रोजाना इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक के कारण मोटापा, बांझपन व अस्थमा का भारी खतरा

प्लास्टिक के रसायन बच्चों की वृद्धि, मस्तिष्क विकास और प्रतिरक्षा प्रणाली पर बुरा असर डाल कर लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं
हर रोज इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक में मौजूद केमिकल बचपन में शुरू होने वाले मोटापे, बांझपन और अस्थमा के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
हर रोज इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक में मौजूद केमिकल बचपन में शुरू होने वाले मोटापे, बांझपन और अस्थमा के खतरे को बढ़ा सकते हैं।प्रतीकात्मक छवि, फोटो साभार: आईस्टॉक
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सारांश
  • प्लास्टिक रसायनों के लंबे समय तक खतरे: फ्थैलेट्स, बिसफेनॉल्स और पीएफएएस बच्चों में मोटापा, हृदय रोग, अस्थमा, प्रजनन क्षमता में कमी और मानसिक विकास में समस्या पैदा कर सकते हैं।

  • शुरुआती जीवन में संवेदनशीलता: गर्भावस्था और बचपन में प्लास्टिक के संपर्क का प्रभाव पूरे जीवन तक रह सकता है, जिसमें मस्तिष्क और हार्मोन सिस्टम भी शामिल हैं।

  • साधारण जीवन में जोखिम स्रोत: रोजमर्रा के प्लास्टिक उत्पाद जैसे भोजन कंटेनर, कॉस्मेटिक और पेपर रसीदें माइक्रोप्लास्टिक और रसायन छोड़ सकते हैं।

  • रोकथाम के सरल उपाय: ग्लास या स्टील के कंटेनर का उपयोग, प्लास्टिक को गर्म न करना और बच्चों को जागरूक करना खतरा कम कर सकता है।

आज के आधुनिक जीवन में प्लास्टिक हमारे चारों तरफ है। यह हमारे भोजन के पैकेजिंग से लेकर खिलौनों, कॉस्मेटिक्स, पेपर रसीदों और घरेलू सामान तक हर जगह मौजूद है। हालांकि प्लास्टिक हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाता है, लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने यह चेतावनी दी है कि इसमें पाए जाने वाले रसायन बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर और लंबे समय तक असर डाल सकते हैं।

नई रिसर्च और निष्कर्ष

न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने हाल ही में लैंसेट चाइल्ड एंड एडोलसेंट हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन में बताया कि प्लास्टिक में प्रयुक्त रसायन - फ्थैलेट्स, बिसफेनॉल्स और पेरफ़्लुओरोअल्किल सबस्टेंस (पीएफएएस) -बच्चों के विकास और स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकते हैं।

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हर रोज इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक में मौजूद केमिकल बचपन में शुरू होने वाले मोटापे, बांझपन और अस्थमा के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

ये रसायन बच्चों और भ्रूण के शरीर में प्रवेश कर हृदय रोग, मोटापा, प्रजनन क्षमता में कमी, अस्थमा और यहां तक कि संज्ञानात्मक समस्याएं जैसे कि कम आईक्यू, ऑटिज्म और एडीएचडी जैसी स्थितियों से जोड़ते हैं।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि प्लास्टिक में मौजूद रसायन शरीर की हॉर्मोन प्रणाली और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं।

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प्लास्टिक कैसे नुकसान पहुंचाता है

प्लास्टिक के उत्पाद गर्म करने, दोबारा उपयोग करने या विशेष प्रकार के इलाज करने पर छोटे-छोटे माइक्रोप्लास्टिक और नैनोपार्टिकल्स छोड़ते हैं। ये कण शरीर में जाकर धीरे-धीरे स्वास्थ्य पर असर डालते हैं। उदाहरण के लिए:

  • भोजन के पैकेजिंग कंटेनरों से रसायन भोजन में मिल सकते हैं।

  • कॉस्मेटिक्स और पेपर रसीदों के माध्यम से शरीर में रसायन प्रवेश कर सकते हैं।

  • शरीर में रसायन सूजन और हार्मोन असंतुलन पैदा कर सकते हैं।

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परिवारों के लिए उपाय

हालांकि पूरी तरह से प्लास्टिक से बचना मुश्किल है, लेकिन कुछ सरल कदम बच्चों के खतरों को काफी हद तक कम कर सकते हैं:

  • भोजन के लिए ग्लास या स्टेनलेस स्टील के कंटेनर का उपयोग करें।

  • प्लास्टिक कंटेनरों को माइक्रोवेव या डिशवॉशर में गर्म न करें।

  • बच्चों को प्लास्टिक उत्पादों के संभावित नुकसान के बारे में शिक्षा दें।

  • पीडियाट्रिशियन और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सुझाव लेकर परिवार और स्कूल स्तर पर जागरूकता बढ़ाएं।

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नीति और वैश्विक प्रयास

वैज्ञानिकों ने यह भी जोर दिया है कि परिवार स्तर पर बचाव पर्याप्त नहीं है। व्यापक और स्थायी सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाना आवश्यक है। इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र का ग्लोबल प्लास्टिक ट्रीटी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस समझौते के तहत प्लास्टिक उत्पादन और प्रदूषण पर कानूनी रूप से बाध्यकारी सीमाएं लगाई जाएंगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक उद्योग की आर्थिक अहमियत अक्सर नीति निर्धारण में बाधा बनती है। लेकिन प्लास्टिक के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले आर्थिक भार भी भारी हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में इसके कारण अनुमानित सालाना 25 अरब डॉलर से अधिक का खर्च होता है।

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चिकित्सा में प्लास्टिक की भूमिका

यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि प्लास्टिक पूरी तरह से खराब नहीं है। चिकित्सा क्षेत्र में प्लास्टिक का योगदान अनमोल है। उदाहरण के लिए:

  • शिशुओं के लिए वेंटिलेटर और फीडिंग ट्यूब

  • बच्चों के अस्थमा के लिए नेबुलाइजर

  • संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने के लिए मास्क

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वैज्ञानिकों का कहना है कि स्वास्थ्य देखभाल में प्लास्टिक आवश्यक है, लेकिन रोजमर्रा के उत्पादों में इसका अनावश्यक उपयोग कम करने की आवश्यकता है।

नए शोध से स्पष्ट है कि शुरुआती जीवन में प्लास्टिक के रसायनों का संपर्क लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। परिवार सरल बदलाव करके खतरों को कम कर सकते हैं, लेकिन स्थायी सुरक्षा के लिए वैश्विक नीति सुधार और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

बच्चों और भविष्य की पीढ़ियों को स्वस्थ रखने के लिए हमें न केवल व्यक्तिगत उपाय करने होंगे बल्कि समाज और सरकार स्तर पर भी जिम्मेदार कदम उठाने होंगे। प्लास्टिक से सावधानी, जागरूकता और नीति सुधार-इन तीनों का संयोजन ही स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा का रास्ता है।

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