देश की राजधानी दिल्ली में बिच्छुओं की पाई जाती है चार प्रजातियां: अध्ययन

शोध में कहा गया है कि इनमें से कोई भी प्रजाति से लोगों के लिए खतरा नहीं है
बिच्छुओं की चार प्रजातियां : ए.चेरसोनसोमेट्रस फुलवाइप्स, बी.कॉम्पोसोबुथस रगोसुलस, सी. लीचास सी.एफ., डी.आइसोमेट्रस मैक्यूलैटस
बिच्छुओं की चार प्रजातियां : ए.चेरसोनसोमेट्रस फुलवाइप्स, बी.कॉम्पोसोबुथस रगोसुलस, सी. लीचास सी.एफ., डी.आइसोमेट्रस मैक्यूलैटसस्रोत: भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई)
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दिल्ली दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है, फिर भी यहां लगभग 22 फीसदी हरियाली है। इस शहर में शहरी पार्कों, उद्यानों, सड़क के किनारों पर लगे पेड़ों, आवासीय और संस्थागत क्षेत्रों, खाइयों और आर्द्रभूमि आदि है। इस तरह के वातावरण ने छोटे कशेरुकियों और आर्थ्रोपोड्स के एक बड़े समूह के लिए आवास प्रदान किया।

स्थानीय परिस्थितियां, जलवायु और उपलब्ध संसाधन शहरी वातावरण में आर्थ्रोपोड्स को जीने के लिए उचित माहौल प्रदान करते हैं। दिल्ली की अर्ध-शुष्क जलवायु अनुकूलन के मामले में सबसे सफल अरचिन्ड्स या एराक्निड में से एक यानी बिच्छुओं के लिए उपयुक्त आवास प्रदान करती है।

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अब दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के शोधकर्ताओं के द्वारा राजधानी में बिच्छुओं की प्रजातियों की जांच-पड़ताल की गई है। पांच साल तक किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि शहर में एराक्निड में से एक बिच्छुओं की चार प्रजातियां रहती हैं

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) द्वारा प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि दिल्ली में बिच्छुओं की चार प्रजातियां निवास करती हैं, जिनमें भारतीय काला बिच्छू (चेरसनोमेट्रस फुलवाइप्स), छोटा भूरा बिच्छू (आइसोमेट्रस मैक्यूलैटस), जंगली मोटी पूंछ वाला बिच्छू (लाइकस बिहारेंसिस) और कॉम्प्सोबुथस रगोसुलस, जिसका कोई विशेष नाम नहीं है, शामिल हैं।

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बिच्छुओं की चार प्रजातियां : ए.चेरसोनसोमेट्रस फुलवाइप्स, बी.कॉम्पोसोबुथस रगोसुलस, सी. लीचास सी.एफ., डी.आइसोमेट्रस मैक्यूलैटस

शोध पत्र में रामानुजन कॉलेज में पर्यावरण अध्ययन विभाग के शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि यह शोध 2018 में शुरू हुआ जब वे दिल्ली के सांपों का अध्ययन कर रहे थे। उन्होंने रात के समय दिल्ली के रिज क्षेत्रों और जंगलों का सर्वेक्षण किया, तो शोधकर्ता को बिच्छू भी दिखाई देने लगे और इस तरह, उन्होंने अरचिन्ड्स या एराक्निड पर एक अलग अध्ययन शुरू किया।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से कहा गया कि इनमें से दो प्रजातियां भारतीय काला बिच्छू और कॉम्पसोबुथस रगोसुलस जो गुजरात से पंजाब तक फैले अर्ध-शुष्क क्षेत्र में काफी आम हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि कम भूरे रंग के बिच्छू और जंगल में पाए जाने वाले मोटी पूंछ वाले बिच्छू दिल्ली जैसे अत्यधिक शहरीकृत वातावरण में तुलनात्मक रूप से दुर्लभ हैं।

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शोध के मुताबिक, इनमें से कोई भी प्रजाति से लोगों के लिए खतरा नहीं है, लेकिन अत्यधिक विकसित शहरी वातावरण में साथ जीने के लिए उनके अनुकूलन का अध्ययन करने से अहम जानकारी मिल सकती है। दिल्ली में पाए गए सभी चार बिच्छू शहर के जंगली इलाकों में पाए गए थे।

शोध में कहा गया है कि भारतीय काला बिच्छू और कॉम्पसोबुथस रगोसुलस दोनों वसंत कुंज में अरावली जैव विविधता पार्क में पाए गए, पहला एक बागान के गड्ढे में और दूसरा चट्टानों के नीचे। जंगल की मोटी पूंछ वाला बिच्छू जहांपनाह शहर के जंगल में एक कर्मचारी के द्वारा कार्यालय की दीवार पर देखा गया, जबकि छोटा भूरा बिच्छू लोधी गार्डन में एक कार्यालय भवन के ग्लासहाउस के फर्श पर पाया गया।

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शोध के अनुसार, भारत में बिच्छुओं की विविधता देखी गई है, यहां 153 प्रजातियों पाई जाती हैं, जिनमें से केवल एक प्रजाति जैसा कि शोध में कहा गया है, केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में पाई गई है। हालांकि साहित्य की समीक्षा से यह स्पष्ट है कि भारत में बिच्छुओं की विविधता और वितरण पर जानकारी जानवरों के अन्य समूहों, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों की तुलना में काफी नहीं है।

शहरी जैव विविधता के अतिरिक्त राज्य से बिच्छू जीव विविधता पर आधारभूत आंकड़े विकसित करने के लिए वर्तमान अध्ययन को चुना गया था। इसलिए, यह राज्य के बिच्छू जीवों की पर पहला वैज्ञानिक विवरण प्रकाशित किया गया है।

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शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि दिल्ली के लिए चार की संख्या अच्छी है, यह गुजरात से पंजाब के अर्ध-शुष्क क्षेत्र में जंगली मोटी पूंछ वाले बिच्छू का पहला रिकॉर्ड हो सकता है।

जंगली मोटी पूंछ वाले बिच्छू और छोटे भूरे बिच्छू दोनों ही काफी दुर्लभ हैं। इससे यह भी पता चलता है कि दिल्ली में अभी भी बहुत सारे हरे-भरे क्षेत्र हैं, जिनमें रिज क्षेत्र भी शामिल है, जहां प्रचुर संख्या में वन्यजीवों हैं।

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