

सुप्रीम कोर्ट ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिए राजस्थान और गुजरात में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी है।
अदालत ने इन क्षेत्रों में गोडावण की निगरानी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के प्राथमिक क्षेत्रों में भविष्य की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं पर समिति द्वारा सुझाए गए प्रतिबंधों को मंजूरी दे दी है। अदालत ने 33 केवी की 80 किलोमीटर लंबी बिजली लाइन को तुरंत भूमिगत करने का आदेश भी दिया है।
देश के सबसे दुर्लभ पक्षियों में शामिल ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) के संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। 19 दिसंबर 2025 को शीर्ष अदालत ने राजस्थान और गुजरात में गोडावण या सोन चिरैया की सुरक्षा से जुड़ी विशेषज्ञ समिति की अधिकांश सिफारिशों को मंजूरी दे दी है।
अदालत ने राजस्थान में गोडावण के लिए प्राथमिक संरक्षण क्षेत्र को संशोधित कर 14,013 वर्ग किलोमीटर और गुजरात में 740 वर्ग किलोमीटर तय किया है। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन क्षेत्रों में गोडावण की तुरंत निगरानी शुरू की जाए और जलवायु परिवर्तन का इस पक्षी पर क्या असर पड़ रहा है, इसका अध्ययन भी किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के डेजर्ट नेशनल पार्क के दक्षिण में पावर कॉरिडोर को लेकर समिति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है।
इसके तहत पार्क की दक्षिणी सीमा से कम से कम 5 किलोमीटर दूर और अधिकतम 5 किलोमीटर चौड़ाई का गलियारा बनाया जाएगा। साथ ही, बस्तियों के आसपास 100 मीटर के दायरे में 11 केवी या उससे कम क्षमता की मौजूदा और भविष्य की बिजली लाइनों के लिए शमन उपाय जरूरी नहीं होंगे, इस सुझाव को भी अदालत ने मंजूर कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के प्राथमिक क्षेत्रों में भविष्य की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं पर समिति द्वारा सुझाए गए प्रतिबंधों को मंजूरी दे दी है। अदालत ने 33 केवी की 80 किलोमीटर लंबी बिजली लाइन को तुरंत भूमिगत करने का आदेश भी दिया है।
कोर्ट ने साफ कहा कि समिति रिपोर्ट में सुझाए गए सभी शमन उपाय, जैसे लाइनों को जमीन के नीचे डालना या उनका मार्ग बदलना, तुरंत शुरू किए जाएं और यह आदेश की तारीख से दो साल के भीतर पूरे हो जाने चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में डाउन टू अर्थ के लेख का भी किया जिक्र
न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और ए. एस. चंदुरकर की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) द्वारा चिन्हित राजस्थान की 250 किलोमीटर लंबी अत्यंत संवेदनशील बिजली लाइनों को भी समयबद्ध तरीके से, अधिकतम दो वर्षों में भूमिगत किया जाए।
गौरतलब है कि मार्च 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेषज्ञ समिति के गठन का आदेश दिया था, ताकि राजस्थान और गुजरात में वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की रिपोर्ट में चिन्हित प्राथमिक क्षेत्रों में ओवरहेड और भूमिगत बिजली लाइनों की सीमा और व्यवहार्यता तय की जा सके। समिति को गोडावण के साथ-साथ उस क्षेत्र के अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के उपाय सुझाने की भी जिम्मेदारी दी गई थी।
अपने फैसले में अदालत ने डाउन टू अर्थ में 31 मई 2025 को प्रकाशित लेख का भी उल्लेख किया है। यह लेख गोडावण संरक्षण के लिए समर्पित प्रयासों की याद दिलाता है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ गोडावण के संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि विकास के साथ-साथ प्रकृति और जैव विविधता की रक्षा भी उतनी ही जरूरी है।