
दिल्ली में प्रदूषण थमने का नाम ही नहीं ले रहा। नरेला, सोनिया विहार और अलीपुर में तो स्थिति इस कदर खराब है कि वहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 तक पहुंच गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति दिल्ली के अन्य क्षेत्रों की भी है, जहां आज सुबह भी वायु गुणवत्ता 'गंभीर' बनी हुई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 नवंबर 2024 की सुबह आठ बजे जारी आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ बनी हुई है। मतलब की दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार है। देखा जाए तो दिल्ली की हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना देने के लिए काफी है।
ताजा रुझानों के मुताबिक जहां आनंद विहार में वायु गुणवत्ता सूचकांक 499 रिकॉर्ड किया गया। वहीं बवाना में सूचकांक 498 पर बना हुआ है। इस मामले में दिलशाद गार्डन, पटपड़गंज और विवेक विहार में भी ज्यादा पीछे नहीं हैं, जहां एक्यूआई 496 रिकॉर्ड किया गया है।
कुछ ऐसी ही स्थिति जहांगीरपुरी, मुंडका, रोहिणी, शादीपुर और वजीरपुर की है, जहां सुबह एक्यूआई 495 दर्ज किया गया। अशोक विहार और पूसा में 494, जबकि मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम पर सूचकांक 493 रिकॉर्ड किया गया है। इसी तरह मंदिर मार्ग, पंजाबी बाग, और द्वारका सेक्टर 8 पर भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 490 के पार है।
आंकड़ों के अनुसार डॉ कर्णी सिंह शूटिंग रेंज, डी.टी.यू और नेहरू नगर में एक्यूआई 489 दर्ज किया गया है। जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, सिरीफोर्ट, नजफगढ़, आरके पुरम, ओखला फेज II और लोधी रोड में भी स्थिति कोई खास अच्छी नहीं है, वहां भी वायु गुणवत्ता सूचकांक 480 के पार है। इसके बाद श्री अरबिंदो मार्ग पर एक्यूआई 478 दर्ज किया गया है, जबकि एनएसआईटी, द्वारका पर भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। दिल्ली में सिर्फ आईटीओ पर वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से नीचे है, लेकिन वहां भी वो 396 पर बना हुआ है।
देखा जाए तो दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता का जो स्तर है वो न केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन बल्कि भारत सरकार द्वारा वायु गुणवत्ता को लेकर जारी मानकों से भी कई गुणा अधिक है। दिल्ली में प्रदूषण इस कदर हावी हो चुका है, कि उसकी वजह से लोगों के लिए सांस लेना तक दुश्वार हो गया है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि ऐसा लग रहा है कि दिल्लीवासी गैस चैम्बर में रह रहे हैं।
बता दें कि कल भी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानकों से करीब 3,200 फीसदी अधिक दर्ज किया गया था। आज भी स्थिति वैसी ही बनी हुई है।
सीपीसीबी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदूषण के मामले में गुरूग्राम भी ज्यादा पीछे नहीं है, जहां कल (18 नवंबर 2024) वायु गुणवत्ता सूचकांक 469 तक पहुंच गया था। इसी तरह बहादुरगढ़ में भी 453 अंकों के साथ वायु गुणवत्ता गंभीर बनी हुई है।
दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में भी वायु गुणवत्ता 'आपात' स्थिति में है। इस दौरान जहां भिवाड़ी में एक्यूआई 447 दर्ज किया गया, वहीं धारूहेड़ा में 447, गाजियाबाद में 438, हापुड में 431, सोनीपत में 430, भिवानी में 429 और नोएडा में सूचकांक 423 रिकॉर्ड किया गया है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' है, जहां कल से एक्यूआई में 92 अंकों का उछाल आया है। इसके बाद फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 367 तक पहुंच गया है।
वहीं दूसरी तरफ देश के महज दस शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहतर दर्ज किया गया। इन शहरों में आइजोल, चामराजनगर, कोयंबटूर, मदुरै, मैहर, नगांव, रामनाथपुरम, तंजावुर, त्रिशूर आदि शामिल थे। हालांकि चिंता की बात यह है कि पिछले 24 घंटों में देश में साफ हवा वाले शहरों की संख्या में 63 फीसदी की गिरावट आई है।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।