लोनी में रंगाई कारखानों से यमुना हो रही जहरीली: रिपोर्ट

समिति ने पाया कि लोनी के आर्य नगर क्षेत्र से निकलने वाला गंदा पानी इंदिरापुरी नाले में छोड़ा जा रहा है, जो आगे चलकर यमुना में मिल जाता है
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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गाजियाबाद की लोनी नगर पालिका परिषद में रंगाई और धुलाई का धंधा बिना सरकारी अनुमति के धड़ल्ले से चल रहा है।

संयुक्त समिति ने 4 अगस्त 2025 को सौंपी अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि लोनी में 37 रंगाई इकाइयां संचालन की बिना वैध सहमति के चल रही हैं। इनमें से अधिकांश आर्य नगर क्षेत्र में स्थित हैं।

समिति ने पाया कि लोनी के आर्य नगर क्षेत्र से निकलने वाला गंदा पानी इंदिरापुरी नाले में छोड़ा जा रहा है, जो आगे चलकर यमुना में मिल जाता है। शिकायतकर्ता प्रेम नगर रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अपनी याचिका में दावा किया है कि इलाके में 286 से ज्यादा छोटी अवैध फैक्ट्रियां रंगाई के लिए खतरनाक केमिकल का उपयोग कर रही हैं।

रिहायशी इलाकों में जहरीले केमिकल, भूजल हो रहा प्रदूषित

इन इकाइयों को प्रशासन से अनुमति या उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) से एनओसी नहीं मिली है, फिर भी ये बेधड़क चल रही हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक

इनसे निकलने वाले केमिकल हवा और पानी को प्रदूषित कर रहे हैं, आरोप है कि यह जहरीला पानी नालियों में बहकर भूजल में रिस रहा है, जिससे भूजल की गुणवत्ता भी खराब हो रही है।

गौरतलब है कि 24 अक्टूबर 2024 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का आदेश दिया था। समिति की पहली जांच में 17 अवैध रंगाई इकाइयां पकड़ी गईं, जिन्हें बंद कर दिया गया और उनके बिजली कनेक्शन भी काट दिए गए।

31 मार्च 2025 को दाखिल अंतरिम रिपोर्ट में बताया गया कि क्षेत्र में मौजूद 111 इकाइयों का सर्वेक्षण कई चरणों में किया गया। यह सर्वे उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लोनी नगर पालिका परिषद और बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा किया गया। सर्वे के दौरान 26 रंगाई और धुलाई इकाइयों की पहचानी की गई। इनमें से 15 इकाइयों के पास संचालन की वैध अनुमति थी, जबकि 10 इकाइयां बिना अनुमति के चल रही थीं।

इसके अलावा, एक इलेक्ट्रोप्लेटिंग फैक्ट्री भी बिना अनुमति के अवैध रूप से चल रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक अब तक समिति ने कुल 128 औद्योगिक इकाइयों की जांच की है।

2 अप्रैल 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बाकी 175 इकाइयों के सर्वे का आदेश दिया। यह सर्वे उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बिजली विभाग द्वारा किया गया।

इस जांच में पाया गया कि 24 इकाइयां संचालन की बिना वैध अनुमति के अवैध रूप से चल रही हैं। वहीं 2 इलेक्ट्रोप्लेटिंग यूनिट्स भी बिना अनुमति के काम कर रही थीं। रिपोर्ट के अनुसार, इलाके में कुल 50 रंगाई फैक्ट्रियां हैं, जिनमें से 34 के पास संचालन की वैध अनुमति नहीं है और महज 16 फैक्ट्रियां ही वैध अनुमति के चल रही हैं। साथ ही, अब तक की जांच में 3 इलेक्ट्रोप्लेटिंग इकाइयां भी अवैध रूप से चलती पाई गई हैं।

क्या प्रशासन करेगा ठोस कार्रवाई?

रिपोर्ट से यह साफ है कि लोनी में पर्यावरण और स्वास्थ्य को ताक पर रंगाई फैक्ट्रियां अवैध रूप से चल रही हैं। ऐसे में अब निगाहें प्रशासन और एनजीटी पर टिकी हैं कि क्या ये अवैध इकाइयों को स्थाई रूप से बंद करती हैं। साथ ही क्या यमुना और भूजल की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे या नहीं।

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