
एक ओर जहां दुनिया में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में दिसंबर के मुकाबले मामूली कमी आई है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले अभी भी कीमतें अधिक हैं। वहीं, अगले साल खाद्य उत्पादन में कमी का अनुमान भी लगाया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने शुक्रवार को खाद्य मूल्य सूचकांक और वैश्विक खाद्य उत्पादन का पूर्वानुमान जारी किया।
विश्व खाद्य वस्तुओं की कीमतों के लिए बेंचमार्क माने जाने वाले संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के खाद्य मूल्य सूचकांक में जनवरी में गिरावट दर्ज की गई। यह सूचकांक जनवरी में औसतन 124.9 अंक रहा, जो दिसंबर की तुलना में 1.6 प्रतिशत कम था। वनस्पति तेल और चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बड़ी कमी की वजह से यह गिरावट रिकॉर्ड की गई।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने शुक्रवार 7 फरवरी 2025 को यह रिपोर्ट जारी की। हालांकि, यह एक साल पहले की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक था, लेकिन मार्च 2022 में अपने चरम स्तर से अभी भी 22 प्रतिशत कम बना हुआ है।
यह सूचकांक वैश्विक रूप से व्यापार की जाने वाली खाद्य वस्तुओं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मासिक बदलाव को ट्रैक करता है।
चीनी मूल्य सूचकांक दिसंबर की तुलना में 6.8 प्रतिशत और एक साल पहले की तुलना में 18.5 प्रतिशत कम रहा। इसकी प्रमुख वजह ब्राजील में अनुकूल मौसम के चलते बेहतर वैश्विक आपूर्ति संभावनाएं और भारत सरकार द्वारा चीनी निर्यात फिर से शुरू करने का निर्णय रही।
वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक जनवरी में 5.6 प्रतिशत गिरा, जिससे हाल की बढ़ोतरी उलट गई। हालांकि, यह एक साल पहले की तुलना में 24.9 प्रतिशत अधिक था। इस गिरावट का मुख्य कारण पाम और रेपसीड तेल की वैश्विक कीमतों में गिरावट रही, जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी तेल की कीमतें स्थिर बनी रहीं।
अनाज मूल्य सूचकांक दिसंबर की तुलना में 0.3 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन जनवरी 2024 के स्तर से 6.9 प्रतिशत नीचे रहा। गेहूं की निर्यात कीमतों में हल्की गिरावट देखी गई, जबकि अमेरिका में कम उत्पादन और स्टॉक पूर्वानुमानों के कारण मक्का की कीमतें बढ़ीं। एफएओ ऑल राइस (चावल) मूल्य सूचकांक जनवरी में 4.7 प्रतिशत गिरा, जिसका मुख्य कारण प्रचुर मात्रा में निर्यात योग्य आपूर्ति रही।
डेयरी मूल्य सूचकांक दिसंबर की तुलना में 2.4 प्रतिशत और जनवरी 2024 की तुलना में 20.4 प्रतिशत अधिक रहा। यह वृद्धि मुख्य रूप से पनीर की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 7.6 प्रतिशत की मासिक वृद्धि से प्रेरित रही, जिसने मक्खन और दूध पाउडर की कीमतों में गिरावट को पीछे छोड़ दिया।
नया पूर्वानुमान
एफएओ ने शुक्रवार को ही अपनी नई अनाज आपूर्ति और मांग रिपोर्ट भी जारी की, जिसमें 2025 के लिए फसल प्रवृत्तियों की जानकारी दी गई।
एफएओ के मुताबिक उत्तरी गोलार्ध में गेहूं की शीतकालीन बुआई जनवरी में पूरी हुई। शुरुआती संकेतों के अनुसार, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम में बुआई में वृद्धि हुई है, जबकि रूस में यह मौसम संबंधी परिस्थितियों के कारण घटी है।
वहीं दक्षिणी गोलार्ध में मक्का की कटाई 2025 की दूसरी तिमाही में शुरू होगी। शुरुआती संकेतों के अनुसार, अर्जेंटीना और ब्राजील में बेहतर उपज की संभावना है, जबकि दक्षिण अफ्रीका में रिकॉर्ड-उच्च मक्का कीमतों के कारण बुआई में वृद्धि हुई है।
एफएओ ने दुनिया में अनाज की खपत में वृद्धि का अनुमान लगाया है। एफएओ ने कहा है कि साल 2024-25 में 2,869 मिलियन टन अनाज की खपत हो सकती है, जो मुख्य रूप से पशु आहार के लिए मक्का के बढ़ते उपयोग की वजह से होगा।
2025 सीजन के अंत तक अनाज भंडार 2.2 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया गया है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका में मक्का के भंडार में अपेक्षित भारी कमी है। हालांकि, वैश्विक अनाज स्टॉक-टू-यूज अनुपात 2024-25 में गिरकर 29.8 प्रतिशत पर पहुंचने की संभावना है, लेकिन इसे अभी भी संतोषजनक स्तर माना जा रहा है।
घट सकता है वैश्विक उत्पादन
एफएओ ने वैश्विक उत्पादन का पूर्वानुमान घटाकर 2,841 मिलियन टन कर दिया है, जो 2023 की तुलना में 0.6 प्रतिशत कम है। इसका मुख्य कारण अमेरिका में मक्का उत्पादन में महत्वपूर्ण गिरावट है, जहां मौसम की नमी की कमी ने उपज को प्रभावित किया।
लेकिन दूसरी ओर, चीन, माली, नेपाल और वियतनाम में चावल उत्पादन के आधिकारिक अनुमान बेहतर आए हैं, जिससे 2024-25 के लिए वैश्विक चावल उत्पादन 539.4 मिलियन टन रहने की संभावना है, जो कि 0.9 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि और अब तक का सर्वाधिक उत्पादन होगा।