नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बोकारो में सेंट्रल कोलफील्ड द्वारा किए जा रहे खनन को लेकर सामने आई शिकायतों की जांच के लिए एक संयुक्त समिति के गठन का निर्देश दिया है। आरोप है कि खनन की वजह से दामोदर नदी भी प्रदूषित हो रही है। मामला झारखंड में बोकारो के पिचरी दक्षिण का है।
छह सितंबर, 2024 को दिए इस आदेश के मुताबिक जांच समिति में पर्यावरण मंत्रालय का रांची कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जेएसपीसीबी) और बोकारो के जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे।
समिति को साइट का दौरा करने, जानकारी एकत्र करने और एक महीने के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है। उन्हें यह भी जांचना होगा कि क्या सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड खनन गतिविधियों में पर्यावरण मंजूरी और सहमति के नियमों का पालन कर रहा है या नहीं।
आरोप है कि दामोदर नदी के पास अवैध रूप से लाखों टन कोयले का खनन किया गया है। वहां सखुआ, आम, बबूल, पाइपर, कदम, अर्जुन, केंद और महुआ जैसे हजारों पेड़ काट दिए गए हैं। अवैध खनन से निकलने वाले पत्थर और मलबे जैसे कचरे को नदी में डाला जा रहा है, जिससे नदी का प्रवाह बदल रहा है और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है।
एनजीटी ने लुधियाना नगर निगम को दिया सड़कों के किनारे से अभेद्य टाइलें हटाने का आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने लुधियाना नगर निगम से कहा है कि वह सड़कों के किनारे अभेद्य टाइलों के स्थान पर ऐसी टाइलें लगाए जिनसे पानी गुजर सके। ट्रिब्यूनल ने छह सितंबर, 2024 को नगर निगम से दस दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 23 सितंबर 2024 को होगी।
नगर निगम की ओर से पेश वकील ने स्वीकार किया है कि वहां पानी सोखने वाली टाइलों के बजाय इंटरलॉकिंग टाइलें लगाई गई हैं जो पानी को नहीं सोख रही। यह टाइलें भूजल रिचार्ज करने की क्षमता को प्रभावित कर रही हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि यह एनजीटी द्वारा दिए आदेशों के अनुरूप नहीं है। वहीं आवेदक ने यह कहते हुए अपनी आपत्ति जताई है कि नगर निगम ने इस समस्या को हल करने के लिए जमीनी स्तर पर अब तक कुछ नहीं किया है।
ऐसे में आवेदक ने लुधियाना नगरपालिका की सीमा के भीतर सड़कों के किनारे से ठोस, अभेद्य कंक्रीट इंटरलॉकिंग टाइल्स को हटाने का निर्देश देने की मांग की है।
उनकी मांग है कि इनकी जगह जिन टाइलों को लगाया जाए उनमें पानी जाने के लिए छिद्र होने चाहिए। इसके साथ ही यह टाइलें सड़क किनारे के पांच फीसदी से ज्यादा हिस्से को कवर न करें।
वहीं बाकी क्षेत्रों का उपयोग झाड़ियां और पौधे लगाने के लिए किया जाना चाहिए। सड़कों के किनारे बारिश के पानी की निकासी की उचित व्यवस्था होनी चाहिए और आसपास के क्षेत्रों को हरे भरे क्षेत्रों में बदल दिया जाना चाहिए।