अक्टूबर में क्यों महंगी हुई खाने की थाली? दूध, चीनी, तेल और अनाज की कीमतों ने लगाई आग

अक्टूबर के दौरान वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में अच्छा-खासा उछाल देखने को मिला, जिसके साथ ही वैश्विक खाद्य मूल्य सूचकांक 18 महीनों के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया
प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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अक्टूबर के दौरान वैश्विक बाजार में खाद्य कीमतों में अच्छा-खासा उछाल देखने को मिला है, जिसके बाद वैश्विक खाद्य सूचकांक पिछले 18 महीनों के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि करते हुए जानकारी दी है कि खाद्य कीमतों में आया यह उछाल मुख्यतः खाद्य तेल के भाव में आई तेजी की वजह से था।

हालांकि एफएओ द्वारा जारी खाद्य मूल्य सूचकांक के मुताबिक अक्टूबर में खाद्य तेल ही नहीं अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी अच्छा-खासा उछाल देखा गया।

इस बारे में एफएओ ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है की अक्टूबर 2024 में खाद्य मूल्य सूचकांक बढ़कर 127.4 अंकों तक पहुंच गया। जो सितम्बर के मुकाबले दो फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। वहीं पिछले 18 महीनों यानी अप्रैल 2023 के बाद से देखें तो यह पहले मौका है जब यह सूचकांक इस ऊंचाई तक पहुंचा है।

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एफएओ का खाद्य मूल्य सूचकांक यानी फूड प्राइस इंडेक्स अंतराष्ट्रीय स्तर पर हर महीने खाद्य कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव को ट्रैक करता है।

बता दें कि अप्रैल 2023 में यह सूचकांक 128.4 अंकों तक पहुंच गया। आंकड़ों पर नजर डालें तो अक्टूबर के दौरान केवल मांस की कीमतों में ही गिरावट आई है, जबकि अन्य सभी चीजों की कीमतों में उछाल देखा गया है।

इनमें खाद्य तेलों में सबसे अधिक 7.3 फीसदी की वृद्धि देखी गई। जो पिछले साल अक्टूबर की तुलना में, 5.5 फीसदी अधिक है। हलांकि इसके बावजूद यह इंडेक्स मार्च 2022 में रिकॉर्ड अपने उच्चतम बिंदु 160.2 तक नहीं पहुंचा हैं। यह अभी भी उससे 20.5 फीसदी नीचे बना हुआ है।

बता दें कि अक्टूबर 2024 में खाद्य खाद्य तेल मूल्य सूचकांक औसतन 152.7 अंक तक पहुंच गया, जो सितंबर 2024 की तुलना में 7.3 फीसदी वृद्धि को दर्शाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक खाद्य तेल की कीमतों में यह वृद्धि मुख्य रूप से पाम, सोया, सूरजमुखी और रेपसीड तेलों की बढ़ती कीमतों के कारण हुई है। पाम तेल की कीमतों में लगातार पांचवें महीने वृद्धि हुई। इसका मुख्य कारण दक्षिण पूर्व एशिया में अपेक्षा से कम उत्पादन को लेकर बनी चिंताएं है। इसी तरह 2024/25 में अपेक्षा से कम आपूर्ति के चलते सूरजमुखी और रेपसीड तेल की कीमतों में उछाल दर्ज क्या गया ह। वहीं मजबूत मांग और अन्य वनस्पति तेलों की सीमित आपूर्ति के चलते दुनिया में सोया आयल की कीमतों में भी वृद्धि हुई।

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खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक अक्टूबर 2024 में अनाज मूल्य सूचकांक 114.4 अंकों तक पहुंच गया। जो सितंबर 2024 की तुलना में 0.8 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि अक्टूबर 2023 की तुलना में सूचकांक अभी भी 8.3 फीसदी नीचे है।

गौरतलब है कि गेहूं की कीमतों में लगातार दूसरे महीने बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके कारणों पर नजर डालें तो यूरोपियन यूनियन, रूस, अमेरिका जैसे प्रमुख निर्यातक क्षेत्रों में खराब मौसम को लेकर चिंताएं बरकरार हैं। इस मौसम ने फसलों को प्रभावित किया है।

इसके साथ ही काला सागर में बढ़ते तनाव के चलते भी गेहूं की कीमतों में तेजी आई है। इस दौरान मक्के की कीमतों में भी उछाल देखा गया। आंशिक रूप से ब्राजील में मजबूत मांग नदी के घटते स्तर ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसकी वजह से ट्रांसपोर्ट सम्बन्धी समस्याएं पैदा हो गई हैं।

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अर्जेंटीना में सूखे की स्थिति और यूक्रेन में मक्के की लगातार बढ़ती मांग ने भी कीमतों के बढ़ने में योगदान दिया है। इस दौरान जौ की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि ज्वार की कीमतों में गिरावट देखी गई है।

दूसरी तरफ अक्टूबर में राइस प्राइस इंडेक्स में 5.6 फीसदी की गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण इंडिका चावल की कीमतों में गिरावट रही, क्योंकि भारत ने साबुत चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया, जिसके बाद निर्यातकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ गई।

अक्टूबर के दौरान वैश्विक बाजार में चीनी के कीमतों में भी उछाल देखा गया। इस दौरान चीनी मूल्य सूचकांक 129.6 अंकों तक पहुंच गया, जो सितंबर की तुलना में 2.6 फीसदी अधिक है। मतलब की लगातार दूसरे महीने चीनी की कीमतों में उछाल देखा गया है। हालांकि सूचकांक एक साल पहले यानी अक्टूबर 2023 की तुलना में अभी भी 18.6 फीसदी नीचे है।

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इसके कारणों पर नजर डालें तो ब्राजील में सूखे मौसम को लेकर चीनी उत्पादन पर मंडराते संकट ने कीमतों को बढ़ा दिया है। इसके साथ ही वैश्विक तेल की बढ़ती कीमतों के चलते ब्राजील में इथेनॉल के लिए गन्ने का कहीं ज्यादा उपयोग किया जा रहा है, जिसकी वजह से भी चीनी की कीमतों में पंख लगे हैं।

अक्टूबर में डेयरी मूल्य सूचकांक भी 139.1 अंक तक पहुंच गया, जोकि सितंबर की तुलना में 1.9 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। वहीं पिछले साल अक्टूबर के महीने से तुलना करें तो यह 21.4 फीसदी अधिक है।

यह वृद्धि मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पनीर और मक्खन की कीमतों में वृद्धि के चलते देखी गई, जबकि दूध पाउडर की कीमतों में गिरावट आई है। इनकी बढ़ती कीमतों की वजह पर गौर करें तो जहां यूरोपियन यूनियन में मौसमी रूप से दूध के उत्पादन में गिरावट आई है। वहीं मजबूत स्थानीय मांग, कम सप्लाई और पश्चिमी यूरोप में दूध उत्पादन में आई गिरावट से मक्खन की कीमतों में लगातार 13वें महीने उछाल देखा गया।

देखा जाए तो दूसरे खाद्य उत्पादों की तुलना में अक्टूबर के दौरान मांस की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।

गौरतलब है कि अक्टूबर में मीट प्राइस इंडेक्स औसतन 120.4 अंक दर्ज किया गया, जो सितंबर की तुलना में 0.3 फीसदी नीचे है। लेकिन पिछले साल अक्टूबर 2023 की तुलना में साढ़े सात फीसदी अधिक है। अक्टूबर के दौरान वैश्विक बाजार में पोल्ट्री की कीमतों में भी थोड़ी गिरावट आई है।

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