
दुनिया भर के शहरों में साइकिल और पैदल यात्रा सम्बन्धी बुनियादी ढांचें को बढ़ाने से कार्बन उत्सर्जन में 6 फीसदी की कमी आ सकती है। इतना ही नहीं इनकी मदद से स्वास्थ्य को सालाना 43,500 करोड़ डॉलर का फायदा भी मिलेगा। मतलब की यदि दुनिया भर के शहर पैदल और साइकिल चलाने को बढ़ावा दें, तो इससे न केवल जलवायु बल्कि स्वास्थ्य को भी बड़ा फायदा हो सकता है।
यह जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और गूगल के शोधकर्ताओं द्वारा किए अध्ययन में सामने आई है। इस अध्ययन के नतीजे जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पनास) में प्रकाशित हुए हैं।
अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 121 देशों के 11,500 से ज्यादा शहरों के यात्रा सम्बन्धी आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
यह स्टडी गूगल के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें यूजर्स की गुमनाम और सहमति-आधारित लोकेशन हिस्ट्री से ट्रैवल पैटर्न का विश्लेषण किया गया है। यूसीएलए और गूगल की यह रिसर्च दुनिया भर में पैदल और साइकिल यात्रा को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
यह स्टडी गूगल के आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें यूजर्स की सहमति-आधारित लोकेशन हिस्ट्री से ट्रैवल पैटर्न का विश्लेषण किया गया है। यह पहली स्टडी है जिसमें अलग-अलग शहरों, आय के स्तरों और क्षेत्रों के लिए एक जैसा डेटा विश्लेषण किया गया है।
इसमें अब तक की सबसे बड़ी स्टडी से 14 गुना ज्यादा शहरों के आंकड़े शामिल है, जो दुनिया की शहरी आबादी के करीब 41 फीसदी हिस्से को कवर करते हैं। इससे पता चलता है कि शहरों की बनावट और स्थानीय नीतियां लोगों की यात्रा आदतों को कैसे प्रभावित करती हैं।
शहरों की योजना और नीतियां रखती हैं मायने
देखा जाए तो यह अब तक का सबसे बड़ा वैश्विक अध्ययन है जो बताता है कि शहरों का डिजाइन और नीतियां लोगों के चलने और साइकिल चलाने के तरीकों को कैसे प्रभावित करते हैं।
स्टडी में पाया गया कि जिन शहरों में आबादी का घनत्व ज्यादा है और सड़कों को पैदल और साइकिल यात्रियों के लिए सुरक्षित और आरामदायक बनाया गया है, वहां लोग ज्यादा पैदल चलते और साइकिल चलाते हैं। उदाहरण के लिए यदि सभी शहर कोपेनहेगन (डेनमार्क) की तरह बन जाए और वहां की तरह साइकिल लेन और सड़कें डिजाइन करें, तो इससे हर साल पैदल और साइकिल यात्रा में 66,300 करोड़ किलोमीटर की बढ़ोतरी हो सकती है। बता दें कि कोपेनहेगन में बेहतर साइकिल लेन और सुरक्षित सड़कों का नेटवर्क फैला है।
इससे एक तरफ जहां वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में छह फीसदी की गिरावट आएगी साथ ही स्वास्थ्य को 43,500 करोड़ डॉलर का फायदा भी होगा। इससे प्रदूषण कम होगा, लोगों की सेहत बेहतर होगी, और जिंदगियां बचेंगी। साथ ही इस तरह की नीतियां सड़क दुर्घटनाओं, वायु प्रदूषण और यात्रियों के तनाव को भी कम कर सकती हैं।
इस बारे में यूसीएलए और अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता एडम मिलार्ड-बॉल का कहना है कि, “शहरों की सड़कें कैसी हैं — क्या फुटपाथ हैं? साइकिल लेन हैं? ट्रैफिक लेन कितनी चौड़ी है? — ये सब तय करता है कि लोग कैसे यात्रा करते हैं। यह फैसले स्थानीय होते हैं, लेकिन इनके असर वैश्विक हो सकते हैं।“
अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि दुनिया भर के हजारों शहरों में स्थानीय योजनाओं को लेकर लिए यह फैसले जैसे सड़कों का डिजाइन आदि दुनिया की जलवायु पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
रिपोर्ट में कोलकाता का भी किया गया है जिक्र
अपने इस रिपोर्ट के साथ शोधकर्ताओं ने एक "सिटी प्लेबुक" भी जारी की है, जिसमें नीति-निर्माताओं के लिए सुझाव और आठ सफल शहरों के उदाहरण शामिल किए गए हैं।
हर केस स्टडी में ऐसे खास नीतिगत कदमों को दिखाया गया है, जिनसे पैदल चलने और साइकिल इस्तेमाल करने की दर बहुत बढ़ी है। सबसे अहम बात यह है कि ये स्टडी बताती है कि सभी शहरों के लिए एक जैसी नीति नहीं हो सकती — और यह सफलता सिर्फ किसी एक शहर या क्षेत्र तक सीमित नहीं है।
यह दिखाता है कि कोई एक तरीका सभी के लिए नहीं है हर शहर अपनी जरूरतों के अनुसार समाधान अपना सकते हैं।
उदाहरण के लिए, नैरोबी (केन्या) में पैदल चलने के लिए सड़कों को बेहतर बनाने की योजना में छोटे स्थानीय व्यापारियों ने भी भाग लिया। वहां शहर कम से कम परिवहन का 20 फीसदी बजट पैदल और साइकिल आदि पर खर्च करते हैं।
वहीं ओसाका (जापान) में संकरी गलियों और ट्रैफिक की धीमी गति से पता चलता है कि बहुत बड़े और औपचारिक ढांचे के बिना भी पैदल और साइकिल चलाने को बढ़ावा देना संभव है, ठीक वैसे ही जैसे कोपेनहेगन और एम्स्टर्डम जैसे शहरों में होता है।
इसी तरह कोलकाता, ढाका में गर्मी और नमी के बावजूद वहां पैदल और साइकिल यात्रा करने वालों की दर बहुत ऊंची हैं, यानी मौसम इस राह में कोई बड़ी बाधा नहीं है।