

सुपरमून का नजारा पांच नवम्बर, 2025 को: इस दिन चांद सामान्य से 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकीला दिखेगा।
गुजकोस्ट की पहल: गुजरात काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा चार से छह नवम्बर तक पूरे राज्य में सुपरमून वॉच कार्यक्रम आयोजित होंगे।
वैज्ञानिक महत्व: यह घटना तब होती है जब चांद अपने परिगी (सबसे नजदीकी बिंदु) पर पूर्णिमा के चरण में होता है।
चार लगातार सुपरमूनों की श्रृंखला: यह सुपरमून अक्टूबर 2025 से जनवरी 2026 तक चलने वाली श्रृंखला का दूसरा चरण है।
जन-जागरूकता और विज्ञान प्रसार: कार्यक्रमों का उद्देश्य आम लोगों, खासकर विद्यार्थियों में खगोल विज्ञान के प्रति रुचि और जिज्ञासा बढ़ाना है।
आसमान में होने जा रहा है एक अद्भुत खगोलीय नजारा, जो हर किसी के मन में कौतूहल और आश्चर्य जगाएगा। पांच नवम्बर, 2025 की रात को पूरा भारत, और विशेष रूप से गुजरात, एक सुपरमून के अद्भुत दृश्य का साक्षी बनेगा। इस अवसर को यादगार बनाने के लिए गुजरात काउंसिल ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (गुजकोस्ट), गांधीनगर ने एक विशेष पहल की है।
परिषद ने घोषणा की है कि वह अपने रीजनल साइंस सेंटर (आरएससी) और कम्युनिटी साइंस सेंटर (सीइससी) के माध्यम से राज्य के सभी जिलों में सुपरमून वॉच कार्यक्रम आयोजित करेगी। ये कार्यक्रम चार से छह नवम्बर तक शाम के समय आयोजित किए जाएंगे, ताकि अधिक से अधिक लोग इस अद्भुत प्राकृतिक घटना का आनंद ले सकें।
क्या होता है सुपरमून?
सुपरमून कोई साधारण पूर्णिमा नहीं होती। यह वह अवस्था होती है जब चांद अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु (परिगी) पर होता है और साथ ही वह पूर्णिमा के चरण में होता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे "परिगी-सिजीगी" कहा जाता है। जब ऐसा होता है, तब चांद आकाश में सामान्य पूर्णिमा की तुलना में लगभग 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकीला दिखाई देता है।
इस बार का सुपरमून पांच नवम्बर की रात को अपने सबसे नजदीकी बिंदु, लगभग 3,57,000 किलोमीटर की दूरी पर रहेगा। यही कारण है कि यह चांद इस साल का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला पूर्ण चांद होगा।
गुजरात में खास तैयारियां
गुजकोस्ट के अनुसार, राज्यभर में विज्ञान केंद्रों और सामुदायिक विज्ञान केंद्रों में विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे। इन कार्यक्रमों में खगोल विज्ञान के विशेषज्ञ, विज्ञान शिक्षकों और विद्यार्थियों की भागीदारी रहेगी। लोगों को दूरबीनों और विशेष यंत्रों के माध्यम से चांद को और नजदीक से देखने का अवसर मिलेगा। साथ ही, वहां उपस्थित विशेषज्ञ चांद के आकार, उसकी गति, दूरी और पृथ्वी के साथ उसके संबंध के बारे में सरल भाषा में समझाएंगे।
विज्ञान परिषद का उद्देश्य केवल सुंदर नजारा दिखाना नहीं है, बल्कि लोगों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा और समझ बढ़ाना भी है। इस अवसर पर आयोजित सत्रों में यह बताया जाएगा कि चांद की गति पृथ्वी के ज्वार-भाटा को कैसे प्रभावित करती है और क्यों सुपरमून के समय थोड़े अधिक प्रबल ज्वार देखे जा सकते हैं। हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार, इन ज्वारों का हमारे रोजमर्रा के जीवन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
चार लगातार सुपरमून की शृंखला
खगोलविदों के अनुसार, यह सुपरमून कोई अकेली घटना नहीं है। यह अक्टूबर 2025 से जनवरी 2026 तक होने वाली चार लगातार सुपरमूनों की श्रृंखला का दूसरा चरण है। यानी अगले कुछ महीनों तक आसमान में हर पूर्णिमा पहले से थोड़ा बड़ा और अधिक चमकीला चांद दिखेगा। ऐसी श्रृंखला बहुत कम देखने को मिलती है, इसलिए यह घटना खगोल विज्ञान प्रेमियों के लिए विशेष महत्व रखती है।
प्रकृति का अद्भुत संतुलन
सुपरमून केवल एक सुंदर दृश्य ही नहीं, बल्कि यह प्रकृति के संतुलन और अंतरिक्षीय गतियों का शानदार उदाहरण भी है। पृथ्वी, चांद और सूर्य के बीच की दूरी, गुरुत्वाकर्षण बल और कक्षाएं ये सब मिलकर इस अद्भुत दृश्य का निर्माण करते हैं। जब चाँद पृथ्वी के पास होता है और सूर्य के विपरीत दिशा में पूर्ण रूप से प्रकाशित होता है, तब उसका आकार और चमक हमें विशेष रूप से अधिक दिखाई देती है।
यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हम जिस ब्रह्मांड का हिस्सा हैं, वह कितना विशाल और रहस्यमय है। केवल दूरबीन से देखने भर से ही नहीं, बल्कि इन घटनाओं को समझने से भी हमारी वैज्ञानिक सोच विकसित होती है।
जन-जागरूकता और विज्ञान प्रसार
गुजकोस्ट और उसके विज्ञान केंद्रों द्वारा आयोजित ये कार्यक्रम केवल वैज्ञानिक जानकारी देने के लिए नहीं हैं, बल्कि जन-जागरूकता और विज्ञान प्रसार का भी माध्यम हैं। इन केंद्रों में आने वाले विद्यार्थियों, अभिभावकों और आम नागरिकों को बताया जाएगा कि खगोलीय घटनाएं हमारे जीवन का हिस्सा हैं और इन्हें समझना विज्ञान को निकट से जानने का सरल तरीका है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों में जिज्ञासा बढ़ती है। वे प्रश्न पूछते हैं, अवलोकन करते हैं और आकाश की ओर देखने की आदत विकसित करते हैं जो विज्ञान की पहली सीढ़ी है।
पांच नवम्बर, 2025 की रात निश्चित रूप से यादगार बनने वाली है। जब चांद आसमान में अपनी पूरी आभा के साथ चमकेगा, तब हर कोई उसकी ओर निहारता रह जाएगा। सुपरमून का यह अद्भुत दृश्य न केवल सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि यह हमें हमारे अंतरिक्षीय परिवेश की महानता का एहसास भी कराता है।
गुजरात सरकार और गुजकोस्ट की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जब विज्ञान को जनसाधारण तक पहुंचाया जाता है, तो वह केवल जानकारी नहीं, बल्कि प्रेरणा और आश्चर्य का स्रोत बन जाता है।
इस नवम्बर की ठंडी रात में परिवार और मित्रों के साथ खुले आसमान के नीचे खड़े होकर उस चमकते सुपरमून को निहारें और महसूस करें कि यह ब्रह्मांड कितना सुंदर और रहस्यमय है।