक्रीट की परतों के नीचे भी मिट्टी मौजूद होती है, और उसका अपना महत्व है।

शहरी मिट्टी कई तरह से हमारी मदद करती है:

  • यह बारिश के पानी को सोखकर बाढ़ के खतरे को कम करती है।

  • पौधों को समर्थन देकर हवा की गुणवत्ता सुधारने में योगदान देती है।

  • इसमें कार्बन संग्रहित होकर जलवायु परिवर्तन की गति धीमी होती है।

  • यह तापमान नियंत्रित कर शहरों को अधिक रहने योग्य बनाती है।

  • आज जब शहर तेजी से फैल रहे हैं, तब शहरी मिट्टी की सुरक्षा और प्रबंधन बेहद जरूरी हो गया है।

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दो से तीन सेमी उपजाऊ मिट्टी बनने में करीब 1,000 साल लगते हैं, इसलिए मिट्टी का नुकसान बेहद गंभीर खतरा है।

भविष्य की जरूरतें और मिट्टी का महत्व

दुनिया की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है और इसके साथ ही भोजन की मांग भी। अनुमान है कि 2050 तक दुनिया भर में भोजन की मांग को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन में 60 फीसदी की बढ़ोतरी करनी होगी। इतना उत्पादन हासिल करना तभी संभव है जब हम मिट्टी की रक्षा करें और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाना होगा।

सतत मृदा प्रबंधन के जरिए दुनिया 58 फीसदी तक अधिक भोजन उगा सकती है, बिना प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाए। यह न केवल किसानों के लिए बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है।

विश्व मृदा दिवस 2025 हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि मिट्टी केवल खेतों में ही नहीं, बल्कि हमारे शहरों की धड़कनों में भी शामिल है। यदि मिट्टी स्वस्थ होगी, तो हमारा भोजन, पर्यावरण और भविष्य तीनों सुरक्षित रहेंगे। समय आ गया है कि हम मिट्टी को वह महत्व दें जिसकी वह हकदार है।

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