दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में गंभीर है प्रदूषण, वजीरपुर, अशोक विहार और मुंडका में सबसे खराब स्थिति

दिल्ली में मॉनिटरिंग किए गए 36 में से 30 इलाकों में वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर बना हुआ है। मतलब कि इन इलाकों में अभी भी गैस चैम्बर जैसे हालात हैं
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प्रदूषण में गिरावट के बावजूद दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में प्रदूषण का स्तर गंभीर बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आज सुबह नौ बजे जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली के मॉनिटरिंग किए गए 36 में से 30 इलाकों में वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर बना हुआ है। मतलब कि इन इलाकों में अभी भी गैस चैम्बर जैसे हालात हैं।

वहीं अन्य छह इलाकों की स्थिति भी कोई खास अच्छी नहीं है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक अभी भी 'बेहद खराब' बना हुआ है। इन इलाकों में अभी भी वायु गुणवत्ता का स्तर अभी भी 360 से ऊपर है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली में वजीरपुर, अशोक विहार, मुंडका और जहांगीरपुरी में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। वजीरपुर में जहां एक्यूआई 467 रिकॉर्ड किया गया। वहीं अशोक विहार और मुंडका में भी सूचकांक 465 पर बना हुआ है। इसी तरह जहांगीरपुरी में भी एक्यूआई 464 दर्ज किया गया। अलीपुर-बवाना-रोहिणी में वायु गुणवत्ता का स्तर 462 रिकॉर्ड किया गया है। विवेक विहार की स्थिति भी कोई खास अच्छी नहीं रही जहां एक्यूआई 461 तक पहुंच गया है।

आनंद विहार (456) और नरेला (454) में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 के ऊपर बना हुआ है।

इसी तरह सोनिया विहार (448), पंजाबी बाग (447), नेहरू नगर (445), द्वारका सेक्टर 8 (440), पटपड़गंज (439), और मंदिर मार्ग (432) में स्थिति आपात बनी हुई है।

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इसी तरह डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, दिलशाद गार्डन, आरके पुरम, नजफगढ़, पूसा, शादीपुर, सिरीफोर्ट, नॉर्थ कैंपस दिल्ली यूनिवर्सिटी, आईजीआई एयरपोर्ट, डी.टी.यू, ओखला फेज II, श्री अरबिंदो मार्ग, आईटीओ और आया नगर में भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से ऊपर है। मतलब की इन सभी इलाकों में अभी भी हवा जहरीली बनी हुई है।

वहीं दूसरी तरफ एनएसआईटी द्वारका, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, सीआरआरआई मथुरा रोड, चांदनी चौक, लोधी रोड और मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में वायु गुणवत्ता सूचकांक 350 के ऊपर बना हुआ है। एनएसआईटी द्वारका में वायु गुणवत्ता सूचकांक 398 रिकॉर्ड किया गया है।

वहीं जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम (396) और सीआरआरआई मथुरा रोड (391) में भी सूचकांक 390 के ऊपर है। हालांकि चांदनी चौक और लोधी रोड में भी हालात कोई खास अच्छे नहीं हैं। देखा जाए तो दिल्ली की हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना देने के लिए काफी है।

देखा जाए तो दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता का जो स्तर है वो न केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन बल्कि भारत सरकार द्वारा वायु गुणवत्ता को लेकर जारी मानकों से भी कई गुणा अधिक है। दिल्ली में प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है कि उसकी वजह से लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि ऐसा लग रहा है कि जैसे दिल्लीवासी गैस चैम्बर में रह रहे हैं।

कल जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो दिल्ली में वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों से 2,967 फीसदी अधिक है। पिछले पांच दिनों से दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर आपात स्थिति में बना हुआ है। देश में दिल्ली ही नहीं पांच अन्य शहरों में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' बनी हुई है।

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इन शहरों में गाजियाबाद (434), हापुड (419), बुलन्दशहर (416), हाजीपुर (404) और गुरूग्राम (402) शामिल हैं, जहां एक्यूआई 400 के पार है। वहीं बल्लभगढ़ में भी एक्यूआई 400 पर बना हुआ है।

दिल्ली के पड़ोसी शहर फरीदाबाद में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 320 दर्ज किया गया है। हालांकि फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में 47 अंकों की गिरावट आई है।

क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक

देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।

इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।

यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।

ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।

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