अवैध रेत खनन पर शिकंजा: राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई

46 हजार घन मीटर रेत जब्त, ड्रोन और सीसीटीवी से निगरानी तेज, पर्यावरण और स्वास्थ्य बचाने की कवायद जारी
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
अवैध खनन का कारोबार; प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य से अवैध खनन की गई रेत को जब्त करने के बाद मिट्टी में मिलाकर अनुपयोगी बना दिया जाता है, ताकि इसका अवैध व्यापार न हो सके। साल 2024 में कुल 46,118.55 घन मीटर रेत जब्त की गई, और उसमें से 45,799 घन मीटर रेत नष्ट कर दी गई है। इसका मतलब है कि जब्त की गई अधिकांश रेत को सुरक्षित तरीके से नष्ट कर दिया गया है ताकि कोई इसे फिर अवैध तरीके से इस्तेमाल न कर सके।

यह जानकारी मध्य प्रदेश पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 8 अक्टूबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दायर हलफनामे में दी है। मामला राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य के आसपास अवैध खनन से जुड़ा है, जिससे क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है। इसके साथ ही पर्यावरण और आम लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

हलफनामे के मुताबिक, सभी जिलों में अवैध रेत खनन को रोकने के लिए टास्क फोर्स की बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इन टास्क फोर्स में जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर शामिल हैं।

गौरतलब है कि 27 मई 2025 को दिए अपने आदेश में एनजीटी ने हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था। इस हलफनामे में पूछा गया था कि पिछले एक साल में गढ़ियाल सेंटर, देवरी और मोरेना डिपो पर वन उत्पाद निरीक्षण चेकपोस्ट में कितने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और कार्यरत हैं। साथ ही, इन कैमरों के जरिए कितने अवैध खनन के मामले पकड़े गए हैं और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग कहां सुरक्षित रखी गई है।

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एनजीटी ने यह भी जानकारी मांगी थी कि पिछले एक साल में राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य में अवैध रेत खनन और परिवहन पर निगरानी के लिए कितने ड्रोन तैनात किए गए। इसके जरिए कितने अवैध खनन के मामले पकड़े गए, ड्रोन की रिकॉर्डिंग कैसे सुरक्षित रखी जाती है और खनन पकड़े जाने के बाद तुरंत क्या कार्रवाई की जाती है।

रिपोर्ट में क्या कुछ दी गई है जानकारी

रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान में इस क्षेत्र में दो सीसीटीवी कैमरे सक्रिय हैं। इनके जरिए 6 मामले दर्ज किए गए, और 3 ट्रक, एक डंपर और 2 ट्रैक्टर ट्रॉली जब्त की गई। सभी मामलों की जांच गेम रेंज, देवरी के रेंज ऑफिसर द्वारा की जा रही है।

हलफनामे में यह भी बताया गया है कि मौजूदा समय में निगरानी के लिए केवल एक ड्रोन का उपयोग हो रहा है। नए ड्रोन की खरीद का प्रस्ताव 28 फरवरी 2025 को उच्च अधिकारियों को भेजा गया है। ड्रोन के जरिए अब तक 10 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें एक मामले में 2,960 घन मीटर रेत जब्त की गई।

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वहीं रिकॉर्डिंग और निगरानी के संबंध में बताया गया कि सीसीटीवी फुटेज करीब 7 दिन तक मॉनिटरिंग रूम में रखी जाती है। ड्रोन फुटेज का उपयोग केवल रियल-टाइम निगरानी और सुरक्षा के लिए किया जाता है। सभी अपराध भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत दर्ज किए जाते हैं।

रिपोर्ट में नेशनल चंबल सैंक्चुअरी में दर्ज मामलों की ताजा स्थिति भी बताई गई है। साल 2024 में 186 मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2025 में अब तक 92 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वहां कई वाहन भी जब्त किए गए हैं।

ये वाहन भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 52 के तहत जब्त किए गए थे। अंतिम जब्ती के बाद इन्हें नीलामी प्रक्रिया के जरिए बेचा जाता है। सितंबर-अक्टूबर 2024 में 12 वाहन और मई 2025 में 40 वाहन नीलाम किए गए।

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