कागजों में पाबंदी, जमीन पर चुनौती: जालंधर सिंगल यूज प्लास्टिक मामले में सीपीसीबी ने सौंपी रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक जालंधर में प्लास्टिक निर्माण से जुड़ी सभी औद्योगिक इकाइयों की पहचान कर उनकी सूची तैयार की गई है और नियमों का उल्लंघन करने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की गई है
प्लास्टिक कचरे का जमा पहाड़, प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
प्लास्टिक कचरे का जमा पहाड़, प्रतीकात्मक तस्वीर: आईस्टॉक
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सारांश
  • जालंधर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बावजूद इसके पालन में चूक को लेकर दायर याचिका के मामले में सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी है।

  • रिपोर्ट में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई की जानकारी दी गई है। सीपीसीबी ने प्लास्टिक के उपयोग को कम करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

  • शिकायत में कहा गया था कि जालंधर में जिम्मेदार अधिकारी सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण, बिक्री, वितरण और उपयोग पर लगी कानूनी रोक को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाए।

  • रिपोर्ट के मुताबिक जालंधर में प्लास्टिक निर्माण से जुड़ी सभी औद्योगिक इकाइयों की पहचान कर उनकी सूची तैयार की गई है और नियमों का उल्लंघन करने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की गई है।

  • इसके अलावा, प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक बेचने वालों के यहां छापे मारे गए। साथ ही आम लोगों व दुकानदारों को प्लास्टिक के नुकसान के बारे में समझाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर कड़े कानून होने के बावजूद जालंधर में उनके पालन को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं।

प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट (संशोधन) नियम, 2021 और पंजाब प्लास्टिक कैरी बैग (नियंत्रण) अधिनियम, 2005 (संशोधित 2016) सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाते हैं। यह बात केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 9 दिसंबर 2025 को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में दाखिल अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कही है।

495 पृष्ठों की यह रिपोर्ट 25 अक्टूबर 2024 को एनजीटी द्वारा दिए आदेश पर दाखिल की गई है। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट जालंधर में सिंगल यूज प्लास्टिक से जुड़े नियमों के पालन में कथित चूक को लेकर दायर याचिका से जुड़ी है।

शिकायत में कहा गया था कि जालंधर में जिम्मेदार अधिकारी सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण, बिक्री, वितरण और उपयोग पर लगी कानूनी रोक को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाए। यह मुद्दा एनजीटी में 25 अक्टूबर 2024 को उठाया गया था।

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सीपीसीबी ने रिपोर्ट में बताया कि उसके चंडीगढ़ रीजनल डायरेक्टरेट ने इस मामले में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी। इसके जवाब में पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 28 जनवरी 2025 को अपनी रिपोर्ट साझा की, जिसमें बोर्ड द्वारा की गई कार्रवाइयों का ब्यौरा दिया गया।

नियमों को तोड़ने वालों पर की गई कार्रवाई

रिपोर्ट के मुताबिक जालंधर में प्लास्टिक निर्माण से जुड़ी सभी औद्योगिक इकाइयों की पहचान कर उनकी सूची तैयार की गई है और नियमों का उल्लंघन करने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की गई है। इसके अलावा, प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक बेचने वालों के यहां छापे मारे गए। साथ ही आम लोगों व दुकानदारों को प्लास्टिक के नुकसान के बारे में समझाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

रिपोर्ट में देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सीपीसीबी द्वारा की गई प्रमुख कार्रवाइयों का भी विवरण दिया गया है।

सीपीसीबी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को प्रभावी बनाने के लिए बोर्ड ने कई बड़े कदम उठाए हैं।

इसके तहत एक व्यापक कार्ययोजना तैयार की गई है, जिसे तीन हिस्सों में बांटा गया है, पहला सप्लाई पक्ष पर सख्त नियंत्रण, मांग कम करने के उपाय और सिंगल यूज़ प्लास्टिक को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना। इन उपायों का उद्देश्य प्लास्टिक से दूर जाने की प्रक्रिया को आसान और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है।

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रिपोर्ट में सीपीसीबी द्वारा इस विषय पर अब तक जारी प्रमुख निर्देशों का भी उल्लेख किया गया है। इसके तहत 11 नवंबर 2024 को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों को निर्देश दिया गया कि वे अपने क्षेत्र में कम्पोस्टेबल प्लास्टिक बनाने वाली सभी फैक्ट्रियों की जांच और निगरानी करें।

सीपीसीबी ने क्या कुछ उठाए हैं कदम

सभी राज्यों के शहरी विकास विभागों के प्रमुख सचिवों और सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों व प्रदूषण नियंत्रण समितियों को निर्देश दिया गया कि वे हर महीने चार दिन संयुक्त प्रवर्तन अभियान चलाएं ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को सख्ती से लागू किया जा सके।

इस विषय में ताजा निर्देश 11 नवंबर 2024 को जारी किए गए, जिनमें अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 तक संयुक्त निरीक्षण अनिवार्य किए गए।

4 जुलाई 2024 को सभी प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों व प्रदूषण नियंत्रण समितियों को निर्देश दिया गया कि वे स्थानीय निकायों और जिला पंचायतों से प्लास्टिक कचरे का आकलन और वर्गीकरण करवाएं ताकि सालाना रिपोर्टिंग मानक प्रक्रिया और प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन नियमों के अनुसार हो सके।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि 17 फरवरी 2023 को 11 एयरलाइन कंपनियों को निर्देश जारी किए गए कि वे प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों के उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद करें। वहीं, 13 दिसंबर 2022 को 21 ई-कॉमर्स कंपनियों को तुरंत सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करने और ऐसे प्रतिबंधित सामान का कोई भंडार न रखने का आदेश दिया गया।

17 मई 2024 को बिहार, दिल्ली, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और प्रदूषण नियंत्रण समितियों और शहरी विकास विभागों को निर्देश दिया गया कि वे नियमित जांच करें और संपर्क-ट्रेसिंग के जरिए प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक बनाने और सप्लाई करने वालों की पहचान करें।

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इसके अलावा, 13 दिसंबर 2022 को प्लास्टिक कच्चा माल बनाने वाली कंपनियों को स्पष्ट  निर्देश दिए गए कि वे बिना पंजीकरण और प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक बनाने वालों को कोई सामग्री न दें।

निगरानी, शिकायतों के लिए शुरू किए गए हैं दो ऑनलाइन पोर्टल

इससे पहले 12 अक्टूबर 2022 को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र भेजा गया, जिसमें उनसे अपने-अपने क्षेत्र के संबंधित अधिकारियों को सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश देने को कहा गया था।

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वहीं, 1 दिसंबर 2021 को कस्टम विभाग को पत्र जारी कर सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी प्रतिबंधित वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए।

सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध को और मजबूती से लागू करने और उसकी निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दो विशेष ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं, इसमें पहला सिंगल यूज प्लास्टिक से जुड़े नियमों का पालन हो रहा है इसकी निगरानी के लिए और दूसरा इससे जुड़ी शिकायतें दर्ज करने के लिए है।

इन पोर्टलों का मकसद है जांच प्रक्रिया को तेज करना, शिकायतों को सीधे सामने लाना और नियमों के पालन को पारदर्शी बनाना है।

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