माइक्रोप्लास्टिक से जलधाराओं और जीवों पर खतरा: अध्ययन

नदियों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक चिंताजनक है, क्योंकि जलीय जीव इन्हें निगल सकते हैं, जिससे उनके पाचन और प्रजनन क्षमता को खतरा हो सकता है।
लोग नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में माइक्रोप्लास्टिक के जमा होने से निपटने के लिए हर रोज उपाय अपना सकते हैं
लोग नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में माइक्रोप्लास्टिक के जमा होने से निपटने के लिए हर रोज उपाय अपना सकते हैंफोटो साभार: आईस्टॉक
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माइक्रोप्लास्टिक, फेस वॉश से लेकर टूथपेस्ट तक रोजमर्रा के उत्पादों में पाए जाने वाले छोटे प्लास्टिक कण, स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी के लिए एक उभरता हुआ खतरा हैं। शोधकर्ताओं की एक टीम के द्वारा इस बात का पता लगाने की कोशिश की गई है कि क्या जलधाराओं में यह फंसा रह सकता है।

सिंथेटिक कपड़े धोने और गाड़ी चलाने जैसी रोजमर्रा की गतिविधियां, जो टायरों को घिस देते हैं, शहर की धूल से लेकर जलमार्गों तक के वातावरण में माइक्रोप्लास्टिक जमा होने के कई कारण हैं। प्लास्टिक में अक्सर जहरीले रसायन होते हैं जो मनुष्यों और वन्यजीवों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकते हैं

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शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि मनुष्य माइक्रोप्लास्टिक के मुख्य स्रोत हैं। माइक्रोप्लास्टिक आकार, संरचना और वजन में अनोखे हैं। वे पांच मिलीमीटर से भी कम व्यास के होते हैं और गोल हो सकते हैं, जैसा कि कुछ फेस वॉश और टूथपेस्ट में पाया जाता है। पॉलिएस्टर या नायलॉन जैसे सिंथेटिक कपड़ों को धोते समय निकलने वाले छोटे कणों जैसे रेशे हो सकते हैं। अंत में ये माइक्रोप्लास्टिक नदियों और महासागरों में समा जाते हैं।

ये अलग-अलग आकार और आकृतियां माइक्रोप्लास्टिक की गति को और अधिक जटिल बनाती हैं। शोधकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि कौन से कारण हैं जिससे ये धाराओं में फंस जाते हैं।

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शोध में कहा गया है कि धाराओं में माइक्रोप्लास्टिक के रेशे या फाइबर का बहना और बेंथिक शैवाल में जमा होना, निकलने और टूटने से प्रभावित होता है। वैज्ञानिकों ने पिछले दशक में ही माइक्रोप्लास्टिक की समस्या और इसके परिणाम को महसूस कर लिया था।

लिम्नोलॉजी एंड ओशनोग्राफी में प्रकाशित शोध में बताया गया है कि नदियों में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक चिंताजनक है, क्योंकि जलीय जीव इन्हें निगल सकते हैं, जिससे उनके पाचन और प्रजनन क्षमता को खतरा हो सकता है। साथ ही अपने छोटे आकार के कारण ये आसानी से फैल सकते हैं और इनमें मौजूद विषाक्त पदार्थ वन्यजीवों और लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं।

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माइक्रोप्लास्टिक निकलने वाली जगहों की पहचान करना

शोध पत्र में कहा गया है कि शोधकर्ताओं ने चार कृत्रिम धाराओं के स्तर बनाने वाली सामग्री को डिजाइन किया, जो कि कंकड़, बजरी, रेत और तीनों के मिश्रण से बना है। फिर उन्होंने धाराओं को बेंथिक शैवाल ऐसे शैवाल जो सतह पर रहते हैं, के साथ इन्हें रखा और शैवाल की उपस्थिति के रूप में माइक्रोप्लास्टिक के जमा होने के परीक्षण किए गए।

धारा से निकलने से तात्पर्य किसी निश्चित समय अवधि में धारा में नीचे की ओर बहने वाले पानी की मात्रा से है। उदाहरण के लिए, जैसे-जैसे पानी की यह मात्रा बढ़ती है, धारा का प्रवाह आम तौर पर तेज हो जाता है।

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शोध के मुताबिक, शैवाल के उच्च स्तर, धारा से निकलने के उच्च स्तर वाली धाराओं में अध्ययन की तीन दिवसीय प्रायोगिक अवधि के दौरान माइक्रोप्लास्टिक के जमा होने के स्तर में वृद्धि देखी गई।

शोध के निष्कर्षों से यह भी पता चला कि तूफान जैसे मामलों में माइक्रोप्लास्टिक तेजी से निकल सकते हैं, जिसका अर्थ है कि वे धारा के तल से ऊपर उठ जाते हैं जहां वे जमा होते हैं। इन तरह की घटनाओं के द्वारा इन कणों को नीचे की ओर ले जाए जाने के आसार बढ़ जाते हैं।

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शोध के परिणामों ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे ये माइक्रोप्लास्टिक के निकलने के खतरे को कम करने के लिए सबसे अच्छे तरीकों की पहचान कर सकते हैं।

शोध के परिणामों से पता चलता है कि कुछ धारा विशेषताएं, उदाहरण के लिए रेतीले धारा तल की तुलना में चट्टानी तल, यह तय कर सकती हैं कि धारा के भीतर माइक्रोप्लास्टिक कण कहां जमा होंगे। जिसका उपयोग यह तय करने के लिए किया जा सकता है कि सफाई प्रयासों में किन जगहों को प्राथमिकता दी जाए।

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इसके अलावा परिणामों से यह भी पता चलता है कि तूफानों के कारण माइक्रोप्लास्टिक धारा तल से पानी में चले जाते हैं और बाद में नीचे की ओर चले जाते हैं, जिसका उपयोग धाराओं से माइक्रोप्लास्टिक को हटाने के प्रयासों के लिए सबसे अच्छा समय निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है।

बड़ा बदलाव लाने का अवसर

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि किस तरह से लोग नदी के पारिस्थितिकी तंत्र में माइक्रोप्लास्टिक के जमा होने से निपटने के लिए हर रोज उपाय अपना सकते हैं और उन्होंने लोगों को यह सोचने से सतर्क किया कि ये अकेले किए गए उपाय कारगर नहीं होंगे।

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कपड़े धोने के दौरान कपड़ों से निकलने वाले माइक्रोप्लास्टिक को पकड़ने के लिए डिजाइन किए गए लॉन्ड्री बैग के इस्तेमाल किया जा सकता है।

शोध पत्र में शोधकर्ता के हवाले से कहा गया है कि पर्यावरण से जुड़ी चीजों के बारे में सोचते समय हमें हमेशा व्यक्तिगत कार्यों को ध्यान में रखना चाहिए। भले ही वे छोटे ही क्यों न हों, लेकिन सामूहिक रूप से हमारे पास वाकई बहुत बड़ा बदलाव लाने का अवसर है।

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