दुनिया भर में जलवायु में बदलाव को लेकर क्या महसूस करते हैं लोग: सर्वेक्षण

शोधकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन पर 30 देशों के 30,000 से अधिक लोगों की राय का पता लगाया
जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।
जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, इवान रैडिक
Published on

दुनिया भर में 30 देशों के 30,000 से अधिक लोगों के सर्वेक्षण में यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में क्या महसूस करते हैं। ये भावनाएं जलवायु में बदलाव को कम करने के लिए किए जा रहे कामों, उनकी धारणाओं और उनके समर्थन से कैसे जुड़े हुए हैं जो इस समस्या से निपटने की बात करते हैं।

दुनिया भर में जलवायु से संबंधित भावनाओं की तीव्रता और जलवायु में बदलाव को कम करने के लिए किए जा रहे कामों तथा उनसे जुडी धारणाओं के साथ उनके अंतर्संबंध की जांच-पड़ताल की गई।

यह सर्वेक्षण डेनमार्क में आरहूस विश्वविद्यालय और ऑस्ट्रिया में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स एनालिसिस (आईआईएएसए) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने किया। उन्होंने 30 देशों में वयस्कों के लिए 19 अलग-अलग भाषाओं में एक ऑनलाइन सर्वेक्षण किया, अगस्त से दिसंबर 2022 तक लोगों की प्रतिक्रियाएं एकत्र की गई।

शोध के मुताबिक, आंकड़ों के विश्लेषण में, शोधकर्ताओं ने 30 देशों में पांच जलवायु को लेकर उत्पन्न होने वाली भावनाओं जैसे - भय, आशा, क्रोध, उदासी और चिंता की तीव्रता को लेकर मानचित्रण किया, जिससे दुनिया भर में जलवायु भावनाओं में स्पष्ट अंतर सामने आए:

यह भी पढ़ें
मूलवासियों की भागीदारी और ज्ञान से जलवायु परिवर्तन से निपटना होगा आसान
जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।

जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।

शोध के मुताबिक, यूरोपीय देशों को सबसे कम उम्मीद वाले देशों में गिना गया है, जिसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया और स्वीडन शामिल हैं। यह तब है जब इन देशों (और ग्लोबल नॉर्थ) के प्रतिभागियों ने प्राकृतिक आपदाओं के साथ कम प्रत्यक्ष अनुभव और जलवायु परिवर्तन से अपेक्षाकृत कम नुकसान सहा है।

यह भी पढ़ें
जलवायु संग्रहालय बदल रहा है लोगों की सोच, क्यों हैं खास?
जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।

तीन दक्षिण यूरोपीय देशों - स्पेन, इटली और ग्रीस में प्रतिभागियों द्वारा क्रोध और दुख की सबसे अधिक तीव्रता से व्यक्त किया। ब्राजील में प्रतिभागियों ने जलवायु परिवर्तन के संबंध में भय और चिंता दोनों को सबसे अधिक व्यक्त किया।

अध्ययन का एक अहम लक्ष्य जलवायु भावनाओं और सौर विकिरण संशोधन (एसआरएम) और कार्बन डाइऑक्साइड हटाने (सीडीआर) से जुड़ी जलवायु में बदलाव को कम करने वाली तकनीकों के बारे में दुनिया भर के लोगों की भावनाओं के बीच अंतरसंबंध का पता लगाना था।

यह भी पढ़ें
केला निर्यात पर जलवायु परिवर्तन का असर, 2080 तक खतरा बढ़ेगा: शोध
जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि जलवायु कार्रवाई के प्रकारों जैसे बदलाव को कम करना और उसके अनुकूल होने के अलावा, जलवायु आपदाओं के अधिक प्रमाण और उत्सर्जन में कमी की अपर्याप्त गति के कारण जलवायु में बदलाव को कम करने पर अधिक ध्यान दिया जाना रहा है।

जर्नल रिस्क एनालिसिस में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने पांच जलवायु भावनाओं और 10 अलग-अलग जलवायु में बदलाव को कम करने वाली तकनीकों के लिए समर्थन के बीच सांख्यिकीय संबंध की जांच की, जिसमें वनीकरण, प्रत्यक्ष वायु कैप्चर और स्ट्रेटोस्फेरिक एयरोसोल इंजेक्शन शामिल हैं।

यह भी पढ़ें
ग्लोबल वार्मिंग के कारण शहरों में बढ़ सकती हैं आग लगने की घटनाएं
जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।

ग्लोबल साउथ के उत्तरदाताओं के द्वारा सबसे अधिक मजबूती से व्यक्त की गई (आशा) जलवायु हस्तक्षेप के लिए समर्थन का एक प्रमुख भविष्यवक्ता बनकर उभरी। विशेष रूप से एसआरएम नजरिया और सीडीआर के नए रूपों के लिए, जैसे कि प्रत्यक्ष वायु कैप्चर करना।

डरना भी जलवायु में बदलाव को कम करने की तकनीकों के लिए सकारात्मक पाया गया, हालांकि आशावान या चिंतित होने की तुलना में इसका प्रभाव कम देखा गया।

यह भी पढ़ें
जलवायु परिवर्तन की मार: 2050 तक शीतकालीन ओलंपिक के लिए 93 में से सिर्फ 52 जगहें बचेंगी
जलवायु परिवर्तन के बारे में सबसे अधिक आशावादी 12 देशों में ग्लोबल साउथ - जिसमें नाइजीरिया, केन्या, भारत और इंडोनेशिया सहित 11 विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल थीं। इस समूह में ग्लोबल नॉर्थ से एकमात्र देश अमेरिका शामिल था।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि आशा और चिंता के साथ, यह सुझाव देता है कि भय और सुरक्षात्मक कार्रवाई की उनकी इच्छा, जलवायु में बदलाव को कम करने के अधिक सकारात्मक रूप से जुड़ी हुई है।

शोध के परिणाम दुनिया भर में जलवायु को लेकर अलग-अलग भावनाओं, ग्लोबल साउथ में जलवायु परिवर्तन पर अलग-अलग नजरिए और कुछ प्रस्तावित समाधानों के साथ न जुड़ने के संभावित परिणामों को सामने लाते हैं।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in