
शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने जलवायु परिवर्तन के एक नए व चिंताजनक प्रभाव को सामने लाने की कोशिश की है, जो है मिट्टी के बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध का बढ़ना। इस शोध की अगुवाई डरहम विश्वविद्यालय के बायोसाइंसेज विभाग के शोधकर्ताओं के द्वारा की गई है।
शोध से पता चला है कि जैसे-जैसे दुनिया भर में तापमान बढ़ता है, मिट्टी के बैक्टीरिया में ऐसे जीन के बढ़ने के आसार बढ़ जाते हैं जो उन्हें एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बनाते हैं।
यह खोज विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि मिट्टी में बैक्टीरिया का एक प्रमुख भंडार है, जिनमें से कई हानिकारक कीड़ों में प्रतिरोधक जीन पहुंच सकते हैं जो मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित करते हैं।
नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित शोध में पाया गया कि बढ़ते तापमान के चलते मिट्टी के बैक्टीरिया को अधिक अनुकूलन होने, अधिक सक्रिय और उन दवाओं से बचने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित बना रही है जो उन्हें मारने के लिए बनाई गई हैं।
स्वास्थ्य के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया दुनिया भर में स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा हैं। शोध से पता चलता है कि बढ़ते तापमान से न केवल इन बैक्टीरिया को पर्यावरण में लंबे समय तक जीवित रहने में मदद मिलती है, बल्कि खतरनाक रोगजनकों को भी तेजी से विकसित होने का मौका मिल सकता है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि अधिकांश लोगों को यह एहसास नहीं है कि कई संक्रमण प्राकृतिक वातावरण में शुरू होने वाले बैक्टीरिया से आते हैं। जैसे-जैसे मिट्टी के बैक्टीरिया अधिक प्रतिरोधी होते जाते हैं, वैसे-वैसे अनुपचारित संक्रमणों की आशंका बढ़ती जाती है।
स्वास्थ्य के नजरिए की जरूरत को सामने लाते हुए, यह पहचानते हुए कि लोगों, जानवरों और पर्यावरण का स्वास्थ्य सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
भविष्य के खतरे और दुनिया भर में इसके प्रभाव
शोध से पता चलता है कि तापमान में मामूली वृद्धि भी मिट्टी में एंटीबायोटिक प्रतिरोध में बड़ी वृद्धि का कारण बन सकती है। यह विशेष रूप से ठंडे क्षेत्रों में सच है जहां गर्मी हानिकारक बैक्टीरिया को लंबे समय तक जीवित रहने की अनुमति देती है।
शोध में मशीन लर्निंग का उपयोग करके यह अनुमान लगाया गया कि यदि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन उच्च स्तर पर जारी रहा तो साल 2100 तक मिट्टी में एंटीबायोटिक प्रतिरोधी जीन (एआरजी) का स्तर 23 फीसदी तक बढ़ सकता है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह शोध दुनिया भर की पिछली रिपोर्टों में लगाए गए पूर्वानुमानों की पुष्टि करता है कि जलवायु परिवर्तन केवल मौसम के बारे में नहीं है, यह इस बारे में भी है कि बीमारियां कैसे बदल सकती हैं और फैल सकती हैं।