यमुना-हिंडन के बाढ़ क्षेत्र में निर्माण: एनजीटी ने उत्तर प्रदेश से मांगी प्रगति रिपोर्ट

मामला उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर, ग्रेटर नोएडा के गांव लखनावली में यमुना और हिंडन नदियों के फ्लड प्लेन जोन में बिन अनुमति के निर्माण से जुड़ा है
प्रदूषण का शिकार यमुना; फोटो: प्रभात कुमार
प्रदूषण का शिकार यमुना; फोटो: प्रभात कुमार
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  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना और हिंडन नदियों के बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन पर उत्तर प्रदेश से प्रगति रिपोर्ट मांगी है।

  • एनजीटी ने 18 दिसंबर 2025 को अगली सुनवाई से पहले रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया है।

  • यह मामला गौतम बुद्ध नगर में बिना अनुमति के निर्माण से जुड़ा है, जहां 250 से अधिक निर्माण हो चुके हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रधान पीठ ने 17 सितंबर 2025 को यमुना और हिंडन नदियों के बाढ़ क्षेत्र (फ्लड प्लेन) के सीमांकन से जुड़े मामले की सुनवाई की।

गौरतलब है कि एनजीटी ने 26 मई 2025 को दिए अपने पिछले आदेश में उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त एडवोकेट जनरल से यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र के सीमांकन के लिए अपनाई पद्धति का विवरण हलफनामा के रूप में पेश करने का निर्देश दिया था।

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील ने हलफनामे प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा है। उन्होंने 14 सितंबर 2025 को सिचाई विभाग द्वारा प्रस्तुत हलफनामे का हवाला देते हुए बताया कि ओखला बैराज से ऊपर यमुना नदी के शेष तीन किलोमीटर क्षेत्र में बाढ़ क्षेत्र का सीमांकन करीब तीन महीने में पूरा हो जाएगा। इसी पृष्ठभूमि में सुनवाई को स्थगित करने की अर्जी दी गई है।

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प्रदूषण का शिकार यमुना; फोटो: प्रभात कुमार

ऐसे में एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले ताजा प्रगति रिपोर्ट जमा करे। इस मामले में अगली सुनवाई 18 दिसंबर 2025 को होनी है।

यह मामला उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर, ग्रेटर नोएडा के गांव लखनावली में यमुना और हिंडन नदियों के फ्लड प्लेन जोन में बिन अनुमति के निर्माण से जुड़ा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि फ्लड प्लेन क्षेत्र में 250 से अधिक निर्माण हो चुके हैं। एनजीटी को यह याचिका भी प्राप्त हुई थी, जिसमें नदियों के फ्लड प्लेन क्षेत्र को सीमांकित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी।

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चेन्नई में फ्लड चैनल विवाद: समुद्री जीवन और पर्यावरण के लिए खतरा

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने तमिलनाडु के उठंडी में नए फ्लड एस्केप चैनल के माध्यम से होने वाले सीवेज प्रदूषण को लेकर बड़ा कदम उठाया है। 17 सितंबर 2025 को दिए अपने आदेश मे सीवेज प्रदूषण के आरोपों पर अधिकारियों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

अदालत ने इस मामले में ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, कांचीपुरम जिला कलेक्टर और चेन्नई मेट्रोपॉलिटन वाटर सप्लाई एंड सीवरेज बोर्ड को भी आदेश दिया है कि वे अपने जवाब हलफनामे के रूप में दाखिल करें। अधिकारियों को उनके जवाब दक्षिणी क्षेत्रीय पीठ के समक्ष प्रस्तुत करने होंगें।

गौरतलब है कि अंग्रेजी अखबार द हिंदू में 28 अगस्त 2025 को प्रकाशित एक खबर के आधार पर अदालत ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया है।

इस खबर में उठंडी के निवासियों की चिंता को उजागर किया गया है। उन लोगों ने चिंता जताई है कि नया चैनल सिर्फ बाढ़ का पानी नहीं बल्कि बकिंघम नहर से मिला सीवेज समुद्र में पहुंचा सकता है।

खबर में बताया गया है कि जल संसाधन विभाग ने ओक्कियाम मदुवु के पास दक्षिण बकिंघम नहर से वीजीपी लेआउट होते हुए समुद्र तक 1.2 किलोमीटर लंबा फ्लड एस्केप चैनल बनाने का काम शुरू कर दिया है। इसका उद्देश्य नहर में जमा अतिरिक्त पानी को निकलना और पल्लिकारनाई दलदली क्षेत्र के आसपास के इलाकों को बाढ़ से राहत देना है।

खबर में यह भी कहा गया है कि ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन ने उठंडी बीच को ब्लू फ्लैग बीच में बदलने की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन नया चैनल समुद्र तट को प्रदूषित कर सकता है और समुद्री जीवन पर असर डाल सकता है। साथ ही, फ्लड वॉटर चैनल की खुदाई से अन्य पाइपलाइन को भी नुकसान होने का खतरा है।

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