
हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि गर्म होती जलवायु के कारण ऊंचे पर्वतीय एशिया में बर्फ पर बारिश (आरओएस) की घटनाओं से बाढ़ के खतरे बढ़ गए हैं। अध्ययन में बर्फ पर बारिश की घटनाओं के कारणों और बाढ़ के खतरों का विश्लेषण किया गया है। यह अध्ययन चीनी विज्ञान अकादमी के झिंजियांग पारिस्थितिकी और भूगोल संस्थान के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया है।
बर्फ पर बारिश (आरओएस) की घटनाएं तब होती हैं जब बारिश मौजूदा बर्फ पर गिरती है और जम जाती है, जिससे बर्फ की परत बन जाती है, इसके कारण वन्यजीवों, बुनियादी ढांचे और वहां रहने वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। यह वह इलाका होता है जहां बारिश और बर्फ आपस में मिलती हैं, जो ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आम हैं और बाढ़ और हिमस्खलन का कारण बन सकती हैं।
भारतीय मॉनसून जो दक्षिणी और पूर्वी उच्च पर्वतीय एशिया (एचएमए) पर हावी है, गर्मियों में प्रचुर मात्रा में जल वाष्प लाता है। यह मॉनसूनी बारिश, भारी ऊंचाई वाले पहाड़ों में बर्फ और बारिश का मिश्रण है, जिसके चलते गर्मियों में अक्सर बर्फ पर बारिश (आरओएस) घटनाएं होती हैं।
आरओएस और बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय पैटर्न के बीच सहसंबंधों की भी पहचान की गई है, जैसे कि उत्तरी झिंजियांग में आर्कटिक और उत्तरी अटलांटिक दोलन सूचकांकों के बीच नकारात्मक संबंध हैं। अटलांटिक मल्टीडेकेडल दोलन भी एचएमए में सालाना बर्फबारी को प्रभावित करता है।
अध्ययन में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया है कि ऊंचे पर्वतीय एशिया में हर साल औसतन 22.4 आरओएस वाले दिन होते हैं, जिसमें गंगा बेसिन में सबसे अधिक 45.8 दिन होते हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि अधिकांश आरओएस की घटनाएं सर्दियों में क्षेत्र के दो-तिहाई भाग में होती हैं, विशेष रूप से यांग्त्जी और अमु दरिया जैसी प्रमुख नदियों के किनारे। वसंत में इनमें से लगभग 25 फीसदी घटनाएं होती हैं, मुख्य रूप से बाल्खश झील के पास, जबकि गर्मियों में (13.5 फीसदी) घटनाएं ज्यादातर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होती हैं और शरद ऋतु की घटनाएं कभी-कभार होती हैं।
औसत रोजमर्रा बर्फ पर बारिश (आरओएस) की तीव्रता 5.29 मिमी है, जो मुख्य रूप से बारिश (65.9 फीसदी) और बर्फ पिघलने (34.1 फीसदी) के कारण होती है। जबकि आरओएस के दिनों की संख्या सालाना 0.031 दिनों से कम हो रही है, आरओएस की घटनाओं का समय पहले हो रहा है और उनकी तीव्रता कमजोर हो रही है। कम ऊंचाई पर, बर्फबारी के दिनों में कमी से आरओएस घटनाओं में कमी आती है, जबकि अधिक ऊंचाई पर, बारिश के दिनों में वृद्धि से आरओएस की घटनाएं अधिक बार होती हैं।
एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस में प्रकाशित अध्ययन में आरओएस बाढ़ की घटनाओं (आरओएसफ्लड) के खतरे पर प्रकाश डाला गया है, जिसके कारण तेजी से बर्फ पिघल सकती है। भारी हिमपात वाले क्षेत्रों में कम हिमपात वाले क्षेत्रों की तुलना में 2.83 गुना अधिक हिमपात होता है।
गंगा और इरावदी बेसिन को आरओएस बाढ़ के लिए सबसे ज्यादा जोखिम वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाना जाता है, जिसमें रोजाना तीव्रता 24.87 मिमी तक पहुंच जाती है। भारी जोखिम वाले क्षेत्र आमतौर पर 3.0 और 4.5 किमी के बीच की ऊंचाई पर स्थित होते हैं।
अध्ययन के ये निष्कर्ष पर्वतीय क्षेत्रों में बाढ़ की रोकथाम और आपदा प्रबंधन को बढ़ाने के लिए बर्फ पर बारिश (आरओएस) के पैटर्न को समझने के महत्व पर प्रकाश डालते हैं।