साइकिल चलाने से बुजुर्गों में घट जाता है भूलने की बीमारी का खतरा: रिसर्च

वैज्ञानिकों के मुताबिक साइकिल चलाना न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि इसमें रास्तों को पहचानने की क्षमता भी विकसित होती है, जिससे मस्तिष्क लंबे समय तक सक्रिय रहता है और डिमेंशिया का खतरा घटता है
साइकिल चलाना न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि इसमें रास्तों को पहचानने की क्षमता भी विकसित होती है, जिससे मस्तिष्क लंबे समय तक सक्रिय रहता है; फोटो: आईस्टॉक
साइकिल चलाना न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि इसमें रास्तों को पहचानने की क्षमता भी विकसित होती है, जिससे मस्तिष्क लंबे समय तक सक्रिय रहता है; फोटो: आईस्टॉक
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चीन के कई मेडिकल संस्थानों और ऑस्ट्रेलिया के दो विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया है कि बुज़ुर्गों के लिए यात्रा का सबसे फायदेमंद तरीका साइकिल चलाना है, जिससे डिमेंशिया होने की आशंका कम हो जातीी है।

इस अध्ययन के नतीजे जामा नेटवर्क ओपन नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। अपने इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यूके बायोबैंक के करीब 4.8 लाख लोगों के स्वास्थ्य संबंधी आंकड़ों का विश्लेषण किया है। इस दौरान 13 वर्षों की समयावधि में प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य को ट्रैक किया। इस दौरान, उन्होंने यह देखा कि किस तरह के यात्रा के तरीके से चलने वालों में डिमेंशिया ज्यादा या कम हुआ।

प्रतिभागियों की औसत उम्र करीब 56.5 साल थी। अध्ययन में शामिल यह लोग काफी हद तक स्वस्थ थे साथ ही इनमें डिमेंशिया के कोई लक्षण नहीं थे। विश्लेषण से उन्होंने यह समझने का प्रयास किया है कि यात्रा के अलग-अलग तरीकों से डिमेंशिया होने की दरों पर क्या फर्क आता है।

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साइकिल चलाना न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि इसमें रास्तों को पहचानने की क्षमता भी विकसित होती है, जिससे मस्तिष्क लंबे समय तक सक्रिय रहता है; फोटो: आईस्टॉक

कैसे मस्तिष्क को प्रभावित करता है साइकिल चलाना

शोध में पाया गया कि जो लोग अपनी रोजमर्रा की यात्रा के लिए नियमित रूप से साइकिल का उपयोग करते हैं, उनमें डिमेंशिया होने की आशंका पैदल चलने, बस में सफर करने या गाड़ी चलाने वालों की तुलना में कम थी। इतना ही नहीं, साइकिल चलाने वालों के मस्तिष्क के "हिप्पोकैम्पस" हिस्से का आकार भी बेहतर बना रहता है। गौरतलब है कि मस्तिष्क का यह हिस्सा याद रखने और सीखने में मदद करता है।

इससे पहले के शोधों से भी पता चला है कि नियमित व्यायाम और रास्ते-चिन्हने जैसे काम (जैसे टैक्सी या एम्बुलेंस चलाना) डिमेंशिया शुरू होने की गति को धीमा कर सकते हैं।

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साइकिल चलाना न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि इसमें रास्तों को पहचानने की क्षमता भी विकसित होती है, जिससे मस्तिष्क लंबे समय तक सक्रिय रहता है; फोटो: आईस्टॉक

अध्ययन में शामिल तीनों तरह के डिमेंशिया जैसे अल्जाइमर, युवा उम्र और बुजुर्गों में होने वाले डिमेंशिया का खतरा साइकिल चलाने वालों में कम पाया गया। मतलब कि इन तीनों मामलों में बीमारी के खतरे को साइकिलिंग से कम करने में मदद मिली।

वैज्ञानिकों को यह भी पता चला कि जिन लोगों में APOE ε4 नामक जेनेटिक वेरिएंट नहीं था, उन्हें साइकिल चलाने से अधिक फायदा हुआ, जबकि जिनमें यह वेरिएंट था, उन्हें भी कुछ फायदा जरूर मिला, लेकिन वो तुलनात्मक रूप से कम था।

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साइकिल चलाना न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि इसमें रास्तों को पहचानने की क्षमता भी विकसित होती है, जिससे मस्तिष्क लंबे समय तक सक्रिय रहता है; फोटो: आईस्टॉक

शोधकर्ताओं का मानना है कि साइकिल चलाना न सिर्फ व्यायाम है, बल्कि इसमें रास्तों को पहचानने की क्षमता भी विकसित होती है, जिससे मस्तिष्क लंबे समय तक सक्रिय रहता है और डिमेंशिया का खतरा घटता है।

वहीं एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि जो लोग अपने काम-धंधे पर जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते हैं, वह अधिक सेहतमंद रहते हैं। साथ ही शारीरिक गतिविधि और स्वास्थ्य लाभ के चलते उनके लम्बे समय तक जीने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। अपने कार्यस्थल पर साइकिल से जाने वाले लोगों में इस अध्ययन के दौरान मृत्यु दर में 13 फीसदी की कमी देखी गई है।

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