आंध्र प्रदेश के कई जिलों के भूजल में फ्लोराइड का स्तर तय सीमा से अधिक पाया गया है। इन जिलों के भूजल में फ्लोराइड का स्तर 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है। वहीं आंध्र प्रदेश ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग विभिन्न योजनाओं के माध्यम से फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीणों को सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति कर रहा है।
भूजल के जिन स्रोतों में फ्लोराइड स्तर तय सीमा से बहुत ज्यादा है, उन्हें लाल रंग से चिह्नित किया गया है और उन्हें "पीने के लिए उपयुक्त नहीं" के रूप में अधिसूचित किया गया है। इस बीच स्थानीय लोगों को भी इस बारे में जागरूक किया जा रहा है कि वे इस पानी का पीने के लिए उपयोग न करें। इनका उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
यह जानकारी आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा सौंपी रिपोर्ट में सामने आई है, जिसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश पर 12 अप्रैल, 2024 कोर्ट में सबमिट किया गया है।
केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) का कहना है कि आंध्र प्रदेश के सात जिलों अनंतपुर, पूर्वी गोदावरी, गुंटूर, कृष्णा, कुरनूल, नेल्लोर और प्रकाशम के भूजल में आर्सेनिक का स्तर 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक है, जोकि पेयजल के लिए इसकी अधिकतम स्वीकार्य सीमा है।
वहीं आंध्रप्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी देते हुए लिखा है कि भूजल के नमूने जिनमें आर्सेनिक 0.01 मिलीग्राम/लीटर की अनुमेय सीमा के करीब पाया गया, उन्हें गांव के पेयजल स्रोतों से नहीं एकत्र किया गया था। बल्कि उन्हें राष्ट्रीय हाइड्रोग्राफ नेटवर्क के निगरानी स्टेशनों और मुख्य रूप से जलोढ़ मिट्टी वाले क्षेत्रों में उथले कुओं से एकत्र किया गया था। इन कुओं की गहराई 11 मीटर से कम है।
23 नमूनों में तय सीमा से अधिक पाया गया आर्सेनिक
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रभावित जिलों में पानी के केवल 23 नमूनों में तय सीमा से अधिक आर्सेनिक पाया गया है, जो छिटपुट घटना है। रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि यह संभवतः प्राकृतिक कारणों से नहीं है, बल्कि इसके लिए फॉस्फेट उर्वरक, कीटनाशक और खराब जल निकासी जैसे कारण जिम्मेवार हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि आंध्र प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल स्रोतों में आर्सेनिक का स्तर सुरक्षित है। वहां पीने के पानी के सभी नमूने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा निर्धारित 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर की अनुमेय सीमा के भीतर थे। इससे पता चलता है कि स्थिति चिंताजनक नहीं है।
रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि आंध्र प्रदेश ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग एकल ग्राम योजनाओं के माध्यम से आर्सेनिक प्रभावित सभी ग्रामीण बस्तियों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध करा रहा है।
यह भी बताया गया है कि आंध्र प्रदेश में सभी जल स्रोतों के रासायनिक मापदंडों के लिए साल में एक बार और स्थानीय जल गुणवत्ता निगरानी प्रयोगशालाओं द्वारा बैक्टीरिया के स्तर का साल में दो बार मानसून से पहले और बाद में परीक्षण किया जाता है।