
2025 में वैश्विक गेहूं उत्पादन 79.6 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। यह पिछले साल की तुलना में एक फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने वैश्विक अनाज उत्पादन को लेकर जारी नई रिपोर्ट में दी है।
अनुमान है कि यूरोपियन यूनियन विशेष रूप से फ्रांस और जर्मनी में गेहूं उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। एफएओ ने इन क्षेत्रों में अधिक गेहूं के बोए जाने का अनुमान जताया है।
हालांकि, पूर्वी यूरोप में शुष्क परिस्थितियां और पश्चिम में भारी बारिश से गेहूं की उपज प्रभावित हो सकती है। अमेरिका में गेहूं के रकबे में वृद्धि की उम्मीद है, लेकिन साथ ही यह भी अंदेशा जताया गया है कि सर्दियों में फसलों पर सूखे के प्रभाव के चलते पैदावार में थोड़ी गिरावट आ सकती है।
देश-दुनिया में धान की पैदावार को लेकर भी सकारात्मक रुख बना हुआ है। एफएओ ने 2024/25 में धान उत्पादन के रिकॉर्ड 54.3 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद जताई है। धान उत्पादन में यह वृद्धि भारत में अच्छी फसलों तथा कंबोडिया और म्यांमार में अनुकूल मौसम से प्रेरित है।
एफएओ ने 2024 में वैश्विक अनाज उत्पादन के अपने पूर्वानुमान को बढ़ाकर 284.2 करोड़ टन कर दिया है, जो 2023 की तुलना में थोड़ा अधिक है।
रिपोर्ट में यह भी अनुमान जताया गया है कि 2024/25 में वैश्विक अनाज उपयोग 286.7 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। पिछले साल की तुलना में देखें तो यह एक फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। यह वृद्धि चावल की रिकॉर्ड खपत से प्रेरित है।
वहीं दूसरी तरफ गेहूं का उपयोग स्थिर रहें का अनुमान है। एक ओर जहां खाद्य के रूप में गेहूं उपयोग घट सकता है। वहीं कारखानों में, विशेष रूप से चीन में इसका उपयोग बढ़ सकता है।
एफएओ को अंदेशा है कि वैश्विक अनाज भंडार में 1.9 फीसदी की गिरावट आ सकती है। इस तरह 2025 में वैश्विक अनाज भंडार 86.93 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। रूस और यूक्रेन में बढ़े हुए स्टॉक को अन्य स्थानों में कमी से संतुलित किए जाने की उम्मीद है।
एफएओ के मुताबिक स्टॉक-टू-यूज अनुपात के करीब 29.9 फीसदी तक गिरने की आशंका है, लेकिन इसे अभी भी संतोषजनक स्तर माना जा रहा है। यह भी सामने आया है कि इस साल कम व्यापार होगा, जिसके लिए एफएओ ने पूर्वानुमान को घटाकर 48.42 करोड़ टन कर दिया है, जो पिछले सीजन की तुलना में 5.6 फीसदी कम है। खाद्य संगठन ने इसके लिए निर्यात में आते बदलाव को जिम्मेवार माना है।
45 देशों पर मंडरा रहा खाद्य संकट
एफएओ ने शुक्रवार को फसलों की सम्भावना और खाद्य स्थिति पर भी नई रिपोर्ट जारी की है। इसमें 2025 फसलों की क्या स्थिति रह सकती है, उसकी जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक 2025 के दौरान, उत्तरी अफ्रीका में कम बारिश से अनाज उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जबकि दक्षिणी अफ्रीका में अनुकूल बारिश से 2024 में महत्वपूर्ण गिरावट के बाद फसल की पैदावार में उछाल आने की उम्मीद है।
एशिया में, स्थिति मिली-जुली है। सुदूर पूर्व एशिया में, बेहतर बुवाई और अच्छे मौसम के कारण 2025 में गेहूं का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। लेकिन इसके विपरीत निकट पूर्व एशिया में, 2024 के अंत से कम बारिश के चलते गेहूं की फसल पांच साल के औसत से कम हो सकती है।
इस बीच दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन में मौसम की मिली जुली स्थिति मक्का उत्पादन को प्रभावित कर रही है। अर्जेंटीना में स्टंट रोग का प्रकोप अतिरिक्त खतरा पैदा कर रहा है। फिर भी, ब्राजील में अच्छी फसलों की बदौलत कुल उत्पादन औसत से ऊपर रहने की उम्मीद है।
मध्य अमेरिका और कैरिबियन में, चल रही शुष्क परिस्थितियों ने मेक्सिको में अनाज की रोपाई को कम कर दिया है। लेकिन अन्य जगहों पर अनुकूल मौसम से फसलों को बेहतर बढ़ने में मदद मिल सकती है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 45 देशों को खाद्य सहायता की आवश्यकता है। इनमें अफ्रीका के 33, एशिया के नौ, दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन के 2 और यूरोप का एक देश शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक चल रहे संघर्ष और असुरक्षा, गंभीर खाद्य असुरक्षा को जन्म दे रही है।
एफएओ ने इस बात की भी पुष्टि की है कि गाजा (फिलिस्तीन) और सूडान में लोग सबसे बड़े खाद्य संकट (आईपीसी चरण 5) का सामना कर रहे हैं।