
देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों की स्थिति सबसे खराब है, जिसकी पुष्टि आंकड़े भी करते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 09 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार के हाजीपुर में स्थिति सबसे खराब है, जहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से 19 गुणा (1860 फीसदी) ज्यादा खराब है।
आंकड़ों से पता चला है कि हाजीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 294 दर्ज किया गया। भारत के अपने गुणवत्ता मानकों के लिहाज से भी देखें तो हाजीपुर की हवा मानकों पर खरी नहीं है।
प्रदूषण के मामले में गुजरात का सूरत दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 293 रिकॉर्ड किया गया है। बर्नीहाट में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां सूचकांक 291 दर्ज किया गया है। नांदेड़ चौथे स्थान पर बना हुआ है, जहां एक्यूआई 285, जबकि समस्तीपुर में 284 रिकॉर्ड किया गया है।
वहीं गाजियाबाद, प्रदूषण के मामले में छठे स्थान पर बना हुआ है, जहां सूचकांक 272 दर्ज किया गया। इसी तरह बारबिल, रामनगर और पूर्णिया में भी स्थिति 'खराब' बनी हुई है। रुझानों के मुताबिक गुरूग्राम प्रदूषण के मामले में दसवें स्थान पर बना हुआ है, जहां एक्यूआई 225 दर्ज क्या गया है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो कल (08 मार्च 2025) से प्रदूषण में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है, जहां 51 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 209 पर पहुंच गया। दिल्ली की तरह ही देश के 18 अन्य शहरों में प्रदूषण से स्थिति खराब है।
इनमें वातवा, भिवाड़ी, चरखी दादरी, बेगूसराय, तुमकुरु, मुजफ्फरपुर, पटना, गुवाहाटी, श्रीगंगानगर आदि शहर भी शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में करीब छह फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ देश मैहर की हवा सबसे साफ रही, जहां एक्यूआई 30 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हाजीपुर की तुलना मैहर से करें तो वहां स्थिति नौ गुणा ज्यादा खराब है।
मैहर की तरह ही देश के नौ अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में दमोह, हुबली, झांसी, कांचीपुरम, करूर, नागपट्टिनम, प्रयागराज, रामनाथपुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं। राहत की बात यह है कि कल (08 मार्च 2025) से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 43 फीसद का इजाफा हुआ है।
अगरतला सहित देश के 93 फीसदी शहरों में हवा संतोषजनक है, इन शहरों में जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मुरादाबाद, मुंबई, पालकालाइपेरुर, परभनी, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी आदि शहर शामिल हैं।
कल से देखें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में तीन फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। दिल्ली के पड़ोसी शहर फरीदाबाद की बात करें तो प्रदूषण में सात अंकों का इजाफा हुआ है। हालांकि फरीदाबाद में अभी भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।
रुझानों पर नजर डालें तो देश के महज चार फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 56 फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। इसी तरह करीब 40 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक है।
आगरा सहित देश के 111 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। इन शहरों में बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चिकबलपुर, चुरू, कटक, दौसा, धनबाद, डिंडीगुल, दुर्गापुर, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, इंफाल, जलगांव, जलना, जालौर आदि शहर शामिल हैं। कल से तुलना करें तो मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब दस फीसदी की गिरावट आई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 233 में से महज 10 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 93 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 08 मार्च 2025 को यह आंकड़ा 90 दर्ज किया गया।
111 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में हाजीपुर (294) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया। वहीं कल परभनी में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 335 दर्ज किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 51 अंकों के उछाल के साथ 209 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर एक बार फिर मध्यम से ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है।
गौरतलब है कि जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज नांदेड़ चौथे स्थान पर है, वहीं सूरत (293) दूसरे, जबकि बर्नीहाट (291) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 95, गाजियाबाद में 272, गुरुग्राम में 225, नोएडा में 124, ग्रेटर नोएडा में 142 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 98 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 170, चेन्नई में 84, चंडीगढ़ में 131, हैदराबाद में 103, जयपुर में 98 और पटना में 219 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन दस शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, दमोह, हुबली, झांसी, कांचीपुरम, करूर, मैहर, नागपट्टिनम, प्रयागराज, रामनाथपुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, आइजोल, अजमेर, अलवर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, अरियालूर, बालासोर, बांसवाड़ा, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भोपाल, भुवनेश्वर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, हल्दिया, हावेरी, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मुरादाबाद, मुंबई, पालकालाइपेरुर, परभनी, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, श्री विजया पुरम, सुआकाती, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, टोंक, उडुपी, उज्जैन, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन आदि 93 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
देश में बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों की स्थिति सबसे खराब है, जिसकी पुष्टि आंकड़े भी करते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 09 मार्च 2025 को जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार के हाजीपुर में स्थिति सबसे खराब है, जहां प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा तय मानकों से 19 गुणा (1860 फीसदी) ज्यादा खराब है।
आंकड़ों से पता चला है कि हाजीपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई 294 दर्ज किया गया। भारत के अपने गुणवत्ता मानकों के लिहाज से भी देखें तो हाजीपुर की हवा मानकों पर खरी नहीं है।
प्रदूषण के मामले में गुजरात का सूरत दूसरे स्थान पर है, जहां एक्यूआई 293 रिकॉर्ड किया गया है। बर्नीहाट में भी स्थिति कमोबेश ऐसी ही है, जहां सूचकांक 291 दर्ज किया गया है। नांदेड़ चौथे स्थान पर बना हुआ है, जहां एक्यूआई 285, जबकि समस्तीपुर में 284 रिकॉर्ड किया गया है।
वहीं गाजियाबाद, प्रदूषण के मामले में छठे स्थान पर बना हुआ है, जहां सूचकांक 272 दर्ज किया गया। इसी तरह बारबिल, रामनगर और पूर्णिया में भी स्थिति 'खराब' बनी हुई है। रुझानों के मुताबिक गुरूग्राम प्रदूषण के मामले में दसवें स्थान पर बना हुआ है, जहां एक्यूआई 225 दर्ज क्या गया है।
राजधानी दिल्ली से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो कल (08 मार्च 2025) से प्रदूषण में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है, जहां 51 अंकों के उछाल के साथ वायु गुणवत्ता सूचकांक 209 पर पहुंच गया। दिल्ली की तरह ही देश के 18 अन्य शहरों में प्रदूषण से स्थिति खराब है।
इनमें वातवा, भिवाड़ी, चरखी दादरी, बेगूसराय, तुमकुरु, मुजफ्फरपुर, पटना, गुवाहाटी, श्रीगंगानगर आदि शहर भी शामिल हैं। चिंता की बात यह है कि कल से देश में 'खराब' हवा वाले शहरों की गिनती में करीब छह फीसदी का इजाफा हुआ है।
वहीं दूसरी तरफ देश मैहर की हवा सबसे साफ रही, जहां एक्यूआई 30 दर्ज किया गया है। ऐसे में यदि देश के सबसे प्रदूषित शहर हाजीपुर की तुलना मैहर से करें तो वहां स्थिति नौ गुणा ज्यादा खराब है।
मैहर की तरह ही देश के नौ अन्य शहरों में हवा साफ है। इन शहरों में दमोह, हुबली, झांसी, कांचीपुरम, करूर, नागपट्टिनम, प्रयागराज, रामनाथपुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं। राहत की बात यह है कि कल (08 मार्च 2025) से साफ हवा वाले शहरों की गिनती में करीब 43 फीसद का इजाफा हुआ है।
अगरतला सहित देश के 93 फीसदी शहरों में हवा संतोषजनक है, इन शहरों में जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मुरादाबाद, मुंबई, पालकालाइपेरुर, परभनी, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी आदि शहर शामिल हैं।
कल से देखें तो देश में संतोषजनक हवा वाले शहरों की गिनती में तीन फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। दिल्ली के पड़ोसी शहर फरीदाबाद की बात करें तो प्रदूषण में सात अंकों का इजाफा हुआ है। हालांकि फरीदाबाद में अभी भी वायु गुणवत्ता संतोषजनक बनी हुई है।
रुझानों पर नजर डालें तो देश के महज चार फीसदी शहरों में हवा साफ है। वहीं करीब 56 फीसदी में हालात चिंताजनक बने हुए हैं। इसी तरह करीब 40 फीसदी शहरों में स्थिति संतोषजनक है।
आगरा सहित देश के 111 शहरों में वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में बनी हुई है। इन शहरों में बुलन्दशहर, बूंदी, बक्सर, ब्यासनगर, चंडीगढ़, चंद्रपुर, चिकबलपुर, चुरू, कटक, दौसा, धनबाद, डिंडीगुल, दुर्गापुर, गांधीनगर, गया, गोरखपुर, ग्रेटर नोएडा, गुम्मिडिपूंडी, ग्वालियर, हनुमानगढ़, हापुड, हावड़ा, हैदराबाद, इंफाल, जलगांव, जलना, जालौर आदि शहर शामिल हैं। कल से तुलना करें तो मध्यम वायु गुणवत्ता वाले शहरों की गिनती में करीब दस फीसदी की गिरावट आई है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के 233 में से महज 10 शहरों में हवा 'बेहतर' (0-50 के बीच) रही। वहीं 93 शहरों में वायु गुणवत्ता 'संतोषजनक' (51-100 के बीच) है, गौरतलब है कि 08 मार्च 2025 को यह आंकड़ा 90 दर्ज किया गया।
111 शहरों में वायु गुणवत्ता 'मध्यम' (101-200 के बीच) बनी हुई है।
दूसरे शहरों की तुलना में हाजीपुर (294) में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, जहां आज एक्यूआई 300 के करीब पहुंच गया। वहीं कल परभनी में हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित थी, जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 335 दर्ज किया गया।
आंकड़ों पर गौर करें तो कल से दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में अच्छी खासी वृद्धि हुई है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 51 अंकों के उछाल के साथ 209 पर पहुंच गया। इसके साथ ही दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर एक बार फिर मध्यम से ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है।
गौरतलब है कि जनवरी 2025 में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब दिल्ली में हवा जहरीली न हो। नवंबर में आठ दिन दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर 'गंभीर' दर्ज किया गया। इसी तरह दिसंबर 2024 में भी छह दिन वायु गुणवत्ता गंभीर दर्ज की गई थी। इस दौरान हवा में प्रदूषण का स्तर इतना ज्यादा था कि वो लोगों को लोगों को सांस लेना तक मुश्किल हो गया था।
प्रदूषण में उतार-चढ़ाव का दौर अभी भी जारी है। प्रदूषण के मामले में आज नांदेड़ चौथे स्थान पर है, वहीं सूरत (293) दूसरे, जबकि बर्नीहाट (291) तीसरे स्थान पर है।
अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों पर नजर डालें तो फरीदाबाद में इंडेक्स 95, गाजियाबाद में 272, गुरुग्राम में 225, नोएडा में 124, ग्रेटर नोएडा में 142 पर पहुंच गया है।
इसी तरह मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 98 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘संतोषजनक’ स्तर को दर्शाता है। जबकि लखनऊ में यह इंडेक्स 170, चेन्नई में 84, चंडीगढ़ में 131, हैदराबाद में 103, जयपुर में 98 और पटना में 219 दर्ज किया गया।
इन शहरों में साफ रही हवा
देश के जिन दस शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी 'बेहतर' रहा, दमोह, हुबली, झांसी, कांचीपुरम, करूर, मैहर, नागपट्टिनम, प्रयागराज, रामनाथपुरम, तिरुनेलवेली शामिल हैं।
वहीं अगरतला, आइजोल, अजमेर, अलवर, अमरावती, अमृतसर, अनंतपुर, अरियालूर, बालासोर, बांसवाड़ा, बरेली, बाड़मेर, बठिंडा, भरतपुर, भिलाई, भीलवाड़ा, भोपाल, भुवनेश्वर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, छाल, चित्तूर, चित्तौड़गढ़, कोयंबटूर, कुड्डालोर, दावनगेरे, देहरादून, देवास, धौलपुर, धुले, डूंगरपुर, फरीदाबाद, फिरोजाबाद, हल्दिया, हावेरी, इंदौर, जबलपुर, जयपुर, जैसलमेर, जालंधर, झालावाड़, कडपा, कलबुर्गी, कन्नूर, कारवार, कटिहार, कोल्हापुर, कोलकाता, कोल्लम, कोप्पल, कोरबा, मदिकेरी, मदुरै, मंडी गोबिंदगढ़, मंगलौर, मुरादाबाद, मुंबई, पालकालाइपेरुर, परभनी, प्रतापगढ़, पुदुचेरी, पुदुकोट्टई, रायपुर, राजमहेंद्रवरम, राजगीर, ऋषिकेश, सागर, सलेम, सतना, शिवमोगा, सीकर, सिलचर, सिलीगुड़ी, सिरोही, शिवसागर, श्री विजया पुरम, सुआकाती, तंजावुर, तिरुवनंतपुरम, थूथुकुडी, त्रिशूर, तिरुचिरापल्ली, तिरुमाला, तिरुपुर, टोंक, उडुपी, उज्जैन, वाराणसी, विजयवाड़ा, विरार, विरुधुनगर, विशाखापत्तनम, वृंदावन आदि 93 शहरों में वायु गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
क्या दर्शाता है वायु गुणवत्ता सूचकांक
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है।
इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है। वहीं यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है।
यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है।
ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।