कर्नाटक में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को बचाने की कवायद को धक्का, संख्या घटकर दो पहुंची

पिछले साल कर्नाटक सरकार ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के लिए एक सेंचुरी भी स्थापित की थी और कई कदम उठाए थे, लेकिन संरक्षण के ये प्रयास काम नहीं आ रहे हैं
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अब विलुप्त होने के कगार पर है, 2018 के बाद से जंगल में 150 से भी कम पक्षी बचे हैं, जिनमें से अधिकांश राजस्थान में पाए जाते हैं।अरुण एस.के.
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अब विलुप्त होने के कगार पर है, 2018 के बाद से जंगल में 150 से भी कम पक्षी बचे हैं, जिनमें से अधिकांश राजस्थान में पाए जाते हैं।अरुण एस.के.
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कर्नाटक सरकार ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोंडावण) को बचाने के लिए बल्लारी जिले के सिरगुप्पा में एक अभयारण्य (सेंचुरी) स्थापित की थी, बावजूद इसके इस पक्षी की आबादी में गिरावट जारी है। एक समय कर्नाटक में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या थी, लेकिन इस साल की शुरुआत में इनकी संख्या छह रह गई थी और अब मात्र दो ही बचे हैं।

साल 2023 में राज्य सरकार ने बल्लारी जिले के सिरगुप्पा तालुक में 14 वर्ग किलोमीटर के जंगल को ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभयारण्य घोषित किया। कर्नाटक खनन पर्यावरण जीर्णोद्धार निगम ने राज्य में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा के लिए एक विशेष संरक्षण परियोजना की शुरुआत की थी और 24 गांवों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी बढ़ाने के लिए 24 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। ये वो गांव थे, जहां ये पक्षी देखे गए थे।

यहां यह उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी कम हो रही है, क्योंकि उनके आवास को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यह प्रजाति अब विलुप्त होने के कगार पर है। 2018 से अब तक जंगल में 150 से भी कम पक्षी बचे हैं, जिनमें से अधिकांश राजस्थान में पाए जाते हैं। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की लाल सूची में ‘गंभीर रूप से संकटग्रस्त’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

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ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अब विलुप्त होने के कगार पर है, 2018 के बाद से जंगल में 150 से भी कम पक्षी बचे हैं, जिनमें से अधिकांश राजस्थान में पाए जाते हैं।अरुण एस.के.

कर्नाटक में कभी यह प्रजाति प्रचुर मात्रा में थी। राज्य के घास के मैदान पक्षियों के पनपने के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करते हैं - बशर्ते इन घास के मैदानों को संरक्षित करने और वृक्षारोपण और निर्माण जैसी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के प्रयास किए जाएं।

बल्लारी के वन्यजीव वार्डन अरुण एसके ने कहा कि प्रजनन केंद्र परियोजना की देखरेख करने वाली पांच सदस्यीय समिति ने इस तरह की सुविधा की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए राजस्थान के डेजर्ट नेशनल पार्क में जीआईबी प्रजनन केंद्र का दौरा किया। इस पहल पर देहरादून के विशेषज्ञों से कर्नाटक वन विभाग के साथ सहयोग करने की उम्मीद है।

वन्यजीव प्रेमियों के अनुसार, हाल ही में सिरगुप्पा अभयारण्य में केवल दो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड - एक नर और एक मादा - देखे गए हैं।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के गायब होने के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने कुछ त्वरित कदम उठाए हैं। जिसमें पक्षियों को जियो-टैग करना, कृत्रिम रूप से अंडों को सेना, युवा पक्षियों को जंगल में वापस लाना, स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता बढ़ाना और बल्लारी जिले में एक शोध केंद्र स्थापित करना शामिल है।

वन विभाग के बल्लारी डिवीजन ने हाल ही में सिरगुप्पा और उसके आसपास के इलाकों में देखे गए दो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को जीपीएस-टैग करने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी मांगी है। इसके अतिरिक्त, कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर पक्षियों की गतिविधियों पर लगातार नज़र रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

बल्लारी के उप वन संरक्षक (डीसीएफ) संदीप सूर्यवंशी ने कहा कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जियो-टैगिंग एक प्रभावी तरीका है, हालांकि विभाग अभी भी इसके कार्यान्वयन पर चर्चा कर रहा है। हालांकि सिरगुप्पा आधिकारिक अभयारण्य नहीं है, लेकिन वन विभाग 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की सुरक्षा करता है क्योंकि यह ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का घर है। मवेशियों के प्रवेश को रोकने के लिए क्षेत्र के चारों ओर खाइयां भी खोदी गई हैं।

वर्तमान में, कर्नाटक की ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी भारत में सबसे कम है, जो सिरगुप्पा तक ही सीमित है। बल्लारी रेंज के वन अधिकारी गिरीश कुमार के अनुसार, पांच महीने पहले पांच से छह ग्रेट इंडियन बस्टर्ड देखे गए थे, लेकिन अब जलवायु संबंधी प्रवास के कारण केवल दो ही बचे हैं, उम्मीद है कि वे वापस आ जाएंगे।

राज्य सरकार ने सिरगुप्पा में एक शोध केंद्र बनाने और जीपीएस-टैगिंग और कृत्रिम प्रजनन का पता लगाने के लिए 6 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। स्थानीय समुदायों, किसानों और स्कूली बच्चों को जागरूकता बढ़ाने के लिए शामिल किया गया है, जिससे अवैध शिकार में काफी कमी आई है।

कर्नाटक वन विभाग प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण के तहत वनीकरण के लिए 1,000 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने की योजना बना रहा है और मानव-वन्यजीव मुठभेड़ को कम करने के लिए क्षेत्र की बाड़ लगाएगा।

वन्यजीव संरक्षणवादी जोसेफ हूवर ने घास के मैदानों को बहाल करने, जीपीएस टैग का उपयोग करने और अवैध शिकार से निपटने के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया।

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