विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोनावायरस प्रबंधन के लिए जारी की नई वैश्विक रणनीति

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साझा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में अब तक कोविड-19 के 77.9 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं, जबकि यह महामारी अब तक 71 लाख से ज्यादा जिंदगियों को निगल चुकी है
भूले नहीं भूलता महामारी का यह मंजर
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19, सार्स, मर्स और भविष्य में उभरने वाले नए कोरोनावायरसों के खतरों से निपटने के लिए एक नई और एकीकृत वैश्विक रणनीति जारी की है। यह पहली बार है जब कोरोनावायरस से होने वाली सभी बीमारियों के लिए एक संयुक्त योजना बनाई गई है।

डब्ल्यूएचओ का यह कदम बताता है कि दुनिया अब कोविड-19 की आपात स्थिति से आगे बढ़कर इससे लंबे समय तक और संगठित तरीके से निपटने की तैयारी कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साझा आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में अब तक कोविड-19 के 77.9 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं, जबकि यह महामारी अब तक 71 लाख से ज्यादा जिंदगियों को निगल चुकी है।

कोरोना से पांच साल की सीख पर आधारित योजना

गौरतलब है कि पिछले पांच वर्षों के कोविड-19 के अनुभव और मर्स सहित अन्य सांस सम्बन्धी बीमारियों से मिली सीख को आधार बनाकर डब्ल्यूएचओ ने 'कोरोनावायरस डिजीज थ्रेट मैनेजमेंट स्ट्रैटेजिक प्लान 2025–2030' तैयार किया है।

इसका लक्ष्य देशों को एक सुसंगत और कार्रवाई योग्य ढांचा देना है, ताकि कोरोना खतरों को व्यापक संक्रामक रोग प्रबंधन के हिस्से के रूप में संभाला जा सके। विशेषज्ञ इसे कोविड-19 के बाद की नई वैश्विक वास्तविकता के लिए दुनिया को तैयार करने वाला अब तक का सबसे अहम कदम मान रहे हैं।

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अभी भी बड़ा खतरा है कोरोनावायरस

2002 में सार्स से लेकर 2012 के मर्स और 2019 में कोविड-19 की वजह बनने वाले सार्स-कॉव-2 तक, कोरोनावायरस बार-बार महामारी का कारण बने हैं। भले ही कोविड-19 का वैश्विक प्रसार कम हुआ है, लेकिन यह वायरस अभी भी कई देशों में तेजी से फैल रहा है और जोखिम वाले समूहों में गंभीर बीमारी और मौत की वजह बन रहा है।

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कोविड-19 से संक्रमित करीब छह फीसदी लोग लॉन्ग कोविड (पोस्ट कोविड कंडीशन) से प्रभावित होते हैं। चिंता की बात है कि इनमें से करीब 15 फीसदी मरीजों में एक साल या उससे भी ज्यादा समय तक इसके लक्षण बने रहते हैं। हाल ही में कई क्षेत्रों में सार्स-कॉव-2 की गतिविधि बढ़ी है, और वायरस में होने वाले बदलावों व इसके लंबे समय के प्रभावों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

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भूले नहीं भूलता महामारी का यह मंजर

डब्ल्यूएचओ की महामारी प्रबंधन निदेशक (कार्यवाहक) डॉक्टर मारिया वैन कारखेव का प्रेस विज्ञप्ति में कहना है, "कोरोनावायरस आज भी दुनिया के सबसे गंभीर संक्रामक खतरों में शामिल हैं। देशों को चाहिए कि वे इनके प्रबंधन को अपने इन्फ्लुएंजा सहित अन्य सांस सम्बन्धी और संक्रामक रोग नियंत्रण कार्यक्रमों में शामिल करें।"

उनके मुताबिक हर देश अपनी जरूरत के हिसाब से अलग तरीका अपना सकता है, लेकिन डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से अपील की है कि वे इस नई रणनीति को अपनाकर ऐसी मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था बनाएं, जो मौजूदा खतरों से निपटने के साथ भविष्य की महामारी के लिए भी तैयार हो।

यह योजना सामान्य स्थितियों में कोरोना प्रबंधन से लेकर संभावित आपात स्थितियों तक, दोनों को कवर करती है। इसका उद्देश्य देशों को इतना लचीला ढांचा देना है कि वे मौजूदा कोरोनावायरस से निपटने के साथ किसी नए महामारी-स्तरीय वायरस के उभरने पर भी तेजी से प्रतिक्रिया कर सकें।

योजना इस तरह तैयार की गई है कि अलग-अलग देश अपनी जरूरतों और स्वास्थ्य प्रणाली की क्षमताओं के अनुसार इसे अपनाकर मजबूत तंत्र विकसित कर सकें।

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वैश्विक निगरानी नेटवर्क को भी किया गया है मजबूत

यह रणनीति विश्वभर के विशेषज्ञों, देशों, डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय कार्यालयों, स्वास्थ्य साझेदारों, तकनीकी विशेषज्ञों और आम लोगों से मिले सुझावों पर आधारित है, ताकि यह योजना दुनिया भर की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं, समुदायों की विविध जरूरतों और जमीनी वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित कर सके।

वैश्विक स्तर पर कोरोनावायरस की निगरानी को बेहतर बनाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने अपने ‘कोरोनावायरस नेटवर्क’ (कोविनेट) का विस्तार भी किया है। यह नेटवर्क सार्स-कॉव-2, मर्स-कॉव और अन्य उभरते कोरोनावायरस की निगरानी करने वाले कार्यक्रमों और रेफरेंस लैब्स का समूह है। अब इस नेटवर्क में इंसानों, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य क्षेत्र की कुल 45 नेशनल रेफरेंस लैब शामिल हैं। इनमें से 11 लैब्स 2025 में जोड़ी गई हैं।

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कोविनेट, डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल इन्फ्लुएंजा सर्विलांस एंड रिस्पांस सिस्टम को और मजबूत करेगा, जो सार्स-कॉव-2 सहित वैश्विक स्तर पर इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों की निगरानी करता है।

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