एक नए शोध में पानी वाले एक ही इलाके को साझा करने वाले देशों के बीच असमानताओं का पता लगाया गया है। ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध में बताया गया है कि किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय समझौते के तहत साझा संसाधन से संबंधित समस्याओं का बेहतर तरीके से समाधान किया जा सकता हैं। इसके लिए इन अंतर्राष्ट्रीय पड़ोसियों के बीच अधिक सहयोग और समन्वय की आवश्यकता होती है।
अध्ययनकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलियाई प्रमुख नदी घाटियों जो कई देशों की सीमाओं को पार करती हैं उन पर नजर डाली, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि एक देश में उत्पादित तलछट या गाद पड़ोसी देशों तक कैसे पहुंचती है।
दुनिया भर में देशों के बीच सीमा पार वाले जलक्षेत्र बहुत अधिक संख्या में हैं, जिनमें से कुछ नदियां 13 से ज्यादा देशों को पार करती हैं।
शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर लगभग 1,050 देशों की सीमा के पार जलक्षेत्र या ट्रांस बाउंड्री वाटरशेड की पहचान की। 85 फीसदी से अधिक यानी 226 में से 193 देश ट्रांस बाउंड्री वाटरशेड एक दूसरे की सीमा से साझा करते हैं, 25 फीसदी से अधिक देशों में सभी जलक्षेत्र की सीमा में थे।
जो कि देश की सीमाओं के पार कार्रवाई की लागत और फायदों को साझा करने के लिए मजबूत प्रबंधन साझेदारी की आवश्यकता की ओर इशारा करता है।
पहचाने गए 112 ट्रांस बाउंड्री वाटरशेड में, 70 फीसदी से अधिक तलछट उस देश से अलग देश में उत्पन्न हुए थे, जहां तलछट को जल निकायों में छोड़ा गया था।
इनमें से 117 यानी 41 फीसदी वाटरशेड से तलछट तटीय वातावरण में पहुंच सकती है, जहां प्रदूषक फिर से अनदेखे भौगोलिक सीमाओं जैसे कि विशेष आर्थिक क्षेत्रों (ईईजेड) को पार कर सकते हैं।
भूमि से समुद्र की बहाव वाले 118 देशों में, तटीय जलमार्गों से छोड़े गए तलछट का 10 फीसदी से अधिक भाग दूसरे देश के ईईजेड में प्रवेश करता है।
शोधकर्ता ने शोध के हवाले से कहा कि तटीय जलमार्गों में छोड़े गए 500 मीट्रिक टन (36 फीसदी) से अधिक तलछट कई ईईजेड से होकर गुजरती है।
यह एक देश में भूमि उपयोग के तरीकों का एक उदाहरण है जो दूसरे देश में नीचे की ओर प्रभाव पैदा कर सकता है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ दि नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित यह शोध वाटरशेड प्रबंधन के तरीकों पर आधारित है। हालांकि शोधकर्ताओं ने गौर किया कि सीमा पार पर्यावरणीय मुद्दे पारिस्थितिकी तंत्र में फैले हुए हैं जो विभिन्न राजनीतिक और नियमों के चलते सीमाओं में जटिल समस्याएं पैदा करते हैं।
शोधकर्ताओं ने शोध के हवाले से सुझाव दिया कि दुनिया भर में संरक्षण समझौतों को सफल बनाने के लिए, सरकारों और संस्थानों को इन सीमाओं के पार समन्वय और सहयोग करना चाहिए।
शोधकर्ताओं ने शोध में सुझाव देते हुए कहा कि जैविक विविधता पर कन्वेंशन कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ) का उपयोग जटिल साझा संसाधन चुनौतियों के समाधान का समर्थन और प्रोत्साहन देने और विशिष्ट संरक्षण लक्ष्य प्रदान करने के लिए किया जा सकता है। जिसका उपयोग कार्रवाई को प्रोत्साहित करने और वित्तपोषित करने के लिए किया जा सकता है।
शोध के मुताबिक, जीबीएफ को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 6.5 का समर्थन और सहयोग करना चाहिए, ताकि सीमा पार संकेतकों पर व्यापक रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित किया जा सके और सभी अधिकार क्षेत्रों में सहभागिता को बढ़ावा दिया जा सके।