
जम्मू-कश्मीर की विशव धारा में अनियंत्रित खनन और प्रदूषण से जैव विविधता को गंभीर खतरा है।
मत्स्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, ट्राउट और स्किजोथोरैक्स मछलियों की आबादी प्रभावित हो रही है।
अवैज्ञानिक खनन गतिविधियों की समीक्षा और सख्त निगरानी की आवश्यकता है।
स्थानीय समुदायों को जागरूक कर धारा की सुरक्षा में भागीदारी बढ़ाई जा रही है।
जम्मू-कश्मीर के मत्स्य विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विशव धारा में होने वाले किसी भी बदलाव और गिरावट के लिए भूविज्ञान और खनन विभाग द्वारा निगरानी में की गई लापरवाही जिम्मेवार है। रिपोर्ट के मुताबिक कौसरनाग से निकलकर संगम पर झेलम में मिलने वाली विशव धारा कुलगाम जिले को रोजाना 60 लाख गैलन से अधिक पेयजल उपलब्ध कराती है।
रिपोर्ट के अनुसार धारा की जलीय जैवविविधता, खासकर ट्राउट और स्किजोथोरैक्स मछलियों की आबादी, बढ़ते प्रदूषण और अनियंत्रित खनन से गंभीर खतरे में हैं। बता दें कि स्किजोथोरैक्स मछली की एक देशी प्रजाति, जिसे आमतौर पर स्नो ट्राउट के नाम से भी जाना जाता है।
वैज्ञानिक तरीके के बिना किया गया खनन चाहे वो कानूनी हो या अवैध, खासकर मछलियों के प्रजनन मौसम में पानी की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। ट्राउट की प्रजनन अवधि अक्टूबर से दिसंबर जबकि स्किजोथोरैक्स की अप्रैल से जून के बीच होती है। इस समय खनन से स्थिति और बिगड़ जाती है।
यह भी कहा गया है कि खनन में इस्तेमाल होने वाली भारी मशीनों के इस्तेमाल से जल प्रवाह बाधित होता है, आवास नष्ट होते हैं। इससे प्रजातियों की विविधता और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।
विभाग ने विशव धारा क्षेत्र में प्रदूषण और खनन की स्थिति का आकलन करने के लिए विस्तृत निरीक्षण शुरू किया है। इस संबंध में प्रदूषण नियंत्रण विभाग को भी शामिल किया गया है, ताकि धारा में नालों और कृषि अपशिष्ट के प्रवेश को रोका जा सके।
साथ ही, सामाजिक विज्ञापनों और जागरूकता कार्यक्रमों के जरिए स्थानीय समुदायों को जागरूक किया जा रहा है ताकि वे धारा की अहमियत समझें और अवैध खनन की जानकारी दें। साथ ही धारा की सुरक्षा में भागीदारी बने।
धारा को बचाने के लिए क्या कुछ दिए गए हैं सुझाव
मत्स्य विभाग धारा के पारिस्थितिकी तंत्र और जलीय जीवों के आवास को बचाने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार धारा में अब तक जो भी बदलाव या गिरावट देखी गई है, वह भूविज्ञान और खनन विभाग की कमजोर निगरानी के कारण हुई है।
मत्स्य विभाग की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि धारा को नुकसान पहुंचाने वाली अवैज्ञानिक खनन गतिविधियों की तत्काल समीक्षा की जानी चाहिए। साथ ही, भूविज्ञान और खनन विभाग को कानूनी और अवैध दोनों तरह की अनियंत्रित खनन गतिविधियों पर कड़ी निगरानी और नियंत्रण रखने के साथ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
यह भी सुझाव दिया गया है कि खनन केवल उन्हीं तय सूखे हिस्सों में सख्त शर्तों के साथ ही होना चाहिए, जिन्हें चिन्हित किया गया है, ताकि पर्यावरण पर कम से कम असर पड़े। जिन हिस्सों में जलीय जीव हैं, वहां खनन पूरी तरह बंद कर दिया जाना चाहिए, ताकि जैव विविधता सुरक्षित रहे।
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि पर्यावरण अनुकूल खनन और धारा की सुरक्षा के लिए भूविज्ञान व खनन, मत्स्य, बाढ़ नियंत्रण व सिंचाई विभागों के साथ-साथ स्थानीय निकायों और समुदायों को मिलकर काम करना होगा।
20 मार्च 2025 को तैयार की गई यह रिपोर्ट 10 सितंबर 2025 को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड की गई है।