कृषि भूमि में कटाव व पानी की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बना जलवायु परिवर्तन

शोध मिट्टी के कटाव, तलछट के नुकसान और पानी की गुणवत्ता को कम करने में जलवायु की भूमिका को उजागर करता है।
शोध मिट्टी के कटाव, तलछट के नुकसान और पानी की गुणवत्ता को कम करने में जलवायु की भूमिका को सामने लाता है।
शोध मिट्टी के कटाव, तलछट के नुकसान और पानी की गुणवत्ता को कम करने में जलवायु की भूमिका को सामने लाता है। फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक अध्ययन ने बड़े पैमाने पर जलवायु में बदलाव करने वाले कारणों और निकलते सेडीमेंट या तलछट की मात्रा के बीच के संबंध को उजागर किया है। ये कारण पानी की गुणवत्ता में एक अहम भूमिका निभाते हैं।

मिट्टी के कटाव पर बदलते मौसम के पैटर्न के प्रभाव पर आधारित इस शोध से पता चलता है कि जलवायु सूचकांकों का उपयोग जमीन के प्रबंधन और स्थानीय जलमार्गों में तलछट के खतरे से सबसे अच्छे तरीके से निपटने के लिए किया जा सकता है।

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शोध में कहा गया है कि कृषि और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते दबाव के साथ, पश्चिमी यूरोप में पानी की गुणवत्ता के लिए मिट्टी का कटाव और फैलता तलछट एक भारी चिंता का विषय बना हुआ है। जबकि पिछले अध्ययनों ने मौसम के पैटर्न पर उत्तरी अटलांटिक दोलन (एनएओआई) जैसी व्यापक जलवायु प्रणालियों के प्रभावों का पता लगाया है।

एक नया सूचकांक जो पश्चिमी यूरोप में दबाव विसंगति (डब्ल्यूईपीएआई), जो कैनरी द्वीप और आयरलैंड के बीच वायुमंडलीय दबाव के अंतर पर आधारित है। इस क्षेत्र के लिए अधिक सीधे प्रासंगिक के रूप में प्रस्तावित किया गया है, विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी यूरोप में।

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मौसम संबंधी रिकॉर्ड, जलवायु सूचकांक और भारी बहाव और मिट्टी की माप से लंबे समय के आंकड़ों का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने चार साल की अवधि में इन जलवायु को चलाने वाले और निकलते तलछट की मात्रा के बीच संबंधों का पता लगाया।

एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में पाया गया कि सर्दियों के महीनों में, तलछट के स्तर और डब्ल्यूईपीएआई सूचकांक के बीच बहुत ज्यादा बेहतर संबंध पाए गए, जबकि एनएओआई के साथ ऐसा नहीं था। दिलचस्प बात यह है कि गर्मियों में ऐसा कोई पैटर्न नहीं देखा गया था। एनएओआई के अध्ययन में खोजे गए किसी भी स्थानीय पैमाने पर तलछट प्रतिक्रियाओं से जुड़ा नहीं पाया गया।

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शोध के निष्कर्ष के मुताबिक, बहुत ज्यादा तलछट के नुकसान की अवधि को समझाने में डब्ल्यूईपीएआई की क्षमता की ओर इशारा करते हैं, जिससे किसानों और भूमि प्रबंधकों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है।

उनकी गतिविधियों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा किस तरह बढ़ता है। हालांकि अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि अलग-अलग परिदृश्यों पर और अधिक शोध की जरूरत है ताकि इस बात की पुष्टि की जा सके कि क्या ये परिणाम सही हैं।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि शोध मिट्टी के कटाव, तलछट के नुकसान और पानी की गुणवत्ता को कम करने में जलवायु की भूमिका को सामने लाता है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि शोध इन खतरों से निपटने के लिए बेहतर योजना बनाने में मदद करेगा।

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