छिंदवाड़ा: अवैध कोयला खनन हादसे पर एनजीटी सख्त, मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस

छिंदवाड़ा में अवैध कोयला खनन के दौरान खदान धंसने से दो मजदूरों की मौत हो गई थी। अदालत ने इसकी जांच के लिए संयुक्त समिति के गठन के निर्देश दिए हैं
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी
Published on
सारांश
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने छिंदवाड़ा में अवैध कोयला खनन हादसे पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

  • एनजीटी ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और छिंदवाड़ा के उप प्रभागीय अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है।

  • हादसे में दो लोगों की मौत और एक घायल हुआ था।

  • समिति को घटनास्थल का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए छिंदवाड़ा जिले के जुन्नारदेव क्षेत्र में मोआरी ओपनकास्ट खदान धंसने की घटना पर जवाब मांगा है।

इसके साथ ही 29 अक्टूबर 2025 को दिए आदेश में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और छिंदवाड़ा के उप प्रभागीय अधिकारी को भी मामले पर अपनी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि इस हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि एक व्यक्ति घायल हुआ है।

अधिकरण ने छिंदवाड़ा के जिला कलेक्टर और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों की एक दो-सदस्यीय संयुक्त समिति बनाने के भी निर्देश दिए हैं। समिति से घटनास्थल का निरीक्षण कर तथ्यात्मक रिपोर्ट और की गई कार्रवाई का ब्योरा प्रस्तुत करने को कहा गया है।

यह मामला 29 सितंबर 2025 को भास्कर न्यूज में प्रकाशित एक खबर के आधार पर उठाया गया, जिसमें बताया गया था कि खनन क्षेत्र धंसने से दो लोगों की मौत हो गई और एक व्यक्ति घायल हुआ है। जानकारी दी गई है कि हादसे के वक्त यह तीनों कोयला निकालने के काम में लगे हुए थे।

यह भी पढ़ें
डाउन टू अर्थ खास: छोड़ी गई खदानों पर बसे हैं लोग, कभी भी हो सकता है हादसा
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी

रिपोर्टों के अनुसार, लोग वर्षों से यहां अवैध रूप से कोयला निकाल रहे थे, वे रोजाना चार से पांच बोरी कोयला निकालकर 100 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से बेचते थे। बताया गया है कि पिछले पांच सालों में ऐसे कम से कम चार घातक हादसे हो चुके हैं।

यह भी सामने आया कि कोयला माफिया मजदूरों को इस काम में लगाते हैं, जबकि पुलिस और खदान अधिकारी नियमित गश्त करते हैं।

आवेदन में कहा गया है कि ओपनकास्ट खदानों से कोयला निकालने का काम तय समय के बाद खत्म हो जाता है, लेकिन यदि इनका वैज्ञानिक तरीके से पुनर्वास और सुरक्षा बंदोबस्त नहीं किया जाता, तो ऐसी खदानें खतरनाक और असुरक्षित बनी रहती हैं।

ऐसी छोड़ी गई खदानें अक्सर अवैध खनन का अड्डा बन जाती हैं। इन खदानों में अवैध खनन की गतिविधियां फलती-फूलती हैं, जिससे ऐसे घातक हादसे होते हैं।

यह भी पढ़ें
बोकारो में अवैध खनन के लिए काटे गए आम, बबूल, महुआ जैसे हजारों पेड़, अब जांच करेगी संयुक्त समिति
प्रतीकात्मक तस्वीर: विकास चौधरी

किरावली में लगाए गए हैं 190 पौधे, पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में एनजीटी में सौंपी रिपोर्ट

आगरा के जिला वन अधिकारी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा 16 अक्टूबर 2025 को दिए आदेश पर वृक्षारोपण पर खर्च की गई राशि का ब्यौरा प्रस्तुत किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, किरावली रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी ने बताया है कि प्रतिपूरक वृक्षारोपण के लिए जमा की गई 125,000 रुपए की राशि से सितंबर 2025 में वृक्षारोपण अभियान चलाया गया था। इस अभियान के तहत रुनकता वनखंड में कुल 190 पौधे लगाए गए। इनमें पारस पीपल, नीम, अर्जुन, पापड़ी, कंजही, बालमखीरा और शीशम जैसे सात प्रजातियों के पौधे शामिल हैं।

यह रोपण करीब 0.175 हेक्टेयर क्षेत्र में किया गया है।

29 अक्टूबर 2025 को अदालत में सबमिट रिपोर्ट के मुताबिक, वन अपराध के मामले में वसूले गए दो लाख रुपए की जुर्माना राशि को आगरा के सरकारी कोषागार में जमा कर दिया गया है। यह मामला किरावली तहसील के अछनेरा देहात गांव में पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़ा है। 

Related Stories

No stories found.
Down to Earth- Hindi
hindi.downtoearth.org.in