

नोएडा में वायु गुणवत्ता सूचकांक 410 तक पहुंच गया है, जो 'गंभीर' श्रेणी में आता है।
दिल्ली और गुरुग्राम में भी स्थिति बेहद खराब है। नोएडा में प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में तिरुनेलवेली की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 29 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना तिरुनेलवेली से करें तो वहां स्थिति 13 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां एक अंक के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 374 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है।
19 दिसंबर, 2025 को 233 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 2.5 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 25.8 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 71.7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 251 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (376) दूसरे जबकि दिल्ली (374) तीसरे स्थान पर है।
इसी तरह 358 अंकों के साथ गाजियाबाद चौथे स्थान पर है। विशाखापत्तनम-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 347 और 332 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
बल्लभगढ़ (324) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में गुरुग्राम (322), सिंगरौली (302), ब्यासनगर (300) भी शामिल हैं।
आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के तीन (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद) और हरियाणा के तीन शहर (गुरुग्राम, बल्लभगढ़, धारूहेड़ा) शामिल हैं।
विश्लेषण से पता चला है कि 19 दिसंबर 2025 को देश में नोएडा की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित रही, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई बढ़कर 410 तक पहुंच गया। गौरतलब है कि 18 दिसंबर को नोएडा में एक्यूआई 397 दर्ज किया गया था। मतलब कि कल से वहां प्रदूषण में 13 अंकों का उछाल आया है। इसके साथ ही नोएडा में आज स्थिति 'बेहद खराब' से 'गंभीर' हो गई है।
रुझानों में सामने आया है कि नोएडा की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) पूरी तरह हावी हैं। देखा जाए तो वहां फिजाओं में घुला जहर इतना ज्यादा है कि वो लोगों को बेहद बीमार बना देने के लिए काफी है।
नोएडा से स्थिति किस कदर खराब है, इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से 2,500 फीसदी अधिक है।
दूसरी तरफ देश में तिरुनेलवेली की हवा सबसे साफ है, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक महज 29 रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर नोएडा की तुलना तिरुनेलवेली से करें तो वहां स्थिति 13 गुणा खराब है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां एक अंक के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 374 पर पहुंच गया। हालांकि दिल्ली में आज भी वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी हुई है। चिंता की बात यह है कि दिल्ली में अभी भी प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ मानकों से 2,300 फीसदी अधिक है।
गौरतलब है कि इससे पहले 14 नवंबर को दिल्ली में साल का सबसे प्रदूषित दिन दर्ज किया गया था, जब एक्यूआई बढ़कर 461 तक पहुंच गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 19 दिसंबर, 2025 को 233 शहरों के लिए जारी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से जहां महज 2.5 फीसदी शहरों में हवा साफ है।
वहीं 25.8 फीसदी में स्थिति संतोषजनक बनी हुई है, जबकि दूसरी तरफ 71.7 फीसदी शहरों में हालात चिंताजनक हैं। मतलब की देश के ज्यादातर शहरों में आज भी हवा चिंताजनक है।
बता दें कि कल से देश में साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 54 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरी तरफ संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में 13 फीसदी से अधिक का इजाफा दर्ज किया गया। मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की बात करें तो इनकी संख्या में सात फीसदी का इजाफा हुआ है।
दूसरी तरह खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो उनकी गिनती में कल से करीब 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जोकि राहत की खबर है। इसी तरह बेहद खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में कल से 33 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।
फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक 251 रिकॉर्ड किया गया है।
आंकड़ों से पता चला है कि प्रदूषण के मामले में ग्रेटर नोएडा (376) दूसरे जबकि दिल्ली (374) तीसरे स्थान पर है। इसी तरह 358 अंकों के साथ गाजियाबाद चौथे स्थान पर है। विशाखापत्तनम-धारूहेड़ा में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जो 347 और 332 अंकों के साथ पांचवें और छठे पायदान पर हैं।
बल्लभगढ़ (324) सातवें स्थान पर हैं। इसी तरह दस सबसे प्रदूषित शहरों में गुरुग्राम (322), सिंगरौली (302), ब्यासनगर (300) भी शामिल हैं। गौरतलब है कि आज देश के दस सबसे प्रदूषित शहरों में उत्तर प्रदेश के तीन (नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद) और हरियाणा के तीन शहर (गुरुग्राम, बल्लभगढ़, धारूहेड़ा) शामिल हैं।
विश्लेषण से यह भी पता चला है कि नोएडा, ग्रेटर नोएडा, दिल्ली, गाजियाबाद, विशाखापत्तनम, धारूहेड़ा, बल्लभगढ़, गुरुग्राम, सिंगरौली, ब्यासनगर, भिवाड़ी, ग्वालियर, सोनीपत, बद्दी, राजमहेंद्रवरम, मानेसर, गुम्मिडीपूंडी, तालचेर, मेरठ, बहादुरगढ़, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, फरीदाबाद, बालासोर, पंचगांव, मंडीखेड़ा, बारबिल, कटक, मुजफ्फरनगर, अंगुल, हल्दिया, आसनसोल, तिरुमाला, हाजीपुर, बुलंदशहर, नारनौल, हापुड़, बिहार शरीफ, रूपनगर, पिंपरी-चिंचवाड़, पुणे, कुरुक्षेत्र, अनंतपुर, हावड़ा, आगरा, खुर्जा, तिरुपुर, कोटा, जयपुर, फिरोजाबाद, जींद, चरखी दादरी, तुमकुरु, राजगीर, जलगांव, यमुना नगर, नाहरलागुन, भिवानी, चेन्नई, करनाल, मंगुराहा, अमरावती (आंध्रप्रदेश), पटना, कोलकाता, भीलवाड़ा, बर्नीहाट, धौलपुर, भागलपुर, प्रयागराज आदि शहरों की हवा में प्रदूषण के महीन कण (पीएम2.5) हावी हैं।
वहीं बीकानेर, किशनगंज, टोंक, सीकर, हनुमानगढ़, धनबाद, चूरू, मंडीदीप, बिलीपाड़ा, पानीपत, झुंझुनू, नागौर, उल्हासनगर, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़, जालौर, औरंगाबाद (बिहार), सवाई माधोपुर, फतेहाबाद, महाद, सांगली, बाड़मेर, ठाणे, नांदेड़, बदलापुर, बोइसर, हिसार, रतलाम, अलवर, ब्रजराजनगर, दौसा, सासाराम, देवास, रायरंगपुर, कैथल, अजमेर, बारां, मीरा-भायंदर, पटियाला, क्योंझर, सोलापुर, टेन्सा, कुंजेमुरा, लुधियाना, दावनगेरे, सिलीगुड़ी आदि शहरों में पीएम10 से स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसी तरह कुछ शहरों में कार्बन और ओजोन से स्थिति खराब है।
इन शहरों के विपरीत देश के 2.6 फीसदी यानी महज छह शहरों में हवा साफ है। इन साफ हवा वाले शहरों में आइजोल, भिलाई, चामराजनगर, दमोह, मंगलौर, तिरुनेलवेली आदि शामिल हैं।
आज देश के जिन 60 शहरों में वायु गुणवत्ता सन्तोषजनक है, उनमें हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलना, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, कटिहार, कटनी, कोहिमा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मैहर, मोतिहारी, मैसूरु, नागपुर, पेरुंदुरई, रायपुर, राजसमंद, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, थूथुकुडी, त्रिशूर, वापी, वातवा, विरार, वृंदावन, यादगीर आदि शामिल हैं।
इन शहरों के उलट आज देश के 123 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है।
इन शहरों में आगरा, अहमदाबाद, अजमेर, अलवर, अमरावती (आंध्रप्रदेश), अंबाला, अमृतसर, अनंतपुर, अररिया, औरंगाबाद (बिहार), औरंगाबाद (महाराष्ट्र), बदलापुर, बारां, बाड़मेर, बैरकपुर, बठिंडा, बेगूसराय, बेंगलुरु, भागलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, भिवंडी, भिवानी, भोपाल, बिलीपाड़ा, बोइसर, ब्रजराजनगर, बर्नीहाट, चरखी दादरी, चेन्नई, चित्तौड़गढ़, चूरू, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दौसा, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धनबाद, धौलपुर, डूंगरपुर, दुर्गापुर, फतेहाबाद, फिरोजाबाद, गया, गुवाहाटी, हनुमानगढ़, हिसार, हावड़ा, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, जलगांव, जालौर, झालावाड़, झुंझुनू, जींद, जोधपुर, कैथल, कल्याण, कानपुर, करौली, करनाल, क्योंझर, खुर्जा, कोलकाता, कोल्लम, कोटा, कुंजेमुरा, कुरुक्षेत्र, लातूर, लखनऊ, लुधियाना, महाद, मंडीदीप, मंगुराहा, मिलुपारा, मीरा-भायंदर, मुरादाबाद, मुंबई, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, नागांव, नागौर, नाहरलागुन, नलबाड़ी, नांदेड़, नासिक, नवी मुंबई, पाली, पंचकुला, पानीपत, परभनी, पटियाला, पटना, पीथमपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, पुडुचेरी, रायरंगपुर, राजगीर, रतलाम, राउरकेला, सागर, सांगली, सासाराम, सवाई माधोपुर, सीकर, सिलीगुड़ी, सिवान, सोलापुर, श्री गंगानगर, सुआकती, टेन्सा, ठाणे, तिरुवनंतपुरम, तिरुपुर, तुमकुरु, उदयपुर, उल्हासनगर, वाराणसी, विजयवाड़ा, यमुना नगर शामिल हैं।
आंकड़ों में यह भी सामने आया है कि आज देश के 35 शहरों में वायु गुणवत्ता खराब है। इन शहरों में अंगुल, आसनसोल, बद्दी, बहादुरगढ़, बालासोर, बारबिल, भिवाड़ी, भुवनेश्वर, बिहार शरीफ, बीकानेर, बुलंदशहर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, कटक, फरीदाबाद, गुम्मिडीपूंडी, ग्वालियर, हाजीपुर, हल्दिया, हापुड़, किशनगंज, मंडीखेड़ा, मानेसर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, नारनौल, पंचगांव, पिंपरी-चिंचवाड़, पुणे, राजमहेंद्रवरम, रूपनगर, सोनीपत, तालचेर, तिरुमाला, टोंक शामिल हैं।
इसी तरह आज देश के आठ शहरों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब है। इन शहरों में बल्लभगढ़, दिल्ली, धारूहेड़ा, गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, सिंगरौली, विशाखापत्तनम शामिल हैं। वहीं नोएडा में वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में है।
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 233 में से महज छह शहरों में हवा 'बेहतर' है। 60 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) रिकॉर्ड किया गया, गौरतलब है कि 18 दिसंबर 2025 को यह आंकड़ा 53 दर्ज किया गया था।
123 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में आज नोएडा (410) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां एक्यूआई 420 के करीब पहुंच गया। बता दें कि कल से नोएडा में प्रदूषण के स्तर में 13 अंकों का उछाल आया है। इसके साथ ही नोएडा में आज वायु गुणवत्ता बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में पहुंच गई है।
राजधानी दिल्ली की बात करें तो कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है। इसके बावजूद वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी में बना हुआ है। दिल्ली में एक अंक के उछाल के साथ आज वायु गुणवत्ता सूचकांक बढ़कर 374 पर पहुंच गया।
फरीदाबाद में भी कल से प्रदूषण में इजाफा हुआ है, जहां 12 अंकों के उछाल के साथ एक्यूआई बढ़कर 251 रिकॉर्ड किया गया। मतलब की फरीदाबाद में आज भी वायु गुणवत्ता खराब बनी हुई है।
गौरतलब है कि पिछले दो-तीन महीनों में जून, जुलाई और अगस्त के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता ज्यादातर दिन संतोषजनक रही। वहीं जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली की हवा साफ कही जा सके। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि लोगों के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो गया।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर लगातार जारी है। प्रदूषण के मामले में 19 दिसंबर को गाजियाबाद चौथे स्थान पर है, वहीं ग्रेटर नोएडा (376) दूसरे, जबकि दिल्ली (374) तीसरे स्थान पर है। अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो ग्वालियर में इंडेक्स 293, गाजियाबाद में 358, गुवाहाटी में 128, गुरूग्राम में 322, नोएडा में 410, ग्रेटर नोएडा में 376 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 130 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम‘ स्तर को दर्शाता है, जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 133, चेन्नई में 163, चंडीगढ़ में 254, हैदराबाद में 88, जयपुर में 178 और पटना में 161 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन छह शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, उनमें आइजोल, भिलाई, चामराजनगर, दमोह, मंगलौर, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, अहमदनगर, अकोला, अमरावती (महाराष्ट्र), अंकलेश्वर, आरा, बांसवाड़ा, बरेली, बेलापुर, बेलगाम, बेतिया, बिलासपुर, बूंदी, चंद्रपुर, छाल, छपरा, चिक्कमगलुरु, चित्तूर, धुले, गांधीनगर, गोरखपुर, हुबली, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, जलना, झांसी, कडप्पा, कलबुर्गी, कन्नूर, कटिहार, कटनी, कोहिमा, कोल्हापुर, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मैहर, मोतिहारी, मैसूरु, नागपुर, पेरुंदुरई, रायपुर, राजसमंद, सहरसा, समस्तीपुर, सतना, शिलांग, शिवमोगा, सिलचर, सिरोही, सिरसा, शिवसागर, थूथुकुडी, त्रिशूर, वापी, वातवा, विरार, वृंदावन, यादगीर आदि 60 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
कल देश में वायु गुणवत्ता की स्थिति कैसी थी इसकी जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर के पिछले अंक से प्राप्त कर सकते हैं:
नोएडा की हवा सबसे जहरीली, 400 के करीब एक्यूआई, दिल्ली-फरीदाबाद में बढ़ा प्रदूषण