इंसानी दखल से खतरे में बेतवा का उद्गम, समिति ने की अतिक्रमण-बढ़ते कंक्रीट को रोकने की कड़ी सिफारिश

संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि उद्गम स्थल पर मानव हस्तक्षेप रोका जाए, सभी प्राकृतिक जलस्रोतों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और पक्के निर्माण पर कड़ाई से रोक लगाई जाए
बेतवा नदी; फोटो: आईस्टॉक
बेतवा नदी; फोटो: आईस्टॉक
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सारांश
  • रायसेन के झिरी में बेतवा नदी के उद्गम स्थल पर संयुक्त समिति ने अतिक्रमण, कंक्रीट निर्माण और पेड़ों की कटाई को नदी की सेहत के लिए गंभीर खतरा बताया है।

  • रिपोर्ट में मानव हस्तक्षेप रोकने, प्राकृतिक जलस्रोतों की पहचान व संरक्षण, वाहनों की आवाजाही सीमित करने और क्षेत्र को वन विभाग व टाइगर रिजर्व के अधीन बनाए रखने की सिफारिश की गई है।

  • समिति ने निरीक्षण के दौरान पाया कि झिरी में बेतवा नदी के पहले से चिन्हित उद्गम स्थल “गोमुख” के अलावा भी कई जगहों से पानी निकल रहा है। झीरी के सरपंच और स्थानीय लोगों ने समिति को बताया कि झिरी के आसपास और भी कई प्राकृतिक जलस्रोत हैं, जिन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से नहीं पहचाना गया है।

  • समिति ने सलाह दी है कि उद्गम स्थल पर और पक्के निर्माण नहीं किए जाने चाहिए। साथ ही वहां लोगों के रहने की अनुमति नहीं होनी चाहिए और पेड़ों को काटने पर सख्त रोक लगाई जानी चाहिए।

रायसेन के झिरी में बेतवा नदी के उद्गम स्थल की सुरक्षा जरूरी है और इसे किसी भी तरह के अतिक्रमण और इंसानी दखल से बचाया जाना चाहिए। यह बात संयुक्त समिति ने एक दिसंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल रिपोर्ट में कही है।

गौरतलब है कि एनजीटी के 23 जुलाई 2025 को दिए आदेश पर एक संयुक्त समिति गठित की गई थी। समिति ने मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में झिरी गांव का दौरा किया था। यह वही स्थान है, जहां से बेतवा नदी का उद्गम होता है।

समिति ने निरीक्षण के दौरान पाया कि झिरी में बेतवा नदी के पहले से चिन्हित उद्गम स्थल “गोमुख” के अलावा भी कई जगहों से पानी निकल रहा है। झीरी के सरपंच और स्थानीय लोगों ने समिति को बताया कि झिरी के आसपास और भी कई प्राकृतिक जलस्रोत हैं, जिन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से नहीं पहचाना गया है।

समिति ने इन सभी प्राकृतिक जलस्रोतों को भी बेतवा के महत्वपूर्ण स्रोत मानते हुए चिन्हित और संरक्षित करने की सिफारिश की है।

रिपोर्ट के मुताबिक बेतवा के जिस चिन्हित स्रोत को “गोमुख” कहा जाता है और पक्का बनाया गया था, वह टूटा हुआ मिला। हालांकि निरीक्षण के समय गोमुख से पानी का प्राकृतिक रूप से प्रवाह जारी था।

समिति ने यह भी देखा कि उद्गम स्थल के आसपास अतिक्रमण, कंक्रीट की संरचनाएं और पेड़ों की कटाई हुई है, जो नदी की सेहत के लिए खतरा बन सकती है। ऐसे में समिति ने सलाह दी है कि उद्गम स्थल पर और पक्के निर्माण नहीं किए जाने चाहिए। साथ ही वहां लोगों के रहने की अनुमति नहीं होनी चाहिए और पेड़ों को काटने पर सख्त रोक लगाई जानी चाहिए।

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बेतवा नदी; फोटो: आईस्टॉक

टाइगर रिजर्व का हिस्सा है बेतवा का उद्गम क्षेत्र

रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में झिरी स्थित बेतवा नदी का उद्गम स्थल रातापानी टाइगर रिजर्व के संवेदनशील जोन में आता है, जोकि वन विभाग के नियंत्रण में है। समिति ने कहा कि झिरी उद्गम स्थल के समग्र संरक्षण और विकास के लिए यह जरूरी है कि यह क्षेत्र आगे भी वन विभाग के अधीन ही रहे और टाइगर रिजर्व का हिस्सा बना रहे।

इससे क्षेत्र के समग्र संरक्षण में मदद मिलेगी और जंगली जीवों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

समिति ने रिपोर्ट में कहा, “भारत धार्मिक आस्थाओं वाला देश है और करीब-करीब हर नदी व उसके उद्गम से लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं, लेकिन फिर भी इन स्रोतों को मानव हस्तक्षेप से दूर रखना जरूरी है। यह जल गुणवत्ता को बचाने का एकमात्र तरीका है।“

इंसानी दखल कम करने की सिफारिश

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना जरूरी है और आगे किसी भी तरह का अतिक्रमण बिल्कुल नहीं होने दिया जाना चाहिए। नहीं तो बेतवा के उद्गम स्थल के क्षतिग्रस्त या रुक जाने का गंभीर खतरा बना रहेगा।

समिति ने उद्गम स्थल को सुरक्षित रखने के लिए कई सुझाव दिए हैं। मानव हस्तक्षेप रोकने के लिए समिति ने सुझाव दिया कि झिरी के उद्गम स्थल पर सिर्फ पैदल आवाजाही की अनुमति देने वाला एक जिगजैग गेट लगाया जाए। यह काम रायसेन जिला प्रशासन या रातापानी टाइगर रिजर्व/ रायसेन वन विभाग कर सकता है।

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बेतवा नदी; फोटो: आईस्टॉक

सभी वाहनों को मुख्य सड़क तक ही सीमित रखा जाए। इससे न सिर्फ बेतवा नदी के उद्गम स्रोत सुरक्षित रहेंगे, बल्कि आसपास के वन्यजीवों की सुरक्षा भी बेहतर हो सकेगी।

नदी स्रोत के पास नए कंक्रीट ढांचे न बनाए जाएं। धारा के भीतर बनाए गए सभी पक्के निर्माणों को वन विभाग, जिला प्रशासन रायसेन और पुलिस की मदद से तुरंत हटाया जाए। उनकी जगह लकड़ी के लट्ठों, मिट्टी जैसे प्राकृतिक पदार्थों से अस्थाई और पर्यावरण-अनुकूल संरचनाएं बनाई जाएं। क्षेत्र में पेड़ काटने पर सख्त रोक लगाई जाए।

निरीक्षण के दौरान रातापानी टाइगर रिजर्व के वन अधीक्षक ने बताया कि झिरी में बेतवा के उद्गम स्थल के संरक्षण के लिए डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर, ओबेदुल्लागंज ने एक व्यापक कार्य योजना तैयार की है।

इस कार्य योजना में 118 पर्कोलेशन टैंक बनाने, बोल्डर चेक डैम, कंटूर और कंटीन्यूस कंटूर ट्रेंचिंग, और उद्गम स्थल से दो हेक्टेयर क्षेत्र में मियावाकी तकनीक से वृक्षारोपण शामिल किया जाए। इन सभी गतिविधियों को प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए और कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

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