भारत में आवाजाही: पैदल, बस या साइकिल- हर राज्य के लोगों की है अपनी कहानी

देश में काम पर जाने का साधन जितना दूरी पर निर्भर करता है, उतना ही परिवहन सुविधा की उपलब्धता पर भी निर्भर है
हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर पर जमा भीड़। फाइल फोटो: रोहित पराशर
हिमाचल प्रदेश के बॉर्डर पर जमा भीड़। फाइल फोटो: रोहित पराशर
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भारत में काम पर आने-जाने का तरीका इस बात पर काफी निर्भर करता है कि आप किस राज्य में हैं। तमिलनाडु और केरल में सार्वजनिक बसें प्रमुख साधन हैं। उत्तर प्रदेश और ओडिशा में लाखों लोग साइकिल के जरिए चलते हैं। और महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में पैदल चलना सामान्य बात है। इससे देश में आवागमन की सुविधा में भारी अंतर का पता चलता है।

जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में 0 से 10 किलोमीटर की छोटी दूरी पर काम पर जाने के लिए पैदल चलना सबसे आम तरीका है, इसके बाद उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान रहा।

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महाराष्ट्र में लगभग पचास लाख लोग रोजाना पैदल काम पर जाते थे। उत्तर प्रदेश में यह संख्या 40 लाख से थोड़ी अधिक और पश्चिम बंगाल में लगभग 38 लाख थी। यहां छोटी दूरी के लिए पैदल चलना प्रमुख साधन था।

वहीं जनगणना के आंकड़ों से पता चला कि 10 किलोमीटर से अधिक की लंबी दूरी तय करने के लिए बसें लोगों की पहली पसंद थीं।

आंकड़े बताते हैं कि यदि कार्यस्थल 11 से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तो तमिलनाडु में सबसे अधिक लोग सार्वजनिक बसों का उपयोग करते थे, यहां लगभग 10 लाख लोग बस से यात्रा करते थे।

इसके बाद कर्नाटक और केरल का स्थान रहा, जहां क्रमशः 5 लाख और 4 लाख लोग बस से काम पर जाते थे।

बसों के बाद इस दूरी के लिए साइकिल सबसे लोकप्रिय साधन के रूप में उभरी। उत्तर प्रदेश में इस श्रेणी में साइकिल से काम पर जाने वालों की संख्या सबसे अधिक थी, जहां लगभग 4 लाख लोग साइकिल से यात्रा करते थे। वास्तव में, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों में इस दूरी पर बसों की तुलना में साइकिल का उपयोग करने वालों की संख्या अधिक थी।

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हालांकि, आंकड़ों पर करीब से नजर डालने पर पता चलता है कि विभिन्न दूरी की श्रेणियों — 0-1, 2-5, 6-10, 11-20, 21-30, 31-50 और 50 किलोमीटर से अधिक — में सबसे लोकप्रिय परिवहन का साधन सभी राज्यों में एक जैसा नहीं था।

21 से 30 किलोमीटर की दूरी के लिए काम पर आने-जाने में देशभर में बसों का उपयोग सबसे अधिक था, जिसमें तमिलनाडु लगभग 4.3 लाख लोगों के साथ सबसे आगे रहा। लेकिन यह रुझान हर राज्य में एक जैसा नहीं था — जैसे कि केरल, गुजरात और पंजाब में इस दूरी के लिए बसों की तुलना में साइकिल को अधिक प्राथमिकता दी गई।

घर और कार्यस्थल के बीच की दूरी के अनुसार यह अंतर अलग-अलग जगह अलग-अलग देखने को मिला। जहां कई राज्यों में लंबी दूरी की यात्रा के लिए बसों का इस्तेमाल ज्यादा होता है, वहीं पश्चिम बंगाल में 50 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए ट्रेनों पर अत्यधिक निर्भरता नजर आई, क्योंकि वहां की बस सेवाओं की तुलना में रेलवे व्यवस्था बेहतर है। महाराष्ट्र और केरल में भी इसी तरह का रुझान दिखा, जहां इतनी लंबी दूरी के लिए बसों की तुलना में ज्यादा लोग ट्रेन से यात्रा करते थे।

कुल मिलाकर, पैदल चलना काम पर जाने का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला माध्यम रहा। यह सर्वे 20 करोड़ लोगों पर किया गया, इनमें से 2 करोड़ से अधिक लोग पैदल ही कार्यस्थल तक जाते थे। हालांकि, यह तरीका मुख्य रूप से छोटी दूरी की यात्राओं तक ही सीमित था।

पैदल चलने के बाद 13 फीसदी यानी 2.6 करोड़ लोग काम पर जाने के लिए साइकिल से यात्रा करते पाए गए। जबकि मोटर चालित वाहनों (जैसे स्कूटर, मोटरसाइकिल और कारें) से लगभग 2.4 करोड़ लोग यात्रा करते थे।

दिलचस्प बात यह है कि सर्वे में शामिल 30 प्रतिशत आबादी यानी 6 करोड़ से अधिक लोगों ने बताया कि वे काम पर जाने के लिए कहीं यात्रा नहीं करते, जो या तो घर पर ही काम करते हैं या असंगठित क्षेत्र से जुड़े हैं।

यह लेख हमारी "भारत में आवागमन" सीरीज का हिस्सा है, जिसमें हम शहरों और कस्बों में वायु गुणवत्ता और परिवहन के बीच संबंध की पड़ताल कर रहे हैं।

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