
देश दुनिया में खाद्य कीमतों की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी के लिए जिंदगी को और मुश्किल बना दिया है। दूध, दही, अनाज, फल की बढ़ती कीमतों से पोषण थाली से दूर होता जा रहा है। इन बढ़ती कीमतों की झलक वैश्विक आंकड़ों में साफ तौर पर देखी जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने जानकारी दी है कि अप्रैल 2025 के दौरान दुनिया भर में खाद्य पदार्थों के दाम बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण अनाज, मांस और दूध से बने उत्पादों की कीमतों में आया उछाल है।
एफएओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक (फूड प्राइस इंडेक्स) लगातार तीसरे महीन वृद्धि दर्ज की गई। इसके साथ ही यह सूचकांक बढ़कर 128.3 अंक पर पहुंच गया, जो मार्च की तुलना में एक फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। बता दें कि मार्च 2025 में फूड प्राइस इंडेक्स 127.1 दर्ज किया गया था।
वहीं पिछले साल अप्रैल 2024 की तुलना में देखें तो इसमें 7.6 फीसदी की वृद्धि हुई है।
गेहूं, चावल, मक्का हुआ महंगा, दूध के भी बढे दाम
अप्रैल में अनाज मूल्य सूचकांक में 1.2 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। इसके साथ ही यह इंडेक्स मार्च में 109.7 से बढ़कर अप्रैल 2025 में 111 अंकों पर पहुंच गया है। इस दौरान गेहूं की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई, खासकर रूस में निर्यात कम होने की वजह से इसमें उछाल देखा गया। साथ ही चावल के दाम भी बढे हैं। इसके लिए धान की खुशबूदार किस्मों की मांग में हुई वृद्धि जिम्मेवार रही।
मक्के की कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई, अमेरिका में मौसमी कमी से इसके भंडार में गिरावट आई है। साथ ही मुद्राओं में उतार-चढ़ाव और टैरिफ नीतियों में बदलावों ने बाजार को अस्थिर कर दिया है। इसका असर भी साफ तौर पर देखा जा सकता है।
एफएओ रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल के दौरान डेयरी उत्पादों की कीमतों में भी उछाल दर्ज किया गया है। नतीजन डेयरी मूल्य सूचकांक में पिछले महीने की तुलना में 2.4 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया। वहीं पिछले साल के मुकाबले अप्रैल में सूचकांक करीब 23 फीसदी अधिक रहा। बता दें कि अप्रैल 2025 में डेयरी मूल्य सूचकांक 152.1 पर पहुंच गया। इस दौरान मक्खन की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई। इसके लिए खास तौर पर स्टॉक में आई कमी जिम्मेवार रही।
डेयरी उत्पादों की तरह ही अप्रैल में मांस की कीमतों में भी उछाल देखा गया। इसकी वजह से मांस मूल्य सूचकांक में 3.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस दौरान सभी तरह के मांस की कीमतों में वृद्धि हुई है। ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील में निर्यात की मांग के अधिक होने के कारण कीमतों में फर्क आया है।
तेल, चीनी की गिरती कीमत ने दी राहत
वहीं दूसरी तरफ तेल की कीमतों ने आम आदमी को राहत जरूर दी है। खाद्य तेल मूल्य सूचकांक में मार्च से अप्रैल के दौरान 2.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। लेकिन यह अब भी पिछले साल अप्रैल के मुकाबले 20.7 फीसदी अधिक है। बता दें कि अप्रैल 2025 में खाद्य तेल मूल्य सूचकांक 158 दर्ज किया गया।
इस दौरान पाम ऑयल के दाम में तेज गिरावट देखी गई, क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशिया में उत्पादन मौसमी रूप से बढ़ गया। वहीं, सोया और रेपसीड तेल की कीमतों में उछाल आया है, क्योंकि दुनिया भर में इनकी मांग तेज रही। वहीं सूरजमुखी के तेल की कीमतें लगभग स्थिर बनी रहीं।
तेल की तरह ही चीनी ने भी कुछ राहत दी है। मार्च 2025 से तुलना करें तो अप्रैल में चीनी की कीमतों में अंतराष्ट्रीय बाजार में 3.5 फीसदी की गिरावट देखी गई। मतलब की इसमें लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज की गई।
इसका कारण वैश्विक रूप से आर्थिक मंदी की आशंका है। इससे पेय पदार्थ और फूड प्रोसेस उद्योगों में चीनी की मांग घटने की आशंका बनी हुई है। अप्रैल में चीनी मूल्य सूचकांक 112.8 रिकॉर्ड किया गया। मतलब कि सूचकांक अप्रैल 2024 के मुकाबले 10.9 फीसदी नीचे रहा।