जैव विविधता और पोषण: टिकाऊ मत्स्य पालन की भूमिका

तटीय देशों में सबसे अधिक जैव विविधता वाली मछलियां पाई जाती हैं, जिनमें प्रशांत महासागर में फिलीपींस, सिंगापुर से लेकर सोलोमन द्वीप तक तथा ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेजन शामिल हैं।
दुनिया भर में समुद्री भोजन की बढ़ती मांग के कारण मछली की कई प्रजातियां खतरे की कगार पर हैं, जिससे सीमित मछली स्टॉक से पोषण बढ़ाना और भी अधिक जरूरी हो गया है।
दुनिया भर में समुद्री भोजन की बढ़ती मांग के कारण मछली की कई प्रजातियां खतरे की कगार पर हैं, जिससे सीमित मछली स्टॉक से पोषण बढ़ाना और भी अधिक जरूरी हो गया है।फोटो साभार: आईस्टॉक
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दुनिया भर में अरबों लोगों की समुद्री आहार की जरूरतों को पूरा करने के लिए मछलियों पर निर्भरता बढ़ गई है। मछलियों से बेहतर पोषण हासिल करने में प्रजातियों की विविधता अहम भूमिका निभा सकती है।

मत्स्य पालन के विश्लेषण के अनुसार, कुछ प्रजातियों का सही मेल 60 फीसदी तक अधिक पोषक तत्व प्रदान कर सकता है, जितना कि कोई व्यक्ति अत्यधिक पौष्टिक प्रजातियों की समान मात्रा में सेवन करता है।

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जंगली मछली पालन दशकों से स्थिर है, दुनिया भर में समुद्री भोजन की बढ़ती मांग के कारण मछली की कई प्रजातियां खतरे की कगार पर हैं, जिससे सीमित मछली स्टॉक से पोषण बढ़ाना और भी अधिक जरूरी हो गया है।

शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से उम्मीद जताई गई है कि यह शोध जैव विविधता के महत्व को सामने लाएगा, न केवल इसलिए कि मनुष्य पृथ्वी पर बड़े पैमाने पर विलुप्ति का कारण बन रहे हैं, बल्कि इसलिए भी कि जैव विविधता मत्स्य पालन स्थिरता के लिए बेहतर परिणाम ला सकती है।

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नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने मछली की उन प्रजातियों की सूची की पहचान करके शुरुआत की, जिन्हें लोग खाते हैं। ग्रह पर मछलियों की 30,000 प्रजातियां हैं, उनमें से एक उपसमूह को खाया जाता हैं और इसलिए सूची को बनाना आसान नहीं था।

एक बार सूची तैयार हो जाने के बाद, शोधकर्ताओं ने प्रत्येक प्रजाति के लिए मौजूदा पोषक तत्व सामग्री के आंकड़ों के साथ इसकी जांच-पड़ताल की। वहां से उन्होंने पृथ्वी पर हर देश या क्षेत्र में पाई जाने वाली मछली की प्रजातियां तय की।

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इसके बाद बायोग्राफिकल और पोषक तत्वों के आंकड़ों को कंप्यूटर मॉडल में डाला गया। फिर हम जान सकते हैं कि प्रजातियों के संभावित विकल्पों के इन सभी मिश्रण में से हम कौन सी प्रजातियां चुन सकते हैं और प्रत्येक का कितना हिस्सा, इस तरह से कि हमें मछली बायोमास की कम से कम मात्रा के साथ एक व्यक्ति की आहार को पूरा करने के लिए पर्याप्त पोषण मिल सके।

मॉडल से पता चला कि जब मत्स्य पालन अधिक जैव विविधता वाला होता है, तो एक सबसे अच्छा आहार जिसमें मछलियों की सबसे कम मात्रा का उपयोग किया जाता है। उन प्रजातियों की ओर झुकाव रखता है जिनमें ऐसे गुण होते हैं जो उन्हें अत्यधिक दोहन और जलवायु परिवर्तन जैसे मानवजनित दबावों का सामना करने में मदद करते हैं।

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ऐसी प्रजातियां छोटी होती हैं, खाद्य श्रृंखला में नीचे होती हैं और उन्हें अन्य छोटी प्रजातियों की एक बड़ी श्रृंखला के साथ प्रतिस्थापित किया जा सकता है जिनमें पोषक तत्वों का समान स्तर होता है, जिससे लोगों को कई तरह के विकल्प मिलते हैं।

सार्डिन जैसी छोटी प्रजातियां पारिस्थितिक रूप से अधिक लचीली होती हैं क्योंकि वे बड़ी प्रजातियों की तुलना में तेजी से बढ़ती हैं। इसके अलावा अधिकतर प्रजातियां व्यापक तापमान सीमाओं को सहन करने में सक्षम होती हैं, जिससे वे जलवायु के प्रति अधिक लचीली होती हैं।

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शोध के मुताबिक, जांच से पता चला कि उष्णकटिबंधीय तटीय देशों में सबसे अधिक जैव विविधता वाली मछलियां पाई जाती हैं, जिनमें प्रशांत महासागर में फिलीपींस, सिंगापुर से लेकर सोलोमन द्वीप तक तथा ऑस्ट्रेलिया, भारत और अमेजन शामिल हैं।

अमेरिका में अच्छी जैव विविधता है, हालांकि अमेरिकी कुछ चुनिंदा प्रजातियों का उपभोग करते हैं। साल के आधार पर, केवल 10 प्रजातियां ही अमेरिकियों द्वारा खाए जाने वाली मछलियों का 90 फीसदी हिस्सा होती हैं।

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शोध पत्र में शोधकर्ताओं के हवाले से उपभोक्ता स्तर पर जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए, सुझाव दिए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि लोगों को छोटी प्रजातियों की एक बड़ी श्रृंखला खाने की कोशिश करनी चाहिए।

क्षेत्रीय स्तर पर, समुद्री संरक्षित क्षेत्र, जहां मछली पकड़ना प्रतिबंधित है, जैव विविधता की रक्षा करने और मत्स्य उत्पादकता बढ़ाने में बहुत प्रभावी साबित हुए हैं। अमेजन जैसी जगहों पर, विशेषज्ञों और स्थानीय समुदायों दोनों द्वारा प्रबंधित मत्स्य पालन जैव विविधता में सुधार करता है।

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