विषैले जीव होने की वजह से मकड़ियां अपने रासायनिक हतियारों का उपयोग शिकार को पकड़ने या बचाव के लिए करती हैं। वे छोटे न्यूरोटॉक्सिन की मदद से अपने शिकार के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को निशाना बनाते हैं। इसे लेकर अब शोधकर्ताओं के द्वारा विषाक्त पदार्थों की गहन जांच-पड़ताल की जा रही है।
जर्मनी के हेस्से में लोएवे सेंटर फॉर ट्रांसलेशनल बायोडायवर्सिटी जीनोमिक्स (टीबीजी) के वैज्ञानिकों ने खतरनाक जहर में मौजूद एंजाइमों का पता लगाया है।
शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से कहा कि जहर में मौजूद प्रोटीनों की एक बड़ी, पहले नजरअंदाज की गई विविधता की खोज की जो जैव रासायनिक प्रतिक्रियाओं को सुविधाजनक बनाती है। शोधकर्ताओं ने कहा कि जहर में पाए गए प्रोटीन जैव-आर्थिक प्रयोगों के लिए बहुत कीमती हो सकते हैं।
दुनिया भर में मकड़ियों की लगभग 52 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं और सभी जीव खतरनाक जहर उत्पन्न करती हैं। केवल एक ही प्रजाति के जहर में 3,000 से अधिक अणु हो सकते हैं। ये मुख्य रूप से छोटे न्यूरोटॉक्सिन के समूह हैं और इनका उपयोग कीड़ों पर काबू पाने के लिए किया जाता है।
जर्मनी के गिएसेन में बायोरिसोर्सेज (आईएमई-बीआर) की फ्रॉनहोफर इंस्टीट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर बायोलॉजी एंड एप्लाइड इकोलॉजी के शोधकर्ताओं की एक टीम ने अब मकड़ी के जहर के पहले से नजरअंदाज की गई चीजों के बारे में पता लगाया है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में दिखाया कि न्यूरोटॉक्सिन के अलावा, मकड़ी के जहर में कई तरह के एंजाइम होते हैं।
कुछ अध्ययनों ने मकड़ी के जहर में एंजाइमों की उपस्थिति का सुझाव दिया था, लेकिन उनके लिए इस तरह की खोज कभी नहीं की गई। इस शोध में शोधकर्ताओं ने इस काम को किया और एंजाइमों के लिए अब तक के सभी अलग-अलग तरह का विश्लेषण किए गए मकड़ियों के अव्यस्थित आंकड़ों की व्यवस्थित रूप से जांच की। शोधकर्ताओं ने पाया कि मकड़ियों के जहर में 140 से अधिक विभिन्न एंजाइम हैं।
शोधकर्ताओं ने शोध में बताया कि उन्होंने अन्य बातों के अलावा, अब तक मकड़ी के जहर की रासायनिक विविधता को कम करके आंका गया है, क्योंकि जटिलता की सभी गणनाएं केवल न्यूरोटॉक्सिन पर आधारित हैं। शोध के मुताबिक, काम के परिणाम न केवल मकड़ी के जहर के विकास और कार्य को बेहतर ढंग से समझने के लिए नए शोध नजरिया प्रदान करते हैं, बल्कि उनके उपयोग के लिए नए रास्ते भी खोलते हैं।
एनपीजे बायोडायवर्सिटी पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि एंजाइम जैव अर्थव्यवस्था के मुख्य निर्माण करने वाले हिस्से हैं। वे रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करते हैं और बहुत कम उप-उत्पाद निर्माण, कम ऊर्जा खपत और बायोडिग्रेडेबिलिटी की विशेषता रखते हैं। इसलिए उनका उपयोग आर्थिक फायदों के लिए अत्यधिक टिकाऊ तरीके किया जा सकता है। इसलिए आज उद्योग लगातार एंजाइमों के नए स्रोतों की तलाश कर रहे हैं।
शोधकर्ता ने शोध में बताया, उन्होंने जिन एंजाइमों की पहचान की है, उनमें से कुछ का उपयोग डिटर्जेंट या अपशिष्ट प्रबंधन में किया जा सकता है, उदाहरण के लिए, उनके वसा-को अलग करने या प्रोटीन-अपघटन गुणों के कारण, वे वहां एक स्थायी परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
वैज्ञानिकों का यह शोध जानवरों के जहर, खासकर मकड़ियों के जहर में छिपी क्षमता को सामने लाता है। अब तक, मकड़ी के जहर को वैज्ञानिकों ने विशेष रूप से चिकित्सा या कृषि में उपयोग किए जाने तक सिमित किया है। इस खोज ने अनुसंधान के एक बिल्कुल नए क्षेत्र की स्थापना की संभावना को खोल दिया है।
शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा, हम अभी शुरुआत कर रहे हैं, क्योंकि सभी मकड़ी प्रजातियों में से एक फीसदी से भी कम का उनके जहर के लिए अध्ययन किया गया है। शोधकर्ताओं ने दुनिया के शेष 99 फीसदी मकड़ियों में और अधिक गहन खोज करने की उम्मीद जताई है।