फरवरी में खाद्य कीमतों में आया उछाल, अंतराष्ट्रीय बाजार में क्यों चढ़े तेल, चीनी के भाव

फरवरी में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में उछाल आया है। इसके लिए चीनी, डेयरी और खाद्य तेल की कीमतों में हुई वृद्धि जिम्मेवार रही
मंडी में अपने अनाज के मोल-भाव करते किसान; फोटो: आईस्टॉक
मंडी में अपने अनाज के मोल-भाव करते किसान; फोटो: आईस्टॉक
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जनवरी में मामूली गिरावट के बाद फरवरी में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतों में उछाल आया है। इसके लिए चीनी, डेयरी और खाद्य तेल की कीमतों में हुई वृद्धि जिम्मेवार रही। पिछले साल की तुलना में देखें तो फरवरी में भी खाद्य कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों में सामने आई है।

गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने शुक्रवार सात मार्च 2025 को खाद्य मूल्य सूचकांक (एफपीआई) और वैश्विक खाद्य उत्पादन से जुड़े पूर्वानुमान जारी किए हैं।

अंतराष्ट्रीय बाजार में खाद्य कीमतों के लिए बेंचमार्क माने जाने वाले खाद्य मूल्य सूचकांक में फरवरी में इजाफा हुआ है। यह सूचकांक फरवरी में 127.1 अंक रहा, जो जनवरी की तुलना में 1.6 फीसदी अधिक रहा। वहीं फरवरी 2024 की तुलना में देखें तो इसमें 8.2 फीसदी की वृद्धि हुई है।

हालांकि यह मार्च 2022 में अपने शिखर से अभी भी 20.7 फीसदी नीचे बना हुआ है। एफएओ द्वारा जारी यह सूचकांक अंतराष्ट्रीय बाजार में हर महीने खाद्य कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है।

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने इस बारे में जारी रिपोर्ट में कहा है कि सूचकांक में आया यह उछाल चीनी की बढ़ती कीमतों से भी जुड़ा था। फरवरी में चीनी मूल्य सूचकांक तीन महीनों की गिरावट के बाद 6.6 फीसदी उछलकर 118.5 पर पहुंच गया। यह वृद्धि वैश्विक चीनी आपूर्ति में कमी को लेकर पैदा हुई चिंताओं के कारण हुई। विशेष रूप से भारत में खराब उत्पादन और ब्राजील में प्रतिकूल मौसम ने चीनी की कीमतों को बढ़ाने के मामले में आग में घी का काम किया।

चीनी की तरह ही डेयरी मूल्य सूचकांक भी फरवरी में 4 फीसदी बढ़कर 148.7 अंक पर पहुंच गया। इस दौरान पनीर और दूध पाउडर जैसे सभी प्रमुख डेयरी उत्पादों की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई, क्योंकि प्रमुख निर्यात क्षेत्रों में मांग आपूर्ति से अधिक हो गई।

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क्यों बढे दूध, चीनी, तेल के दाम

आंकड़ों के मुताबिक वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक फरवरी में 156 पर पहुंच गया, जो जनवरी से दो फीसदी अधिक रहा। वहीं पिछले साल फरवरी की तुलना में 29.1 फीसदी अधिक है। यह वृद्धि मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया में आपूर्ति में आई मौसमी बाधाओं और पाम, सोया और सूरजमुखी तेलों की सीमित आपूर्ति से प्रेरित थी। इसी तरह बायोडीजल उद्योग की मजबूत मांग ने भी कीमतों को बढ़ाने में मदद की। जनवरी में एक संक्षिप्त गिरावट के बाद, अंतर्राष्ट्रीय पाम तेल की कीमतों में मामूली उछाल देखा गया।

इस दौरान अनाज की कीमतों में भी वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि यह वृद्धि चीनी, डेयरी, तेल के मुकाबले कम रही। फरवरी में अनाज मूल्य सूचकांक 0.7 फीसदी बढ़कर 112.6 पर पहुंच गया। हालांकि फरवरी 2024 की तुलना में देखें तो यह 1.1 फीसदी कम रहा।

रूस में कम आपूर्ति के कारण गेहूं की कीमतों में तेजी आई, जिससे अन्य निर्यातकों की मांग बढ़ गई। यूरोप, रूस और अमेरिका में खराब फसल की स्थिति को लेकर बढ़ती चिंताओं ने भी कीमतों को बढ़ाने में योगदान दिया।

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इसी तरह ब्राजील में कम आपूर्ति और मजबूत अमेरिकी निर्यात के कारण मक्के की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया। इसके विपरीत, उच्च निर्यात आपूर्ति और कमजोर मांग के कारण चावल की कीमतों में 6.8 फीसदी की गिरावट देखी गई।

दूसरी ओर मीट प्राइस इंडेक्स फरवरी में स्थिर रहा, जो 118 दर्ज किया गया। जनवरी से तुलना करें तो इसमें महज 0.1 फीसदी की गिरावट आई।

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