नई चिंता: माइक्रोप्लास्टिक के कारण हो सकता है हार्ट अटैक

यूसीआर के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया नया अध्ययन जिसने हृदय रोग और माइक्रोप्लास्टिक के बीच संबंध दिखाया स्पष्ट रूप से चिंताजनक है
नया अध्ययन बताता है कि माइक्रोप्लास्टिक धमनियों में सूजन बढ़ाकर हृदय रोग को तेज कर सकते हैं विशेषकर पुरुषों में
नया अध्ययन बताता है कि माइक्रोप्लास्टिक धमनियों में सूजन बढ़ाकर हृदय रोग को तेज कर सकते हैं विशेषकर पुरुषों मेंफोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • नया अध्ययन बताता है कि माइक्रोप्लास्टिक धमनियों में सूजन बढ़ाकर हृदय रोग को तेज कर सकते हैं विशेषकर पुरुषों में

  • नर चूहों में प्लाक निर्माण अत्यधिक बढ़ा जबकि मादा चूहों में समान माइक्रोप्लास्टिक संपर्क से गंभीर प्रभाव नहीं दिखा गया

  • यह नुकसान वजन बढ़ने या कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के बिना हुआ जिससे प्रत्यक्ष जैविक प्रभाव सिद्ध हुआ स्पष्ट रूप से इस अध्ययन

  • माइक्रोप्लास्टिक ने रक्त नलिकाओं की एंडोथीलियल कोशिकाओं को प्रभावित कर सूजन जीन सक्रियता और प्लाक प्रक्रिया शुरू की स्पष्ट रूप से

  • प्लास्टिक उपयोग कम करना स्वस्थ आहार और व्यायाम अपनाना माइक्रोप्लास्टिक जोखिम घटाने और हृदय सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम हैं

आज के समय में प्लास्टिक हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। हम प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीते हैं, प्लास्टिक पैकिंग में खाना खरीदते हैं और कई तरह के प्लास्टिक उत्पादों का रोज इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि प्लास्टिक के बहुत छोटे कण, जिन्हें माइक्रोप्लास्टिक (सूक्ष्म प्लास्टिक) कहा जाता है, हमारे दिल और रक्त नलिकाओं के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

हाल ही में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, रिवरसाइड (यूसीआर) के वैज्ञानिकों ने एक नया शोध किया है। इस शोध में पाया गया कि माइक्रोप्लास्टिक का लगातार संपर्क धमनियों में रुकावट (एथेरोस्क्लेरोसिस) को तेज कर सकता है। यह बीमारी आगे चलकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकती है। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस अध्ययन में यह असर केवल नर चूहों में देखा गया, मादा चूहों में नहीं।

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माइक्रोप्लास्टिक क्या हैं?

माइक्रोप्लास्टिक बहुत छोटे प्लास्टिक कण होते हैं, जो प्लास्टिक के टूटने से बनते हैं। ये कण खाने-पीने की चीजों में, पीने के पानी में, हवा में और यहां तक कि इंसानी शरीर के अंदर भी पाए गए हैं।

हाल के कुछ अध्ययनों में इंसानों की धमनियों में जमी चर्बी (प्लाक) के अंदर भी माइक्रोप्लास्टिक मिले हैं। लेकिन पहले यह साफ़ नहीं था कि ये कण बीमारी पैदा करते हैं या केवल बीमारी के साथ मौजूद रहते हैं।

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कैसे किया गया शोध ?

वैज्ञानिकों ने ऐसे चूहों पर प्रयोग किया जिनमें दिल की बीमारियां होने की आशंका अधिक होती है। इन चूहों को कम वसा और कम कोलेस्ट्रॉल वाला भोजन दिया गया, यानी ऐसा भोजन जैसा एक स्वस्थ इंसान खाता है।

लगभग नौ हफ्तों तक, चूहों को रोज थोड़ी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक दिया गया। यह मात्रा उस स्तर के बराबर थी, जितनी इंसानों को खाने और पानी के जरिए मिल सकती है।

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क्या कहते हैं शोध के नतीजे?

एनवायरमेंट इंटरनेशनल पत्रिका में प्रकाशित शोध के परिणाम बहुत चौंकाने वाले थे। नर चूहों में गंभीर असर देखा गया, इनके दिल के पास की धमनी में प्लाक 63 फीसदी तक बढ़ गया। एक दूसरी बड़ी धमनी में प्लाक 600 फीसदी से भी ज्यादा बढ़ गया। जबकि मादा चूहों में कोई खास असर नहीं पाया गया।

मादा चूहों में माइक्रोप्लास्टिक से धमनियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं देखा गया। न वजन बढ़ा, न कोलेस्ट्रॉल, चूहे मोटे नहीं हुए, उनके कोलेस्ट्रॉल स्तर भी सामान्य रहे। इसका मतलब यह है कि माइक्रोप्लास्टिक ने सीधे तौर पर धमनियों को नुकसान पहुंचाया, बिना पारंपरिक कारणों के।

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धमनियों की अंदरूनी परत को नुकसान

वैज्ञानिकों ने पाया कि माइक्रोप्लास्टिक ने एंडोथेलियल कोशिकाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया। ये कोशिकाएं रक्त नलिकाओं की अंदरूनी परत बनाती हैं और सूजन को नियंत्रित करती हैं, खून के प्रवाह को सही रखती हैं, जब ये कोशिकाएं खराब होती हैं, तो धमनियों में सूजन और प्लाक बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

धमनियों के अंदर माइक्रोप्लास्टिक

प्रयोगशाला में यह भी देखा गया कि माइक्रोप्लास्टिक धमनियों की दीवारों में घुस गए और प्लाक के अंदर जमा हो गए। इंसानों पर हुए कुछ हालिया अध्ययनों में भी इसी तरह के नतीजे मिले हैं।

पुरुष अधिक प्रभावित क्यों?

वैज्ञानिकों का मानना है कि महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन कुछ हद तक सुरक्षा देता है, पुरुषों और महिलाओं की कोशिकाएं अलग-अलग तरह से प्रतिक्रिया करती हैं। हालांकि, इसका पूरा कारण जानने के लिए और शोध की जरूरत है।

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हम क्या कर सकते हैं?

माइक्रोप्लास्टिक से पूरी तरह बचना मुश्किल है, लेकिन कुछ सावधानियां अपनाई जा सकती हैं

  • प्लास्टिक की जगह कांच या स्टील के बर्तन इस्तेमाल करें

  • एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से बचें

  • बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड भोजन न खाएं

  • दिल की सेहत के लिए संतुलित भोजन और नियमित व्यायाम करें

यह शोध इस बात की ओर इशारा करता है कि माइक्रोप्लास्टिक केवल पर्यावरण की समस्या नहीं हैं, बल्कि यह मानव स्वास्थ्य, खासकर हृदय स्वास्थ्य, के लिए भी गंभीर खतरा बन सकते हैं। जैसे-जैसे दुनिया में प्लास्टिक प्रदूषण बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसके स्वास्थ्य पर असर को समझना और भी जरूरी हो गया है।

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