भूमि उपयोग में बदलाव व कीटनाशक दवाएं ले रही हैं कीटों की जान: अध्ययन

खेती वाले इलाकों से कीट प्रजातियों की विविधता में 44 फीसदी तक की आई गिरावट।
शोधकर्ताओं ने विश्लेषण कर पाया है कि कीट विविधता पर कृषि भूमि उपयोग का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा देखा जा रहा है।
शोधकर्ताओं ने विश्लेषण कर पाया है कि कीट विविधता पर कृषि भूमि उपयोग का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा देखा जा रहा है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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एक नए अध्ययन में कहा गया है कि कीट विविधता पर कृषि का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा गंभीर है। कृषि कीट जैव विविधता में गिरावट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें पौधों का नुकसान, बार-बार घास काटना और कीटनाशकों का उपयोग कई प्रजातियों को उनके आवास से वंचित करते हैं। इस बात का खुलासा जूलियस मैक्सिमिलियन यूनिवर्सिटी वुर्जबर्ग के शोधकर्ताओं के द्वारा किया गया है।

शोधकर्ताओं ने विश्लेषण कर पाया है कि कीट विविधता पर कृषि भूमि उपयोग का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा देखा जा रहा है। ये निष्कर्ष विभिन्न प्रकार के आवासों में एकत्रित 400 परिवारों से कीट प्रजातियों के विश्लेषण पर आधारित हैं।

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कृषि भूमि पर कीट प्रजातियों की विविधता में 44 फीसदी की गिरावट

शोध में कहा गया है कि खेती और प्राकृतिक आवासों के निकट दोनों जगहों से कीट जाल का उपयोग करके नमूने एकत्र किए गए। जीवों की आनुवंशिक सामग्री की जांच डीएनए मेटाबारकोडिंग का उपयोग करके की गई थी। यह एक ऐसी विधि हे जो किसी दिए गए नमूने में मौजूद सभी प्रजातियों की तेजी से पहचान करने में सक्षम है।

विश्लेषण के लिए शोधकर्ताओं ने मेटाबारकोडिंग आंकड़ों के अनोखे गुणों के लिए अनुकूलित विशेष रूप से तैयार किए गए सांख्यिकीय उपकरणों को लागू किया, जिससे सटीक परिणाम हासिल हुए।

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खेती वाले इलाकों में मौजूद वास्तविक प्रजातियों का बहुत बड़ा अनुपात पाया गया, इसके मुकाबले प्राकृतिक आवासों के निकट अधिक विविधतापूर्ण प्रजातियां पाई गई। इन अंतरों को शामिल करने के बाद, शोधकर्ताओं ने खेती वाले इलाकों में कुल कीट प्रजातियों की विविधता में 44 फीसदी तक की गिरावट का पता चला है।

जैव विविधता के प्रति संवेदनशील भूमि उपयोग की तत्काल जरूरत

पहली बार नए तरीकों ने विकासवादी विविधता में लगभग 30 फीसदी की कमी का भी खुलासा किया है, यह प्रजातियों के बीच विकासवादी संबंधों की सीमा है। इससे पता चलता है कि पिछले अध्ययनों ने हो सकता है कीट विविधता पर कृषि के प्रभाव को कम करके आंका है।

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इसके पीछे दो करण हो सकते हैं, पहला, क्योंकि खेती वाले भू-भागों में कीटों के नमूने की बहुत अधिक है, जिससे अंतर वास्तव में जितने हैं, उससे कम दिखाई देते हैं। दूसरा, क्योंकि अब तक इस पैमाने पर फाइलोजेनेटिक-या विकासवादी-विविधता पर बहुत कम आंकड़े उपलब्ध है।

नई विधि शोधकर्ताओं को जैव विविधता के इस अक्सर अनदेखे आयाम को व्यवस्थित रूप से पहचानने में मदद करती है और यह भी बड़े नुकसान को दिखाती है।

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यह अध्ययन जैव विविधता को बचाने के लिए संवेदनशील भूमि उपयोग की तत्काल जरूरत को सामने लाता है। कीट विविधता में लगातार गिरावट से पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और स्थिरता के लिए दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

साथ ही यह विधि जटिल कीट समुदायों में पारिस्थितिकी बदलावों की अधिक प्रभावी ढंग से निगरानी करने के लिए एक नया उपकरण प्रदान करती है। यह अध्ययन जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी: बायोलॉजिकल साइंसेज में प्रकाशित किया गया है

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