गर्मी की गिरफ्त में सर्दी: 2025 में अक्टूबर बना जलवायु इतिहास का तीसरा सबसे गर्म महीना

वैज्ञानिकों ने चेताया है कि वैश्विक तापमान में जिस तरह इजाफा हो रहा है उसके चलते 2025 के तीन सबसे गर्म वर्षों में शामिल होने की पूरी आशंका है
फोटो: आईस्टॉक
फोटो: आईस्टॉक
Published on
सारांश
  • अक्टूबर 2025 में धरती ने जलवायु इतिहास का तीसरा सबसे गर्म अक्टूबर दर्ज किया, जब वैश्विक औसत तापमान 15.14 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

  • यदि 1850-1900 के औद्योगिक काल से पहले के समय से इसकी तुलना करें जब बढ़ते तापमान ने अपने असर दिखाने शुरू किए थे, तब से 1.55 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।

  • विशेषज्ञों का मानना है कि यह जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है, जो भविष्य में और भी गंभीर हो सकता है।

  • यदि नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच पिछले 12 महीनों का औसत तापमान देखें तो वो औद्योगिक काल से पहले की तुलना  में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज हुआ है।

  • विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के दुनिया के तीन सबसे गर्म वर्षों में शामिल होने की पूरी आशंका है।

  • 2025 भले ही अब तक का सबसे गर्म साल न बने, लेकिन यह तीन सबसे गर्म वर्षों में जरूर शामिल होगा। इन पिछले तीन सालों में धरती ने असाधारण गर्मी झेली है, और 2023 से 2025 का औसत तापमान पहली बार डेढ़ डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने की आशंका है और ऐसा इतिहास में पहली बार होगा।

धरती लगातार सुलग रही है, भले ही यह सर्दियों का महीना है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कभी सर्द होने वाला नवंबर अब तक उतना सर्द क्यों नहीं। कहीं न कहीं यह जलवायु परिवर्तन का ही असर है, जो वातावरण को पहले से और गर्म बना रहा है। मतलब की बढ़ते तापमान की तपिश हमारे जीवन को भी प्रभावित करने लगी है।

गर्मी की यह तपिश पिछले महीने भी दर्ज की गई जब दुनिया ने अपने जलवायु इतिहास के तीसरे सबसे गर्म अक्टूबर का सामना किया।

यूरोपियन एजेंसी कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने अपनी नई रिपोर्ट में जानकारी दी है कि अक्टूबर 2025 दुनिया के जलवायु इतिहास का तीसरा सबसे गर्म अक्टूबर था। इस दौरान सतह का वैश्विक औसत तापमान 15.14 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। देखा जाए तो यह 1991 से 2020 के औसत तापमान से 0.70 डिग्री सेल्सियस अधिक है।

यह भी पढ़ें
2025 में धरती ने झेला तीसरा सबसे गर्म सितंबर, सामान्य से 1.47 डिग्री सेल्सियस ऊपर रहा तापमान
फोटो: आईस्टॉक

आम जीवन में भी दिखने लगी है गर्मी की तपिश

वहीं यदि 1850-1900 के औद्योगिक काल से पहले के समय से इसकी तुलना करें जब बढ़ते तापमान ने अपने असर दिखाने शुरू किए थे, तब से 1.55 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।

इसका मतलब साफ है, धरती अब उस डेढ़ डिग्री सेल्सियस की सीमा को छू चुकी है, जिसे वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन की लक्ष्मण रेखा के रूप में परिभाषित किया है। इसके आगे जलवायु परिवर्तन के असर और भयावह हो जाएंगे। मतलब की जिस तरह से हम बढ़ते तापमान के साथ लू, बाढ़, सूखा, तूफान जैसी आपदाओं का असर पहले से कहीं घातक हो जाएगा।

इस बारे में यूरोपीय जलवायु एजेंसी से जुड़ी सामंथा बर्गेस का प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, “अब हम उस दशक में पहुंच चुके हैं, जब डेढ़ डिग्री की सीमा पीछे छूट जाएगी। अक्टूबर 2025 भले सबसे गर्म अक्टूबर न रहा हो, लेकिन यह साफ संकेत है कि हमारी धरती तेजी से बदल रही है।”

नहीं उतर रहा धरती का बुखार

बता दें कि इससे पहले सितम्बर का महीना भी जलवायु इतिहास का तीसरा सबसे गर्म सितम्बर था। जब तापमान सामान्य से 1.47 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया था।

कुछ ऐसा ही अगस्त 2025 में भी देखने को मिला जब अगस्त का तापमान औद्योगिक काल से पहले की तुलना में 1.29 डिग्री सेल्सियस अधिक था, जो इसे इतिहास का तीसरा सबसे गर्म अगस्त बनाता है।

यह भी पढ़ें
तपती धरती: 2025 में दुनिया ने झेला तीसरा सबसे गर्म अगस्त
फोटो: आईस्टॉक

वहीं यदि नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच पिछले 12 महीनों का औसत तापमान देखें तो वो औद्योगिक काल से पहले की तुलना  में 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 के दुनिया के तीन सबसे गर्म वर्षों में शामिल होने की पूरी आशंका है।

डॉक्टर बर्गेस के मुताबिक 2025 भले ही अब तक का सबसे गर्म साल न बने, लेकिन यह तीन सबसे गर्म वर्षों में जरूर शामिल होगा। इन पिछले तीन सालों में धरती ने असाधारण गर्मी झेली है, और 2023 से 2025 का औसत तापमान पहली बार डेढ़ डिग्री सेल्सियस से ऊपर जाने की आशंका है और ऐसा इतिहास में पहली बार होगा।

यूरोप से आर्कटिक तक बदल रहा मौसम

रिपोर्ट से पता चला है कि यूरोप में अक्टूबर का औसत तापमान 10.19 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से थोड़ा अधिक है। इस दौरान फिनलैंड, स्पेन और पुर्तगाल असामान्य रूप से गर्म रहे, जबकि दक्षिण-पूर्वी यूरोप में कुछ ठंडक महसूस की गई।

यूरोप के बाहर, कनाडा, आर्कटिक महासागर और पूर्वी अंटार्कटिका ने रिकॉर्ड तोड़ गर्मी दर्ज की। वहीं, रूस और मंगोलिया के हिस्सों में तापमान सामान्य से नीचे रहा।

यह भी पढ़ें
क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2025: जलवायु आपदाओं में तीन दशक में मारे गए 8 लाख लोग, भारत के 80 हजार से ज्यादा शामिल
फोटो: आईस्टॉक

उबलने लगे हैं समुद्र

देखा जाए तो वैश्विक तापमान में इस तरह इजाफा हो रहा है कि समुद्र भी अब ठंडक नहीं दे पा रहे हैं। अक्टूबर 2025 में वैश्विक स्तर पर समुद्री सतह का औसत तापमान 20.54 डिग्री रहा, जो अब तक का तीसरा सबसे ऊंचा स्तर है।

यह अक्टूबर 2023 के रिकॉर्ड से 0.24 डिग्री सेल्सियस कम और 2015 के मुकाबले 0.02 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।

इस दौरान उत्तरी प्रशांत महासागर के अधिकतर हिस्सों में समुद्र का तापमान सामान्य से काफी ऊपर रहा। खासकर पश्चिमी क्षेत्र में रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। इसके विपरीत, मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में तापमान सामान्य के आसपास या थोड़ा कम रहा, जो अल नीनो के न्यूट्रल से कमजोर ला नीना की स्थिति में बदलाव को दर्शाता है।

वहीं, यूरोपीय आर्कटिक महासागर और इंडोनेशिया के पास पूर्वी हिंद महासागर में भी समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गया।

यह भी पढ़ें
खतरे के कगार पर पृथ्वी: नीतियों में न हुआ बदलाव तो सक्रिय हो सकते हैं कई क्लाइमेट टिप्पिंग प्वाइंट्स
फोटो: आईस्टॉक

पिघलती बर्फ के साथ घट रही उम्मीदें

ध्रुवों पर जमा बर्फ की बात करें तो आर्कटिक में समुद्री बर्फ का विस्तार अक्टूबर के औसत से 12 फीसदी कम रहा, यानी इतिहास में आठवां मौका है जब अक्टूबर में इतनी कम बर्फ दर्ज की गई। इस दौरान सबसे कम बर्फ यूरोपीय-एशियाई हिस्से में देखी गई, खासकर फ्रांज जोसेफ लैंड और सेवर्नाया जेमल्या के उत्तर में, जहां सतही तापमान सामान्य से काफी अधिक था।

रिपोर्ट के मुताबिक अंटार्कटिका में भी स्थिति चिंताजनक रही। यहां अक्टूबर में समुद्री बर्फ औसत से 6 फीसदी कम रही, जो अब तक की तीसरी सबसे कम मात्रा है। बेलिंग्सहाउजेन सागर और हिंद महासागर क्षेत्र के आसपास बर्फ में सबसे ज्यादा कमी दर्ज हुई, जहां तापमान सामान्य से कहीं अधिक रहा। यह इस बात का भी स्पष्ट संकेत है कि गर्मी अब ध्रुवों को भी नहीं बख्श रही।

कहीं बारिश-बाढ़, कहीं सूखे की मार

अक्टूबर 2025 में मौसम का मिजाज काफी बदला-बदला रहा। अक्टूबर 2025 में दक्षिण-पूर्वी यूरोप में सामान्य से अधिक बारिश हुई। खासकर बाल्कन क्षेत्र में जिसमें बुल्गारिया, दक्षिण रोमानिया, सर्बिया, बोस्निया एंड हर्ज़ेगोविना, ग्रीस और तुर्की के पश्चिमी तट शामिल हैं। इसी तरह नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क, दक्षिणी फ्रांस, आयरलैंड और स्पेन के कुछ पूर्वी हिस्सों में भी बारिश सामान्य से अधिक रही।

यह भी पढ़ें
क्या अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा 2025? वैज्ञानिकों ने जताई तीन फीसदी आशंका
फोटो: आईस्टॉक

वहीं, स्पेन के अन्य हिस्सों, उत्तरी इटली, आइसलैंड और उत्तर-पूर्वी यूरोप में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई।

यूरोप से बाहर देखें तो पश्चिमी अमेरिका, उत्तर-पश्चिमी मैक्सिको, अलास्का, कोरियाई प्रायद्वीप, पूर्वी चीन, उत्तरी भारत, नेपाल, दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी चिली में भी सामान्य से अधिक बारिश हुई।

इसके विपरीत, पूर्वी कनाडा, उत्तर-पूर्वी मैक्सिको, उत्तरी अफ्रीका (मोरक्को सहित), अरब प्रायद्वीप, रूस के बड़े हिस्सों और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में बारिश की कमी दर्ज की गई।

यह भी पढ़ें
धुंधली हुई 1.5 डिग्री सेल्सियस की उम्मीद: सदी के अंत तक 2.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है तापमान
फोटो: आईस्टॉक

कॉप-30 पर टिकी उम्मीदें

देखा जाए तो जलवायु में आ रहे यह बदलाव धरती का मौन संदेश देते हैं। अक्टूबर 2025 के ये आंकड़े किसी रिपोर्ट के महज रुझान नहीं, बल्कि धरती की थकी, थमती सांसों का लेखा-जोखा हैं। हर गर्म दिन, हर पिघलती बर्फ और हर असामान्य बारिश हमें चेतावनी दे रही है कि अब वक्त नहीं, कार्रवाई चाहिए।

एक बार फिर हर किसी की नजरे ब्राजील में सोमवार से शुरू हो रहे जलवायु सम्मेलन कॉप-30 पर टिकी हैं, क्योंकि उसमें लिए फैसले आने वाले भविष्य की पटकथा को लिखेंगे।

एक बात तो तय है कि अगर हम अभी नहीं संभले तो आने वाले दशक में यह गर्मी सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि हमारे जीवन में महसूस होगी और इसका खामियाजा पूरी मानवता को उठाना पड़ेगा।

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in