
भेड़ियों की एक प्रजाति जो लगभग 12,500 साल पहले दुनिया से विलुप्त हो गई थी फिर से जीवित हो गई है। वैज्ञानिकों ने भूरे भेड़िए के जीन में बदलाव करने के लिए प्राचीन डीएनए, क्लोनिंग और जीन-एडिटिंग तकनीक का उपयोग करके तीन भेड़िये के बच्चे तैयार किए गए हैं।
यह प्रागैतिहासिक खूंखार भेड़िए के सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार हैं। इसका परिणाम मूल रूप से एक संकर प्रजाति है जो दिखने में अपने विलुप्त हुए रिश्तेदारों के समान है।
शोध पत्र में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि खूंखार भेड़िये भूरे भेड़ियों की तुलना में आकार में बड़े थे और थोड़ा चौड़ा सिर, हल्का मोटा फर और इनका मजबूत जबड़ा था।
शोध में कहा गया है कि यह विशाल मील का पत्थर आने वाले कई उदाहरणों में से पहला है जो दर्शाता है। शोधकर्ताओं की टीम ने 13,000 साल पुराने दांत और 72,000 साल पुरानी खोपड़ी से डीएनए लिया और स्वस्थ खूंखार या डायर भेड़िए के पिल्ले बनाए।
शोध के मुताबिक, तीनों खूंखार भेड़िये 2,000 एकड़ की एक अज्ञात जगह पर रह रहे हैं, जो तीन मीटर ऊंची है, चिड़ियाघर-ग्रेड बाड़ से घिरा हुआ है, जहां सुरक्षा कर्मियों के द्वारा ड्रोन और लाइव कैमरे की मदद से उनकी निगरानी की जाती है। इस सुविधा को अमेरिकन ह्यूमन सोसाइटी द्वारा प्रमाणित किया गया है और अमेरिकी कृषि विभाग के साथ पंजीकृत किया गया है।
खूंखार भेड़ियों के जीवाश्म और प्राचीन डीएनए
दो खूंखार भेड़ियों के जीवाश्मों से निकाले गए प्राचीन डीएनए का उपयोग करते हुए, वैज्ञानिकों ने कहा कि वे दो उच्च-गुणवत्ता वाले एनोसायन डिरस जीनोम, या आनुवंशिक जानकारी के पूर्ण सेट को इकट्ठा करने में सफल रहे।
टीम ने भेड़ियों, सियारों और लोमड़ियों जैसे जीवित कैनिड्स के जीनोम की तुलना की ताकि खूंखार भेड़ियों के लिए विशिष्ट लक्षणों के लिए आनुवंशिक वेरिएंट की पहचान की जा सके, जैसे कि सफेद कोट और लंबे, मोटे फर आदि।
शोध के अनुसार, आनुवंशिक विश्लेषण से हासिल की गई जानकारी का उपयोग भूरे भेड़िए की कोशिकाओं को बदलने के लिए किया गया, 14 जीनों में 20 एडिटिंग किए और फिर सबसे आशाजनक सेल लाइनों को क्लोन करके उन्हें डोनर अंडे में स्थानांतरित किया गया।
स्वस्थ विकासशील भ्रूणों को फिर अंतर-प्रजाति गर्भधारण के लिए सरोगेट्स में स्थानांतरित किया गया, तीन गर्भधारण के साथ पहली विलुप्त प्रजाति के जन्म हुए। उसने सरोगेट्स के रूप में घरेलू कुत्तों - विशेष रूप से बड़े, मिश्रित नस्ल के हाउंड का उपयोग किया गया।
दो नर खूंखार भेड़ियों के पिल्ले एक अक्टूबर, 2024 को पैदा हुए, जबकि एक मादा पिल्ले का जन्म 30 जनवरी, 2025 को हुआ।
विलुप्तीकरण के लिए जीन एडिटिंग
शोध में कहा गया है कि अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए, वैज्ञानिकों ने सीआरआईएसपीआर तकनीक का उपयोग करके एक हाइब्रिड जीनोम बनाया, ताकि कुछ भूरे भेड़िए जीन वेरिएंट को काटकर उन्हें खूंखार भेड़ियों से जुड़े लक्षणों से बदला जा सके।
यह कोई रहस्य नहीं है कि जीनोम में, यह 99.9 फीसदी भूरे भेड़िए है। वैज्ञानिक समुदाय में इस बात को लेकर बहस होने वाली है कि एक खूंखार भेड़िया बनाने के लिए कितने जीन को बदलने की आवश्यकता है।
इसमें खूंखार भेड़िए का जीन हैं और ये जीन इसे पिछले 13,000 सालों में जो कुछ भी देखा है, उससे अधिकतर खूंखार भेड़िया जैसा बनाते हैं। खूंखार भेड़िए का जीनोम के विश्लेषण में थोड़ा बहुत शामिल थे, लेकिन व्यक्तिगत रूप से खूंखार भेड़िए के पिल्लों से नहीं मिले थे या जीन एडिटिंग या क्लोनिंग प्रक्रिया में शामिल नहीं थे, वैज्ञानिकों द्वारा किया गया काम अतीत में इस क्षेत्र में किए गए किसी भी काम से बहुत बड़ी छलांग है।
शोध पत्र में शोधकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि वही तकनीकें जिनसे खूंखार भेड़िया बनाया गया था, वे लुप्तप्राय जानवरों की भी सीधे मदद कर सकती हैं। क्लोन किए गए लाल भेड़ियों के दो शावक तैयार किए हैं, जो सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय भेड़िया प्रजाति है, जो खूंखार भेड़िया अनुसंधान के दौरान विकसित क्लोनिंग के लिए एक नए, कम आक्रामक दृष्टिकोण का उपयोग कर रहा है।
विलुप्तीकरण के कई आलोचकों का तर्क है कि परियोजना में निवेश की गई बड़ी रकम को कहीं और बेहतर तरीके से खर्च किया जा सकता था और संकर जीवों को पालने और प्रजनन करने से सरोगेट के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले जीवित जानवर खतरे में पड़ सकते हैं।
शोध के मुताबिक, जीन एडिटिंग के किसी भी अनपेक्षित आनुवंशिक परिणामों के खिलाफ स्क्रीनिंग के लिए सोच-समझकर सावधानी बरती गई है और खराब परिणामों से जुड़े जोखिम भरे एडिटिंग को समाप्त किया है। लेकिन इस बात की कल्पना करना कठिन है कि खूंखार भेड़िये पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका निभा सकते हैं।
शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया कि यह कल्पना करना कठिन है कि खूंखार भेड़ियों को कभी छोड़ा जाएगा और वे पारिस्थितिक भूमिका निभाएंगे। इसलिए लगता है कि यह पूछना अहम है कि नए जानवर क्या भूमिका निभाएंगे।