
वैज्ञानिकों ने कोस्टा रिका और पश्चिमी पनामा की ठंडी धुंधभरी तलमांका पहाड़ियों में ऑर्किड की तीन नई प्रजातियों की खोज की है। गौरतलब है कि यह सुदूर पहाड़ी क्षेत्र नदियों, घने जंगलों और बारिश के लिए मशहूर है।
इन प्रजातियों को प्ल्यूरोथैलिस मेट्रिसिल्वे, प्ल्यूरोथैलिस प्रिजियोनियाना और प्ल्यूरोथैलिस विंकेलियाना नाम दिया गया है। इन प्रजातियों के बारे में विस्तृत जानकारी जर्नल फाइटोकीज में प्रकाशित हुई है।
ये तीनों प्रजातियां 1400 से 2550 मीटर की ऊंचाई पर पाई गईं हैं। हालांकि इनमें से हर एक का विकास अलग तरीके से होता है।
ऑर्किड की इन प्रजातियों की खास बात यह है कि ये पारंपरिक बीजों के बजाय ‘प्रोलीफिकेशन’ नामक तरीके से बढ़ती हैं। इस विधि में पौधा अपने फूलों की डंडी से सीधे छोटे पौधे (प्लांटलेट्स) बनाता है, जिससे उन्हें बीज बनाने की जरूरत नहीं पड़ती।
नई ऑर्किड प्रजातियों ने प्रोलीफिकेशन के अलग-अलग तरीके से अनुकूलन किया है, इनमें से कुछ लंबी श्रृंखलाएं बनाती हैं तो कुछ झाड़ी जैसी बढ़ती हैं।
अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों को शुरूआत में ये पौधे दिखने में दूसरी प्रजातियों जैसे लगे, लेकिन अनुकूलन की इनकी खास विशेषताओं के कारण वैज्ञानिकों को इन्हें अन्य प्रजातियों से अलग पहचानने में मदद मिली है।
कैसे दूसरों से अलग हैं यह आर्किड
हालांकि शोधकर्ताओं के मुताबिक प्रोलीफिकेशन इस ऑर्किड समूह की कोई स्थायी विशेषता नहीं है, लेकिन मुश्किल पर्यावरणीय परिस्थितियों में यह तरीका आम हो जाता है। बादलों से ढके ऊंचे जंगलों जैसी कठिन परिस्थितियों में यह क्षमता पौधों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इस पर अभी तक ज्यादा वैज्ञानिक शोध नहीं हुए हैं।
इतना ही नहीं जब परागण करने वाले कीट कम हों, तब बिना बीज के प्रजनन की ऐसी विधियां पौधों के लिए बेहद कारगर साबित हो सकती हैं।
कोस्टा रिका जैव विविधता से कितना संपन्न है, इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां अब तक ऑर्किड की करीब 1700 प्रजातियां दर्ज की गई हैं, जिनमें से एक-तिहाई प्रजातियां ऐसी हैं जो केवल यहीं पाई जाती हैं। इसी वजह से यह क्षेत्र ऑर्किड जैव विविधता का हॉटस्पॉट भी माना जाता है।
हाल ही में मिली नई प्रजातियां तलमांका पहाड़ियों की समृद्ध जैवविविधता को दर्शाती हैं। बता दें कि यहां अब तक प्ल्यूरोथैलिस जीनस की 67 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है, जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी कई प्रजातियां ऐसी हैं जिनका दुनिया के सामने आना बाकी है।
इन दुर्लभ और खास प्रजातियों की खोज यह दिखाती है कि इन पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण कितना जरूरी है। अगर इन क्षेत्रों की रक्षा नहीं की गई, तो यहां की अनोखी जैव विविधता हमेशा के लिए खो सकती है। ऐसे में इन खास प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखने के लिए संरक्षण प्रयासों को और मजबूत करना जरूरी है।