भारत दुनिया के शीर्ष मछली उत्पादकों में शामिल, 10 देशों का उत्पादन में 90 फीसदी योगदान: एफएओ

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में उत्पादन के मामले में कतला प्रजाति शीर्ष दस प्रजातियों की सूची में आठवें स्थान पर रही।
मछली बाजार में बिक्री के लिए रखी हुई कतला मछली।
मछली बाजार में बिक्री के लिए रखी हुई कतला मछली। फोटो: आईस्टॉक
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खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट 'द स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर 2024' में पहली बार जलीय कृषि उत्पादन पारंपरिक मत्स्य पालन से उत्पादित की गई मछली से अधिक हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 10 देशों जिनमें चीन, इंडोनेशिया, भारत, वियतनाम, बांग्लादेश, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, नॉर्वे, मिस्र और चिली शामिल हैं, इनका जलीय कृषि उत्पादन में लगभग 90 फीसदी योगदान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में उत्पादन के मामले में कतला प्रजाति शीर्ष दस प्रजातियों की सूची में आठवें स्थान पर रही। यह प्रजाति शुरुआती दौर में, उत्तर भारत, सिंधु के मैदान और पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार की समीपवर्ती पहाड़ी नदियों में पाई जाती थी बाद में इसे पूरे भारत में सभी नदियों और जलाशयों तक पहुंचा दिया गया।

शीर्ष दस प्रजातियां
शीर्ष दस प्रजातियां'द स्टेट ऑफ वर्ल्ड फिशरीज एंड एक्वाकल्चर 2024

एफएओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2022 में जलीय कृषि उत्पादन अभूतपूर्व रहा जो 13.09 करोड़ टन तक पहुंच गया, जिसमें से 9.44 करोड़ टन जलीय जीव थे, जो कुल जलीय पशु उत्पादन का 51 फीसदी के बराबर है।

जलीय कृषि उत्पादन में वृद्धि के कारण मोलस्क और क्रस्टेशियन की हिस्सेदारी में भी वृद्धि हुई है।

साल 2022 में पकड़ी गई 75 प्रतिशत फिनफिश में से आधी समुद्री प्रजातियां थीं, जबकि 44 प्रतिशत मीठे या ताजे पानी की प्रजातियां थी। समुद्री फिनफिश भी उत्पादित कुल जलीय जीवों का 38 प्रतिशत हिस्सा थीं और उसके बाद मीठे पानी की मछलियां 33 प्रतिशत थीं।

रिपोर्ट के हवाले से एफएओ के सहायक महानिदेशक मैनुअल बारंगे ने कहा कि, ये आंकड़े जलीय कृषि में दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने की क्षमता रखती है। यह पिछले पांच दशकों में दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली खाद्य उत्पादन प्रणाली रही है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत जलीय पशु खाद्य पदार्थ हैं। दुनिया में इनकी प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत 2022 में 20.7 किलोग्राम थी, जो 1961 में 9.1 किलोग्राम थी और आने वाले वर्षों में इसमें और वृद्धि होने की उम्मीद जताई गई है।

1980 के दशक के उत्तरार्ध से पकड़ी गई मछलियों से हासिल होने वाली मात्रा स्थिर बनी हुई है, जो 2022 में 9.23 करोड़ टन के बराबर है।

रिपोर्ट के अनुसार, कार्प्स, बारबेल्स और अन्य साइप्रिनिड्स 2022 में उत्पादित प्रजातियों के मुख्य समूह का हिस्सा रहे हैं, जिनकी जलीय जीवों के उत्पादन में 18 प्रतिशत हिस्सेदारी है, इसके बाद अलग-अलग मीठे पानी की प्रजातियां (11 प्रतिशत) और क्लूपीफॉर्मेस जैसे हेरिंग, सार्डिन और एंकोवीज (10 प्रतिशत) हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि दुनिया के समुद्री मत्स्य पालन में 37.7 फीसदी मछली स्टॉक को 2021 में अंधाधुंध मछली पकड़ने के रूप में पहचाना गया था, जो कि 1974 के बाद से एक निरंतर, बढ़ती प्रवृत्ति है जब यह आंकड़ा सिर्फ 10 फीसदी था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थिरता का मुद्दा बहुत बड़ा चिंता का विषय है, हालांकि, दुनिया भर में कई बड़े व्यावसायिक मत्स्य पालन को अच्छी तरह से प्रबंधित कर रहे हैं, जिसमें टूना स्टॉक भी शामिल है, जो अब स्थिरता के 90 फीसदी के स्तर पर पहुंच रही है। पिछले दशक की तुलना में ये उल्लेखनीय सुधार है, मनुष्यों द्वारा उपभोग की जाने वाली शीर्ष 10 समुद्री प्रजातियों में से 80 फीसदी का सतत रूप से दोहन किया जा रहा है।

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