भूजल में नाइट्रेट का बढ़ा खतरा: देश भर से लिए 20 फीसदी नमूनों में तय सीमा से अधिक प्रदूषण

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने जानकारी दी है कि साल 2023 में भूजल की गुणवत्ता जांचने के लिए पूरे देश में 15,259 स्थानों से नमूने लिए गए थे। इन जांचों में पाया गया कि करीब 19.8 फीसदी नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा तय सीमा से अधिक थी
फोटो: मीता अहलावत
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सारांश
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है, जिसमें देशभर के भूजल में नाइट्रेट की मात्रा खतरनाक स्तर पर पाई गई है।

  • 2023 में लिए गए 15,259 नमूनों में से 19.8 फीसदी में नाइट्रेट की मात्रा तय सीमा से अधिक थी। एनजीटी ने इस मामले में अगली सुनवाई 24 दिसंबर 2025 को तय की है।

  • देश के 440 जिलों के भूजल में नाइट्रेट की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है, जबकि साल 2017 में यह संख्या 359 थी। यानी, सात वर्षों में 81 जिलों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 17 अक्टूबर 2025 को केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) की उस रिपोर्ट पर संज्ञान लिया, जिसमें देशभर के भूजल में नाइट्रेट की मात्रा अधिक पाए जाने की बात कही गई है।

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने 14 अक्टूबर 2025 को दायर अपने जवाब में बताया कि साल 2023 में देशभर में 15,259 स्थानों से भूजल के नमूने लिए गए थे ताकि पानी की गुणवत्ता का आकलन किया जा सके। जांच में पाया गया कि करीब 19.8 फीसदी नमूनों में नाइट्रेट की मात्रा तय सीमा से अधिक थी।

केंद्रीय भूजल बोर्ड की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि इस विषय पर एक अध्ययन किया गया है और उसकी रिपोर्ट पेश करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा गया है।

एनजीटी ने यह अनुरोध स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई 24 दिसंबर 2025 के लिए तय की है। गौरतलब है कि इस मामले में अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया है। यह कार्रवाई 1 जनवरी 2025 को द हिंदू अखबार में छपी रिपोर्ट के आधार पर की गई।

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रिपोर्ट के अनुसार, देश के 440 जिलों के भूजल में नाइट्रेट की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है, जबकि साल 2017 में यह संख्या 359 थी। यानी, सात वर्षों में 81 जिलों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

तेलंगाना: ग्रामीणों का प्रदर्शन, एनजीटी में उठा फार्मास्यूटिकल कचरे का मामला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 17 अक्टूबर 2025 को तेलंगाना के संगारेड्डी जिले के गुम्मादिदला मंडल, डोमाडुगु गांव में फार्मास्यूटिकल कंपनियों द्वारा पानी में कचरा छोड़े जाने के मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है।

ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, संगारेड्डी के जिलाधिकारी और तेलंगाना राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है। यह मामला दक्षिणी पीठ द्वारा 3 दिसंबर 2025 को सुना जाएगा।

गौरतलब है कि 24 सितंबर 2025 को तेलंगाना टुडे में प्रकाशित एक खबर के आधार पर इस मामले में अदालत ने स्वतः संज्ञान लिया है।

खबर के मुताबिक, डोमाडुगु गांव के नाला चेर्वु में ग्रामीण और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने स्थानीय जलाशय में फार्मास्यूटिकल अपशिष्ट छोड़ने के खिलाफ प्रदर्शन किया था।

स्थानीय लोगों का कहना है कि कंपनियां जहरीला कचरा सीधे झील में छोड़ रही हैं, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। ग्रामीणों ने सरकार से कचरे को जलाशय में छोड़ने पर रोक लगाने की मांग की है।

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मथुरा में यमुना फ्लडप्लेन पर अवैध निर्माण: एनजीटी ने अधिकारियों से मांगा जवाब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 17 अक्टूबर 2025 को मथुरा में यमुना नदी के फ्लडप्लेन पर हो रहे हाउसिंग निर्माण के मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है।

ट्रिब्यूनल ने इस बारे में राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, यूपी सिंचाई विभाग और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में अपनी रिपोर्ट पेश करें।

गौरतलब है कि इस मामले में आवेदक ने “मलबरी कबाना” नामक हाउसिंग प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई है, जो मथुरा जिले के सादर तहसील, मौजा अरुण खादर, खसरा 139 में चल रहा है। आवेदक का कहना है कि यह निर्माण पर्यावरण मंजूरी (ईआईए अधिसूचना, 2006) को ताक पर रख किया जा रहा है। साथ ही इसके लिए राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण से पर्यावरण मंजूरी भी नहीं ली गई है।

आवेदक ने यह भी तर्क दिया है कि निर्माण यमुना नदी के फ्लडप्लेन पर हो रहा है।

आवेदक के वकील ने कोर्ट का ध्यान यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा जारी नोटिस की ओर भी आकर्षित किया, जिसमें बताया गया है कि बिना अनुमति निर्माण जारी है, और इसी कारण यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

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