
केरल उच्च न्यायालय ने राज्य में आवारा कुत्तों के हमलों से मानव जीवन को हो रहे खतरे को गंभीरता से लेते हुए कई अंतरिम निर्देश जारी किए। 28 जुलाई 2025 को अदालत ने राज्य सरकार और सभी स्थानीय स्वशासी संस्थाओं को आदेश दिया कि वे 'पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960' और 'पशु जनसंख्या नियंत्रण नियम, 2023' को पूरी सख्ती से लागू करें।
कुत्तों की संख्या और पीड़ितों का मांगा ब्यौरा
केरल उच्च न्यायालय ने स्थानीय स्वशासी विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया है कि वे दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करें। इसमें राज्य में आवारा कुत्तों की अनुमानित संख्या के साथ, पिछले एक वर्ष के दौरान कुत्तों के काटने की घटनाओं का ब्यौरा प्रस्तुत किया जाए, जिनमें हुई मौतों की जानकारी भी शामिल हो।
इसके अतिरिक्त, कितने लोगों को एंटी रेबीज वैक्सीन दी गई है, उसका विवरण भी हलफनामे में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
पुलिस और आपदा प्रबंधन से भी रिपोर्ट तलब
अदालत ने राज्य के पुलिस प्रमुख को भी निर्देश दिया है कि वे दो सप्ताह के भीतर एक हलफनामा दाखिल करें, और बताएं कि पिछले एक साल में भारतीय न्याय संहिता की धारा 291 और 325 के तहत कितने मामले दर्ज हुए हैं।
साथ ही, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से कहा गया है कि वह यह स्पष्ट करे कि जंगली जानवरों के हमलों में पीड़ित हुए लोगों को मुआवजा देने से जुड़ी कौन-सी अधिसूचना या नियम लागू हैं।
14 जिलों में बनेगी जिला स्तरीय समिति
अदालत ने केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव को भी आदेश दिया है कि वे केरल सरकार के साथ मिलकर एक महीने के भीतर सभी 14 जिलों में 'जिला स्तरीय समितियों' का गठन करे।
साथ ही, आवारा कुत्तों के हमलों के पीड़ित अब चाहें तो ऑनलाइन या जिला/तालुक सेवा समिति कार्यालयों में सीधे मुआवजे की अर्जी दे सकते हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 19 अगस्त, 2025 को होगी।
बीमार या घायल कुत्तों को मारने पर रोक
इसके साथ ही अदालत ने फिलहाल उस सरकारी आदेश पर भी रोक लगा दी है, जिसमें बीमार या गंभीर रूप से घायल आवारा कुत्तों को मारने की बात कही गई थी।
केरल उच्च न्यायालय ने अंतरिम निर्देश जारी किए, जो अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा अतिरिक्त एडवोकेट जनरल को लिखे गए पत्र को ध्यान में रखकर दिए गए। 26 जुलाई 2025 को लिखे इस पत्र में सरकार द्वारा केरल में आवारा कुत्तों के हमलों से निपटने के लिए जारी प्रयासों और हाल के नीतिगत निर्णयों का विवरण दिया गया था।
बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी दिल्ली और आसपास के इलाकों में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब मांगा है।
28 जुलाई 2025 को न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की बेंच ने टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट पर गंभीर चिंता जताई थी। इस खबर के मुताबिक, हर दिन सैकड़ों लोगों को कुत्ते काट रहे हैं, जिससे रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी फैल रही है और नवजात, बच्चे और बुजुर्ग इसके शिकार बन रहे हैं।