दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से हाल-बेहाल, दिल्ली में 377, नोएडा में बढ़कर 391 पर पहुंचा एक्यूआई

दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 9 रिकॉर्ड किया गया
चित्रण: तारिक अजीज/सीएसई
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सारांश
  • नोएडा में 27 नवंबर को एक्यूआई 391 दर्ज हुआ, जो देश में सबसे खराब है, जबकि दिल्ली 377 के साथ तीसरे स्थान पर रही। पीएम2.5 के उच्च स्तर ने हालात ‘बेहद खराब’ बना दिए हैं।

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 नवंबर, 2025 को 252 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 4.8 फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं 30.2 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 65 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।

  • दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 9 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 42 गुणा खराब है।

  • राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां एक्यूआई बढ़कर 377 दर्ज किया गया है।

  • आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (381) दूसरे जबकि दिल्ली (377) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 368 अंकों के साथ मानेसर चौथे स्थान पर है।

  • गाजियाबाद-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 358 और 350 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

  • भिवाड़ी (349) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में हापुड़ (344), सोनीपत (331) और रोहतक (329) भी शामिल हैं।

  • देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़) और हरियाणा के पांच शहर (मानेसर, धारूहेड़ा, भिवाड़ी, सोनीपत, रोहतक) शामिल हैं।

  • तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां सात अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 203 रिकॉर्ड किया गया।

विश्लेषण से पता चला है कि 27 नवंबर 2025 को देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा खराब रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 391 पर पहुंच गया। गौरतलब है कि 26 नवंबर को नोएडा में एक्यूआई 350 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 41 अंकों का इजाफा हुआ है।   

इसके साथ ही नोएडा में स्थिति अभी भी ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है। नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।

दूसरी तरफ देश में शिलांग की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 9 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना शिलांग से करें तो वहां स्थिति 42 गुणा खराब है।

बता दें कि 26 नवंबर को देश में हापुड़ की स्थिति सबसे खराब थी, जब एक्यूआई 366 दर्ज किया गया था। हालांकि 27 नवंबर को 22 अंकों के सुधार के साथ हापुड़ में एक्यूआई घटकर 344 पर पहुंच गया है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां एक्यूआई बढ़कर 377 दर्ज किया गया है। दिल्ली में अभी भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है, जहां प्रदूषण का स्तर निर्धारित डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,400 फीसदी अधिक है। गौरतलब है कि 11 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित शहर दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 428 तक पहुंच गया था। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 27 नवंबर, 2025 को 252 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 4.8 फीसदी शहरों में हवा साफ है।

वहीं 30.2 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 65 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है। चिंता की बात यह है कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में 7.7 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।

वहीं संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में कल से 13.4 फीसदी का इजाफा हुआ है। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इन शहरों में कल से करीब एक फीसदी का इजाफा हुआ है। खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में 10.3 फीसदी की गिरावट आई है।

इसी तरह देश में बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब सात फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जोकि राहत की खबर है। फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 203 रिकॉर्ड किया गया है।  

आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (381) दूसरे जबकि दिल्ली (377) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 368 अंकों के साथ मानेसर चौथे स्थान पर है। गाजियाबाद-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 358 और 350 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।

भिवाड़ी (349) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में हापुड़ (344), सोनीपत (331) और रोहतक (329) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के चार (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, हापुड़) और हरियाणा के पांच शहर (मानेसर, धारूहेड़ा, भिवाड़ी, सोनीपत, रोहतक) शामिल हैं।

विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, दिल्ली, मानेसर, धारूहेड़ा, भिवाड़ी, हापुड़, सोनीपत, रोहतक, चरखी दादरी, गुरुग्राम, भिवानी, पीथमपुर, बागपत, देवास, नंदेसरी, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, भुवनेश्वर, धौलपुर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), कटक, करनाल, कोल्लम, गुम्मिडीपूंडी, खुर्जा, हल्दिया, जींद, राजमहेंद्रवरम, सिंगरौली, ग्वालियर, डूंगरपुर, जालौर, यमुना नगर, बेलापुर, मंडीदीप, नारनौल, बहादुरगढ़, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, परभणी, कोटा, फरीदाबाद, टोंक, तिरुमाला, हनुमानगढ़, बालासोर, तालचेर, चूरू, कोलकाता, नागपुर, सांगली, धुले, पाली, हावड़ा, राजसमंद, सीकर, उदयपुर, कटनी, सिरोही, बारबिल, झुंझुनू, मंडीखेड़ा, विरार, उल्हासनगर, भोपाल, भिवंडी, चित्तूर, मुंबई, नागौर, पटना, नांदेड़, जयपुर, हाजीपुर, बाड़मेर, आरा, भीलवाड़ा, नवी मुंबई आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।

वहीं ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, सूरत, चंद्रपुर, कल्याण, बीकानेर, लखनऊ, अहमदाबाद, आगरा, भरतपुर, प्रयागराज, सासाराम, कोल्हापुर, ठाणे, पिंपरी-चिंचवाड़, पटियाला, बांसवाड़ा, मीरा-भायंदर, वाराणसी, वृंदावन, क्योंझर, चेन्नई, सवाई माधोपुर, अजमेर, मंडी गोबिंदगढ़, जालंधर, गांधीनगर, फिरोजाबाद, बदलापुर, धनबाद, बद्दी, बिलीपाड़ा, कैथल, औरंगाबाद (महाराष्ट्र), दुर्गापुर, जैसलमेर, इंदौर, खन्ना, सागर, कानपुर, अलवर, बेंगलुरु, भागलपुर, नासिक, रायपुर, रायरंगपुर, सोलापुर आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है।

इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है। इन शहरों के विपरीत देश के 4.8 फीसदी यानी महज 12 शहरों में हवा साफ है।

इन साफ हवा वाले शहरों में बेगूसराय, चामराजनगर, दमोह, गंगटोक, गोरखपुर, किशनगंज, मंगलौर, ऊटी, पलकलाईपेरुर, शिलांग आदि शामिल हैं। 

आज देश के जिन 76 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें बिहार शरीफ, बिलासपुर, बोइसर, ब्रजराजनगर, छपरा, चिक्कमगलुरु, कोयंबटूर, देहरादून, धारवाड़, डिंडीगुल, एलूर, गया, गुवाहाटी, हुबली, जबलपुर, जलना, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, काशीपुर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, मैहर, मालेगांव, मंगुराहा, मोतिहारी, मैसूर, नागांव, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, नयागढ़ आदि शामिल हैं।

इन शहरों के उलट आज देश के 115 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।

इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (महाराष्ट्र), अमृतसर, अंकलेश्वर, अररिया, आरा, आसनसोल, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बद्दी, बदलापुर, बालासोर, बांसवाड़ा, बारां, बारबिल, बारीपदा, बाड़मेर, बैरकपुर, बेंगलुरु, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भोपाल, बीकानेर, बिलीपाड़ा, बूंदी, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, चूरू, कुड्डालोर, दौसा, दावनगेरे, धनबाद, धुले, दुर्गापुर, फिरोजाबाद, गांधीनगर, हाजीपुर, हनुमानगढ़, हावड़ा, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, झालावाड़, झुंझुनू, जोधपुर, कैथल, कल्याण, कानपुर, करौली, कटिहार, कटनी, क्योंझर, खन्ना, कोल्हापुर, कोलकाता, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाड, मंडी गोबिंदगढ़, मंडीखेड़ा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागौर, नागपुर, नाहरलागुन, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पटियाला, पटना, पिंपरी-चिंचवाड़, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुकोट्टई, पुणे, रायपुर, रायरंगपुर, राजसमंद, सागर, सलेम, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिरोही, सोलापुर, श्री गंगानगर, तालचेर, ठाणे, तिरुपुर, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, वातवा, विरार, वृंदावन, यादगीर शामिल हैं।

आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 35 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अमरावती (आंध्रप्रदेश), बागपत, बहादुरगढ़, बेलापुर, भुवनेश्वर, बुलंदशहर, चंद्रपुर, कटक, देवास, धौलपुर, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुम्मिडीपूंडी, ग्वालियर, हल्दिया, जालौर, जींद, करनाल, खुर्जा, कोल्लम, कोटा, कुरुक्षेत्र, मंडीदीप, मुजफ्फरनगर, नंदेसरी, नारनौल, परभणी, पीथमपुर, राजमहेंद्रवरम, सिंगरौली, सूरत, तिरुमाला, टोंक, यमुना नगर शामिल हैं।

इसी तरह आज देश के 14 शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में भिवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, हापुड़, मानेसर, मेरठ, नोएडा, रोहतक, सोनीपत शामिल हैं।  

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 252 में से महज 12 शहरों में हवा 'बेहतर' है। 76 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 26 नवंबर 2025 को यह आंकड़ा 67 दर्ज किया गया था।

115 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।

दूसरे शहरों की तुलना में आज भी नोएडा (391) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल हापुड़ में सूचकांक 350 रिकॉर्ड किया गया था। मतलब की आज वहां प्रदूषण के स्तर में 41 अंकों का उछाल आया है। हालांकि नोएडा में अभी भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 'बेहद खराब' श्रेणी में बना हुआ है।

गौरतलब है कि कल (26 नवंबर) देश में हापुड़ की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 366 दर्ज किया गया था। हालांकि आज वहां 22 अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 344 रिकॉर्ड किया गया है।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा दर्ज किया गया है। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 377 पर पहुंच गया। दूसरी तरफ फरीदाबाद में कल से प्रदूषण में गिरावट आई है, जहां सात अंकों के सुधार के साथ एक्यूआई घटकर 203 रिकॉर्ड किया गया।

गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।

प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 27 नवंबर को मानेसर चौथे स्थान पर है, वहीं ग्रेटर नोएडा (381) दूसरे, जबकि दिल्ली (377) तीसरे स्थान पर है।

अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 234, गाजियाबाद में 358, गुवाहाटी में 89, गुरूग्राम में 317, नोएडा में 391, ग्रेटर नोएडा में 381 पर पहुंच गया है।

इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 167 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 184, चेन्नई में 124, चंडीगढ़ में 124, हैदराबाद में 108, जयपुर में 162 और पटना में 165 दर्ज किया गया।

इन शहरों में साफ रही हवा

देश के जिन 12 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, बेगूसराय, चामराजनगर, दमोह, गंगटोक, गोरखपुर, किशनगंज, मंगलौर, ऊटी, पलकलाईपेरुर, शिलांग, तिरुनेलवेली शामिल हैं।

वहीं अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अंबाला, अनंतपुर, अरियालुर, बागलकोट, बरेली, बेलगाम, बेतिया, भिलाई, बिहार शरीफ, बिलासपुर, बोइसर, ब्रजराजनगर, छपरा, चिक्कमगलुरु, कोयंबटूर, देहरादून, धारवाड़, डिंडीगुल, एलूर, गया, गुवाहाटी, हुबली, जबलपुर, जलना, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, करूर, काशीपुर, कोहिमा, कोप्पल, कोरबा, कुंजेमुरा, मदिकेरी, मदुरै, मैहर, मालेगांव, मंगुराहा, मोतिहारी, मैसूर, नागांव, नागपट्टिनम, नलबाड़ी, नयागढ़, पलवल, पंचगांव, पंचकुला, पेरुंदुरई, पुडुचेरी, पूर्णिया, रामनाथपुरम, ऋषिकेश, राउरकेला, रूपनगर, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, शिवमोगा, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरसा, शिवसागर, सिवान, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुपति, तुमडीह, वापी, विजयवाड़ा, विरुधुनगर आदि 76 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:

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