वायु प्रदूषण के मामले में पांचवे पायदान पर भारत, दिल्ली है दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी: आईक्यू एयर

रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के महज सात देश ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पीएम2.5 के लिए जारी मानकों पर खरे हैं
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक
Published on

क्या आप जानते हैं कि दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों की लिस्ट में भारत किस स्थान पर है। वायु गुणवत्ता पर नजर रखने वाले अंतराष्ट्रीय संगठन आईक्यू एयर ने इस बारे में अपनी नई रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों की लिस्ट में भारत पांचवें स्थान पर है, जहां 2024 में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत स्तर 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया है।

यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी मानकों के लिहाज से देखें तो देश में वायु गुणवत्ता दस गुणा खराब है। 2023 में इस लिस्ट में भारत तीसरे स्थान पर था।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि पिछले साल के मुकाबले भारत में प्रदूषण के स्तर में गिरावट आई है। 2023 में प्रदूषण के इन महीन कणों का स्तर 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था।

भारत में स्थिति किस कदर खराब है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया में सबसे खराब हवा वाले 100 स्थानों में से 74 भारत में हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 83 दर्ज किया गया था।

गौरतलब है कि 91.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ अफ्रीकी देश चाड पहले स्थान पर हैं, जहां पीएम2.5 डब्ल्यूएचओ मानकों से 18 गुणा अधिक है। वहीं बांग्लादेश दूसरे स्थान पर रहा, जहां पीएम2.5, 78  माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकॉर्ड किया गया, जो मानकों से 15 गुणा अधिक है।

पाकिस्तान में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां 2024 में प्रदूषण के महीन कण पीएम2.5 का औसत वार्षिक स्तर 73.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। इसी तरह कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य 58.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के साथ प्रदूषण के मामले में इस साल चौथे स्थान पर है।

यह भी पढ़ें
प्रदूषण में सबसे आगे बिहार का हाजीपुर, मानकों से 1860 फीसदी ज्यादा रही वायु गुणवत्ता
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक

रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि दुनिया के केवल सात देश ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पीएम2.5 के लिए जारी मानकों पर खरे हैं। बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने इसके लिए पांच माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा निर्धारित की है। इन देशों में ऑस्ट्रेलिया, बहामास, बारबाडोस, एस्टोनिया, ग्रेनेडा, आइसलैंड और न्यूजीलैंड शामिल हैं।

बर्नीहाट अव्वल, दिल्ली है दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी

गौरतलब है कि आईक्यू एयर ने अपनी इस सातवीं वार्षिक रिपोर्ट में 138 देशों, क्षेत्रों और प्रदेशों के 8,954 स्थानों पर 40,000 से अधिक वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।

इस विश्लेषण के मुताबिक दुनिया के महज 17 फीसदी शहर ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी वायु गुणवत्ता मानकों पर खरे हैं। 2023 में यह आंकड़ा नौ फीसदी दर्ज किया गया था।

इसी तरह दुनिया के 138 देशों और क्षेत्रों में से 91.3 फीसदी यानी 126 में पीएम2.5 का स्तर स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करता है।

रिपोर्ट में इस बात की भी पुष्टि की गई है कि दक्षिण-पूर्व एशिया के करीब हर एक देश में पीएम2.5 के स्तर में गिरावट आई है, हालांकि सीमा पार धुंध और अल नीनो से स्थिति खराब रही। यदि दुनिया के सबसे साफ क्षेत्र की बात करें तो इस मामले में ओशिनिया सबसे ऊपर रहा। 2024 के दौरान इसके 57 फीसदी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी मानकों पर खरे थे।

यह भी पढ़ें
सावधान! वायु प्रदूषण से दिमाग पर पड़ रहा बुरा असर, रोजमर्रा के कामों में हो रही कठिनाई
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया की 99 फीसदी आबादी ऐसी हवा में सांस ले रही है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं है। बता दें कि प्रदूषण के यह महीन कण स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। इनके संपर्क में आने से अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों के साथ-साथ स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

इतना ही नहीं गर्भावस्था और बचपन के शुरूआती दिनों में इन कणों का संपर्क जन्म के समय हृदय सम्बन्धी दोष, एक्जिमा और एलर्जी के साथ-साथ तंत्रिका संबंधी विकार और कई मानसिक समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि दुनिया के 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 13 भारतीय हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि प्रदूषण के मामले में मेघालय का बर्नीहाट पहले स्थान पर है, जहां पीएम2.5 का वार्षिक औसत स्तर 128.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है। वहीं दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है।

अन्य शहरों में मुल्लांपुर, फरीदाबाद, लोनी, नई दिल्ली, गुरुग्राम, गंगानगर, ग्रेटर नोएडा, भिवाड़ी, मुजफ्फरनगर, हनुमानगढ़ और नोएडा शामिल हैं। 

यह भी पढ़ें
भारत में हवा का आपातकाल: बच्चों के लिए जीवन-मृत्यु का सवाल बनता वायु प्रदूषण
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक

वहीं दुनिया के नौ सबसे प्रदूषित शहरों में से छह भारतीय शहर हैं, जो अपने आप में इस बात की पुष्टि करता है कि देश की हवा किस हद तक खराब है। दूसरी तरफ प्यूर्टो रिको के मायाग्यूज महानगर की हवा सबसे साफ थी, जहां पीएम2.5 का औसत वार्षिक स्तर 1.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा।

रिपोर्ट में अमेरिकी शहरों की स्थिति पर भी प्रकाश डाला गया है, जिसके मुताबिक अमेरिका में लॉस एंजिल्स की स्थिति सबसे खराब रही। वहीं ओंटारियो प्रदूषण के मामले में दूसरे स्थान पर रहा। इसके विपरीत अमेरिका में सिएटल की हवा सबसे साफ रही।

रिपोर्ट में वायु गुणवत्ता सम्बन्धी आंकड़ों की कमी का भी जिक्र किया गया है, जिसके अनुसार अफ्रीका में स्थिति बेहद खराब है। स्थिति की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि वहां औसतन 37 लाख लोगों पर वायु गुणवत्ता की रियल टाइम में निगरानी के लिए महज एक स्टेशन है।

भारत में वायु गुणवत्ता से जुड़ी ताजा जानकारी आप डाउन टू अर्थ के एयर क्वालिटी ट्रैकर से प्राप्त कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें
जहरबुझी हवा: एयरशेड में है वायु प्रदूषण का ठोस इलाज
बढ़ते प्रदूषण के साथ हवा में घुला जहर लोगों को बहुत ज्यादा बीमार बना रहा है, बच्चे और बुजुर्ग इसका सबसे ज्यादा शिकार बन रहे हैं; फोटो: आईस्टॉक

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in