
एक और जहां अप्रैल के मुकाबले मई में दुनिया भर में खाने-पीने की चीजे सस्ती हुई हैं। वहीं पिछले साल की तुलना में अभी भी कीमतें काफी अधिक हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा जारी नई रिपोर्ट से पता चला है कि मई में जहां वैश्विक बाजार में अनाज, तेल और चीनी के दाम घटे हैं। वहीं दूध, मांस और अन्य डेयरी उत्पाद महंगे हुए हैं।
एफएओ द्वारा मई महीने के लिए जारी खाद्य मूल्य सूचकांक से पता चला है कि पिछले महीने वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतें अप्रैल 2025 के मुकाबले घटी हैं।
इस दौरान जहां मक्का और पाम तेल जैसी प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई, जिससे अन्य उत्पादों जैसे दूध और मांस की ऊंची कीमतों का असर कम हो गया। अनाज, चीनी और वनस्पति तेल की कीमतों में आई गिरावट के चलते कुल मिलाकर इंडेक्स में कमी दर्ज की गई।
मई में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक (वर्ल्ड फूड प्राइस इंडेक्स) औसतन 127.7 अंक रहा, जो अप्रैल 2025 की तुलना में 0.8 फीसदी कम है, हालांकि यदि मई 2024 से तुलना करें तो यह अभी भी छह फीसदी अधिक है। बता दें कि मई 2024 में खाद्य मूल्य सूचकांक 120.5 रिकॉर्ड किया गया था। इसी तरह यह मार्च 2022 के अपने रिकॉर्ड स्तर से अभी भी 20.3 फीसदी नीचे है।
रुझानों पर नजर डालें तो अप्रैल के मुकाबले मई में अनाज मूल्य सूचकांक 1.8 फीसदी घटा है। मई 2024 की तुलना में भी यह 8.2 फीसदी कम दर्ज किया गया। इस साल मई में अनाज मूल्य सूचकांक 109 दर्ज किया गया, जो एक साल पहले मई 2024 में 118.7 था।
गेहूं, मक्के के घटे दाम, चावल हुआ महंगा
गौरतलब है कि इस दौरान मक्के की वैश्विक कीमतों में तेज गिरावट आई, जिसका कारण अर्जेंटीना और ब्राजील में अच्छी पैदावार और तेजी से हो रही कटाई रही। अमेरिका में भी रिकॉर्ड मक्का उत्पादन की उम्मीद ने कीमतों पर दबाव बनाया है।
इसी तरह अन्य मोटे अनाज जैसे ज्वार और जौ की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई। गेहूं की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भी थोड़ी नरमी आई है। इसकी बड़ी वजह वैश्विक मांग का कमजोर होना है। उत्तरी गोलार्ध में भी फसलों की स्थिति में सुधार आया है। महीने के अंत में हुई बारिश ने यूरोप, काला सागर क्षेत्र और अमेरिका में सूखे के खतरे को कम कर दिया, जिसका भी सकारात्मक असर देखा गया।
इसके विपरीत धान की कीमतों में उछाल आया है। राइस प्राइस इंडेक्स मई में 1.4 फीसदी बढ़ा। इसकी वजह थी सुगंधित किस्मों की अच्छी मांग, इंडिका चावल की ऊंची कीमतें रही।
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल की तुलना में पिछले महीने खाद्य तेल की कीमतों में 3.7 फीसदी की गिरावट आई है। आंकड़ों के मुताबिक मई में खाद्य तेल मूल्य सूचकांक औसतन 152.2 अंक रहा, जोकि पिछले साल की तुलना में अब भी 19.1 फीसदी अधिक है। इस दौरान सभी प्रमुख खाद्य तेलों की कीमतें घटी हैं। कारणों पर नजर डालें तो दक्षिण-पूर्व एशिया में मौसमी पैदावार बढ़ने से पाम ऑयल की कीमतों में लगातार दूसरे महीने तेज गिरावट देखी गई।
दक्षिण अमेरिका में उत्पादन बढ़ने और बायोफ्यूल की मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तेल सस्ता हुआ। इसी तरह यूरोपियन यूनियन में सप्लाई की बेहतर संभावना के कारण रेपसीड ऑयल की कीमतें घटीं। सरसों और सूरजमुखी तेल में भी मंदी देखी गई क्योंकि इस दौरान वैश्विक मांग कमजोर रही।
सस्ते हुए तेल, चीनी
मई में चीनी की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई। एफएओ चीनी मूल्य सूचकांक मई में औसतन 109.4 अंक रहा, जो अप्रैल से 2.6 फीसदी कम है। यह लगातार तीसरा महीना है जब इसमें गिरावट दर्ज की गई है। वहीं मई 2024 के मुकाबले इस साल यह सूचकांक 6.6 फीसदी कम रहा।
चीनी की कीमतों में यह गिरावट वैश्विक मांग के कमजोर रहने के कारण आई, क्योंकि दुनिया की आर्थिक स्थिति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और इससे पेय और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों से मांग पर असर पड़ा है।
साथ ही, 2025-26 में वैश्विक चीनी उत्पादन बढ़ने की शुरुआती उम्मीदों—विशेष रूप से भारत और थाईलैंड में मानसून की जल्द शुरुआत से उत्पादन बढ़ने की संभावना ने भी कीमतों पर दबाव डाला है।
वहीं दूसरी तरफ वैश्विक बाजार में डेयरी उत्पादों की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया। एफएओ का डेयरी प्राइस इंडेक्स मई में औसतन 153.5 अंक रहा, जो अप्रैल से 0.8 फीसदी अधिक है और पिछले साल की तुलना में यह 21.5 फीसदी अधिक है।
इस दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्खन की कीमतें ऐतिहासिक रूप से ऊंचे स्तर पर बनी रहीं, जिसे एशिया और पश्चिम एशिया से मजबूत मांग और ऑस्ट्रेलिया में दूध की कमी का समर्थन मिला। हालांकि, यूरोपीय यूनियन के मक्खन की मांग में कमी के चलते कीमतों में और बढ़ोतरी सीमित रही।
क्यों महंगा हुआ दूध
फुल क्रीम मिल्क पाउडर की कीमतें अप्रैल से चार फीसदी और बढ़ गई, जिसकी वजह चीन से बढ़ी खरीद और सप्लाई में धीमी बढ़ोतरी रही। वहीं, स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों में 0.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान एशिया से मजबूत मांग के चलते बटर, पनीर और मिल्क पाउडर की कीमतों में वृद्धि हुई।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मई में मांस की कीमतों में 1.3 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि मई में मांस की कीमतों में 1.3 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। इस दौरान मीट प्राइस इंडेक्स औसतन 124.6 अंक रहा, जो अप्रैल से 1.3 फीसदी अधिक था। वहीं पिछले साल की तुलना में यह 6.8 फीसदी अधिक है।
यह बढ़ोतरी बीफ, भेड़ और सूअर के मांस की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में वृद्धि के कारण हुई, जिसने पोल्ट्री की गिरती कीमतों की भरपाई कर दी।