
एक नए अध्ययन में बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के विकृत होने और उनकी गतिविधि का सटीक अनुमान लगाने के लिए नए तरीके विकसित किए जा रहे हैं।
इस अध्ययन में कैम्ब्रिज, पेनसिल्वेनिया और मैरीलैंड विश्वविद्यालयों के शोधकर्ता शामिल हैं। अध्ययन में बर्फ के विकृति की जांच-पड़ताल की गई है, जो ग्लेशियरों और बर्फ की चादरों की गतिविधि में एक अहम प्रक्रिया है, जिस पर जलवायु परिवर्तन का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
समुद्र का तापमान बढ़ने से बर्फ की चादरें किनारों पर पतली हो जाती हैं, जिससे बर्फ और पिघला हुआ पानी समुद्र में मिल जाता है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ जाता है।
नेचर जियोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि समुद्र के स्तर में वृद्धि का अनुमान लगाना लोगों को बाढ़ से बचाने और तटीय कटाव की योजना बनाने के लिए जरूरी है।
शोध में कहा गया है कि वैज्ञानिकों द्वारा यह कैसे किया जाता है, इसका एक मुख्य भाग प्रवाह नियम नामक मॉडल पर आधारित है, जो एक गणितीय समीकरण है जो बर्फ के प्रवाह के आकार का वर्णन करता है। वर्तमान में दो सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले प्रवाह नियम हैं, लेकिन वे बर्फ के व्यवहार की पूरी जटिलता को नहीं पकड़ते हैं।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि हमें अधिक सटीक प्रवाह नियम की जरूरत है ताकि हम पूर्वानुमान की गलतियों को कम कर सकें, खासकर जिस तरह से जलवायु परिवर्तन आगे बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं ने न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस सहित दुनिया भर के प्रयोगों से 70 सालों के आंकड़ों को एकत्र किया और एक विस्तृत डेटाबेस तैयार किया।
शोध में उन्नत सांख्यिकीय विधियों का उपयोग किया गया है जो पिछले बर्फ-प्रवाह मॉडल की अनिश्चितताओं और सीमाओं को ध्यान में रखते हैं, जिससे भविष्य में बर्फ की चादर की गति के बारे में अधिक विश्वसनीय पूर्वानुमान लगाना संभव हो पाता है। बहुत सी चीजें हैं जो समुद्र के स्तर में वृद्धि के लिए जिम्मेवार हैं और बर्फ की चादर का भविष्य शायद सबसे बड़ी अनिश्चितता है।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि हमें बर्फ के व्यवहार का अधिक सटीक वर्णन करने की आवश्यकता है, खासकर यदि हम बर्फ की चादर मॉडलिंग को पूर्वानुमान लगाने के उपकरण के रूप में उपयोग करना चाहते हैं। यदि हम चाहते हैं कि अगले कुछ दशकों में बर्फ की गति के बारे में हमारे पूर्वानुमान पुख्ता हों, तो हमें आकार संबंधी गीतविधि को सही तरीके से समझना होगा।