नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 25 अक्टूबर, 2024 को सिंगल-यूज प्लास्टिक के मामले में अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने उनसे जवाब मांगा है कि वो सिंगल-यूज प्लास्टिक के प्रतिबन्ध को लागू करने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
ट्रिब्यूनल ने पंजाब सरकार, जालंधर के डिप्टी कमिश्नर, प्रदूषण बोर्ड और अन्य अधिकारियों से भी अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे पर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी, 2025 को होगी।
गौरतलब है कि इस मामले में एक्शन ग्रुप अगेंस्ट प्लास्टिक पॉल्यूशन ने शिकायत दर्ज कराई है कि जालंधर में अधिकारी सिंगल-यूज प्लास्टिक पर लगाए प्रतिबंध को ठीक से लागू नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2021 के तहत सिंगल-यूज प्लास्टिक के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है, और पंजाब प्लास्टिक कैरी बैग नियंत्रण अधिनियम, 2005 को भी प्रतिबंध का समर्थन करने के लिए 2016 में अपडेट किया गया था।
हालांकि, अधिकारियों ने जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जिसके चलते सिंगल-यूज प्लास्टिक का अलग-अलग तरीके से उपयोग जारी है। आवेदक ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी की अधिसूचना का भी हवाला दिया है, जिसमें सिंगल-यूज प्लास्टिक की पहचान और नियंत्रण के बारे में बताया गया है।
आवेदक ने तस्वीरें भी साझा कीं हैं, जिनमें दिखाया गया है कि जालंधर के बाजारों में अभी भी सिंगल-यूज प्लास्टिक से बने बैगों का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। उनके मुताबिक विभिन्न अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद अभी तक कोई इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
हरिद्वार में गंगोत्री पेपर मिल द्वारा किया जा रहा प्रदूषण, आरोपों पर एनजीटी ने मांगा जवाब
25 अक्टूबर, 2024 को एनजीटी में पेपर मिल द्वारा किए जा रहे प्रदूषण का मुद्दा उठाया गया। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, गंगोत्री पेपर मिल, पर्यावरण मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
इन सभी को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले हलफनामे पर जवाब दाखिल करना होगा। इस पर अगली सुनवाई 19 फरवरी, 2025 को होनी है। मामला उत्तराखंड में हरिद्वार का है।
गौरतलब है कि आवेदक ने रुड़की स्थित गंगोत्री पेपर मिल द्वारा किए जा रहे वायु एवं जल प्रदूषण को लेकर अदालत में शिकायत की थी।
इस मामले में आवेदक की ओर से पेश वकील ने अदालत में तस्वीरों का भी हवाला दिया है, जिनमें उद्योग से काला धुआं निकलता दिखाई दे रहा था। उनके मुताबिक इससे प्रदूषण के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो रहा है। आवेदक ने अन्य तस्वीरों का भी हवाला दिया है। इन तस्वीरों में फैक्ट्री से निकलने वाले अपशिष्ट जल पर प्रकाश डाला गया है, जिसकी वजह से आस-पास का क्षेत्र प्रदूषित हो रहा है।